प्राणायाम करने वालों को और सभी साधकों को टंक विद्या का प्रयोग करना चाहिए। बच्चों को भी जो कान में उँगली डाल के ‘ॐकार गुंजन’ की साधना सिखाते हैं, उसके पहले भी ये दो प्राणायाम कराने चाहिए।

लाभ :

● यह लगता तो साधारण प्रयोग है लेकिन शरीर के सात केन्द्रों में से यह पंचम केन्द्र को सक्रिय रखता है। नीचे के चार केन्द्रों की अपेक्षा पाँचवाँ केन्द्र हमें छठे केन्द्र में, जो भूमध्य (भौंहों के मध्य) में है, जल्दी पहुंचा देता है; जिससे नीचे के सभी पाँचों केन्द्रों के विकास का फायदा मिल जाता है। एक-एक केन्द्र पर रुकने के बजाय पाँचवें में आयें फिर छठे केन्द्र में आगये। जैसे छलाँग लगाते हैं ना, पहली सीढ़ी से सीधा चौथी या पाँचवीं पर पहुँच गये ।

● इस प्राणायाम की विधि ऐसी ही बता रहा हूँ, छलाँगवाली…. !!!

विधि  :  लम्बा श्वास लेकर होंठ बंद करके कंठ से ‘ॐ’ की ध्वनि निकालते हुए सिर को ऊपर-नीचे करें।

~ऋषि प्रसाद /जुलाई 2013

टंक विद्या प्रयोग