Ram Ji Ka RajDharma: Ram Navami 2023 Special Story in Hindi

Ram Ji Ka RajDharma: Ram Navami 2022 Special Story in Hindi
Ram Ji Ka RajDharma: Ram Navami 2022 Special Story in Hindi
  • सीताजी को रावण के बंधन से मुक्त कराने के लिए श्रीरामजी वानर-सेना सहित समुद्र पार कर चुके थे । तब रावण ने अपने दो मंत्री – शुक और सारण को वानर सेना की गुप्त जानकारियाँ लेने भेजा । वे वानर का रूप बनाकर रामजी की सेना में घुस गये । अभी वे सेना का निरीक्षण कर ही रहे थे कि इतने में विभीषण की नजर उन पर पड़ी । विभीषण देखते ही उन्हें पहचान गये और पकड़कर श्रीरामजी के पास ले गये ।
  • रामजी के समक्ष आते ही शुक और सारण को निश्चय हो गया कि ‘अब मृत्यु निश्चित है !’ भय के मारे ये कांपने लगे और हाथ जोड़कर रामजी को सारी सच्चाई बता दी । मृत्युदंड के अधिकारी शत्रु-पक्ष के गुप्तचरों को देखकर रामजी मुस्कराते हुए प्रेमपूर्वक बोले : “यदि तुमने सारी सेना देख ली हो तथा रावण के कथनानुसार सब काम पूरा कर लिया हो तो अब तुम दोनों प्रसन्नतापूर्वक लौट जाओ । और यदि कुछ बाकी रह गया हो तो विभीषण तुम्हें दिखा देंगे । तुम्हें अपने जीवन के विषय में कोई भय नहीं होना चाहिए क्योंकि शस्त्रहीन अवस्था में पकड़े गये तुम दोनों दूत वध के योग्य नहीं हो ।” रामजी ने विभीषण को दोनों गुप्तचरों को छोड़ने की आज्ञा दी ।
  • विलक्षण है श्रीरामजी का राजधर्म ! शत्रु- पक्ष के निहत्थे मंत्रियों पर वार नहीं करते, उन्हें मृत्युदंड नहीं देते बल्कि प्रसन्नता भरा व्यवहार करके उन्हें वापस लौटने की आज्ञा देते हैं । परंतु युद्धभूमि में धर्म-मर्यादाओं के पालन करने से चूकते भी नहीं हैं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामजी । धर्मपालन के साथ रामजी में अन्याय के प्रतिकार का भी अद्भुत सामर्थ्य था । जब दोनों गुप्तचर जाने लगे तब रामजी ने उनसे कहा : “लंका पहुँचकर राक्षसराज रावण को मेरा संदेश सुना देना कि रावण ! जिस बल के भरोसे तुमने सीता का अपहरण किया है, उसे अब सेना और बंधुजनों सहित रणभूमि में आकर दिखाना । कल सवेरे ही तुम लंकापुरी और राक्षसी सेना का मेरे बाणों से विध्वंस होता देखोगे ।”
  • रामजी की समता, सुहृदता, धर्मवत्सलता और न्यायप्रियता के आगे शुक और सारण नतमस्तक हो गये । ‘धर्मवत्सल रघुनाथ की जय !’ कहकर उनके चिरंजीवी होने की शुभकामना करते हुए दोनों लंकापुरी वापस लौट गये ।
  • रामजी की यह लीला-विग्रह तो अभी नहीं है परंतु उनका आदर्श चरित्र आज भी लोगों में सज्जनता, स्नेह, धर्मपालन आदि अनेक सद्गुण भर रहा है । कोई भी कार्य धर्म-अनुकूल है कि नहीं ? श्रीरामचन्द्रजी इस बात का विशेष ध्यान रखते थे । किसको कड़ा दंड देना चाहिए और किसको केवल लाल आँख दिखानी चाहिए, किसके आगे नतमस्तक हो जाना चाहिए और किसके आगे केवल मुस्कान से काम चलाना चाहिए – यह रामचन्द्रजी, श्रीकृष्ण, जनकजी जानते थे और जो भी आत्मज्ञानी संत होते हैं वे जानते हैं । इसीलिए उनके द्वारा हम लोग उन्नत होते हैं ।
    – लोक कल्याण सेतु, मार्च 2016

Gudi Padwa 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat, Images, Wishes

Gudi Padwa 2023 Date

महाशुभ मुहूर्त : गुडी पड़वा, 22 March 2023 ( बुधवार )

What is Gudi Padwa.?

  • चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा या गुडी पड़वा वर्ष का आरम्भ दिवस माना जाता है । कई प्रकार से यह महत्वपूर्ण है । एक तो प्राकृतिक ढंग से, कि यह वसंत ऋतु है । गीता के दसवें अध्याय के 35 वें श्लोक में भगवान ने इस ऋतु की महिमा बताते हुए कहा है : ऋतूनां कुसुमाकरः । – ‘ऋतुओं में वसंत मैं हूँ ।’
  • दूसरा ऐतिहासिक ढंग से, कि भगवान राम ने इस दिन बालि का वध किया था, गुडी पड़वा पर्व के दिन विजयपताका फहरायी । शालिवाहन ने शत्रुओं पर विजय पायी, जिससे इस दिन से शालिवाहन शक प्रारम्भ हुआ । इसी दिन राजा विक्रमादित्य ने शकों पर विजय पायी और विक्रम संवत्सर प्रारम्भ हुआ । चैत्री नवरात्र भी इसी दिन से शुरू होता है । आध्यात्मिक ढंग से देखें तो यह सतयुग का प्रारम्भिक दिवस है । वर्ष के साढ़े तीन शुभ मुहूर्तों में से एक है गुडी पड़वा का दिन ! यह बिना मुहूर्त के मुहूर्त है अर्थात् इस पूरे दिन शुभ मुहूर्त रहता है, पंचांग में शुभ मुहूर्त नहीं देखना पड़ता । इस दिन जितना भी भजन, ध्यान, जप, मौन, सेवा की जाए, उसका अनेक गुना फल मिलता है । अंतर्मुख होना हो तो इसके लिए यह बड़ा हितकारी दिवस है ।

कैसे हुआ गुड़ी पड़वा का प्रारम्भ

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इस दिन मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्रजी ने बालि के अत्याचार से लोगों को मुक्त किया था । उसकी खुशी में लोगों ने घर-घर गुड़ी (ध्वजा) खड़ी कर उत्सव मनाया इसलिए यह दिन ‘गुड़ी पड़वा’ नाम से प्रचलित हुआ । ब्रह्माजी ने जब सृष्टि का आरम्भ किया उस समय इस तिथि को ‘प्रवरा’ (सर्वोत्तम) तिथि सूचित किया था । इसमें व्यावहारिक, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि अधिक महत्व के अनेक कार्य आरम्भ किये जाते हैं ।
  • नये नये साल के प्रथम दिन से ही चैत्री नवरात्र का उपवास चालू हो जाता है । 9 दिन का उपवास करके माँ शक्ति की उपासना की जाती है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ मानसिक प्रसन्नता व शारीरिक स्वास्थ्य-लाभ भी सहज में ही मिल जाता है ।

Importance of Gudi Padwa?

  • हमारे नूतन वर्ष का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात् चैत्री नवरात्रि की प्रतिपदा से होता है । वर्ष का पहला दिन होने से इसका विशेष महत्व है । वर्षारम्भ की यह मंगलदायिनी तिथि समूचे वर्ष के सुख-दुःख का प्रतीक मानी जाती है ।

Gudi Padwa 2023 Puja Muhurat, Timings & Vidhi

विक्रम संवत् 2080 प्रारम्भ, 22 मार्च 2023 (पूरा दिन शुभ मुहूर्त )

Happy Gudi Padwa 2023 Messages, Wishes, Status

FAQ
Gudi Padwa 2023 Kab Hai ?

22 मार्च 2023

गुढीपाडव्याच्या हार्दिक शुभेच्छ्या.
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