झूलेलाल-अवतरण दिवस मानव को पुरुषार्थी बनने की प्रेरणा देता है । जुल्मी के आगे झुको मत, अपितु अपने धर्म पर डटे रहो । साहसी बनो, एकांत, मौन व ईश्वर-आराधना से अपने आत्मिक बल का अवतरण होने दो। जैसे सिंधी भाइयों ने जप, उपवास, ध्यान और तप-तेज से जुल्मी-जालिम मरख की मुरादें नाकामयाब कर दीं। ऐसे ही आपके जीवन में भी नीच मुरादें मनवाने का कोई साहस ना करे। अगर कोई दुस्साहस करता है तो आप भी अपना तेज, व्रत व जप व ध्यान का आश्रय लेकर मलिन मुरादवालों के ख्वाब धूल में मिला दें और अपनी नेक मुराद रखकर गीता ज्ञान के प्रकाश में जियें।

ऋषि प्रसाद – अप्रैल 2001