Shri Ram Ji Ka Aadarsh Jeevan aur Rajya: Ram Navmi 2022 Special
  • श्री रामजी का आदर्श जीवन, उनका आदर्श चरित्र….. उस जीवन की कहानी है जो हर मनुष्य के लिए अनुकरणीय है ।
  • श्रीरामजी सारगर्भित, प्रसंगोचित बोलते थे । श्रीरामजी दूसरों की बात बड़े ध्यान व आदर से सुनते थे । वे तो शत्रुओं के प्रति भी कटु वचन नहीं बोलते थे ।
  • युद्ध के मैदान में श्रीरामजी एक बाण से रावण के रथ को जला देते, दूसरा बाण मारकर उसके हथियार उड़ा देते फिर भी उनका चित्त शांत और सम रहता था । वे रावण से कहते … ‘लंकेश ! जाओ, कल फिर तैयार होकर आना ।’
  • श्री रामजी क्रोध का उपयोग तो करते थे लेकिन क्रोध के हाथों में नहीं आते थे । हम लोगों को क्रोध आता है तो क्रोधी हो जाते हैं… लोभ आता है तो लोभी हो जाते हैं… मोह आता है तो मोही हो जाते हैं… लेकिन श्रीरामजी को जिस समय जिस साधन की आवश्यकता होती थी, वे उसका उपयोग कर लेते थे ।
  • श्रीरामजी का अपने मन पर बड़ा विलक्षण नियंत्रण था । चाहे कोई सौ अपराध कर दे फिर भी रामजी अपने चित्त को क्षुब्ध नहीं होने देते थे ।
  • श्रीरामजी अर्थ-व्यवस्था में भी निपुण थे । प्रजा के संतोष तथा विश्वास-सम्पादन के लिए श्रीरामजी राज्यसुख, गृहस्थसुख और राज्यवैभव का त्याग करने में भी संकोच नहीं करते थे ।
  • इसीलिए श्रीरामजी का राज्य, आदर्श राज्य माना जाता है ।