जब तुलसी के पौधे से निकले दिव्य पुरुष

  • बंगाल के फरीदपुर जिले के बाजितपुर गाँव में विनोद नाम का एक पवित्रबुद्धि बालक रहता था । हर कार्य में उसकी दृष्टि हमेशा सत्यान्वेषी होती थी । वह देखता कि माँ रोज तुलसी के पौधे को प्रणाम करती है, जल चढ़ाकर दीप जलाती है, फिर परिक्रमा लगाती है । एक दिन वह सोचने लगा, आखिर तुलसी का यह पौधा इतना पवित्र क्यों ?
  • उसने इसकी परीक्षा करनी चाही । मन ही मन दृढ़ संकल्प करके वह दोहराता गया कि तुम अगर पवित्र हो तो मुझे प्रमाण दो वरना मैं तुम्हें पवित्र नहीं मान सकता ।
  • एक दिन उसने देखा कि तुलसी के पौधे से एक दिव्य पुरुष निकले और बोले : “मैं हूँ नारायण, तुलसी के पौधे में मेरा निवास है ।”
  • इस घटना के बाद विनोद तुलसी के पौधे का बहुत सम्मान-पूजन करने लगा । तुलसी माता का कोई अपमान करे, यह उससे सहन नहीं होता था । आगे चलकर इसी बालक ने योगिराज गम्भीरनाथजी से गुरुमंत्र की दीक्षा ली और स्वामी प्रणवानंद जी के नाम से विख्यात हुए ।
  • संकल्प की दृढ़ता व हृदय की पवित्रा नहीं हो तो हर किसी को भगवत्प्रभाव का प्रमाण नहीं मिलता । विनोद सरल हृदय बालक था । आप भी विनोद के अनुभव से लाभ उठाकर तुलसी माता का सम्मान पूजन किया करें । तुलसी को प्रतिदिन जल देकर नौ परिक्रमा करें । आधुनिक विज्ञान ने यह सिद्ध किया है कि इससे आभा बढ़ती है । तुलसी की जड़ की मिट्टी का तिलक करें ।
  • तुलसी की जड़ की मिट्टी का तिलक करने से आपका शिवनेत्र विकसित होगा । विज्ञानी शिवनेत्र को पीनियल ग्रंथि बोलते हैं, यहाँ बहुत सामर्थ्य छुपा है । यह जितना संवेदनशील होगा, आदमी उतना प्रभावशाली होगा, सूझबूझ का धनी होगा ।
    ~ तुलसी रहस्य साहित्य से…