अच्छे बालक की पहचान, बतलाते सद्गुरु भगवान ।

सुबह ब्राह्ममुहूर्त में उठता, करता परमात्मा का ध्यान ।

करदर्शन कर,धरती माँ के, नित करता चरणों में प्रणाम।

नित्य क्रिया से निवृत्त होकर, नित करता ऋषि-स्नान।

पूर्वाभिमुख हो आसन पर, निश्चल मन करता जप-ध्यान।

त्राटक करता गुरुमूर्ति पर, योगासन और करे प्राणायाम।

सूर्यदेव को अर्घ्य है देता, तुलसी- दल खा करे जलपान।

मात-पिता को शीश नवाता, गुरुजन का करता सम्मान।

विद्यालय नित पढ़ने जाता, पठन-पाठन में देता ध्यान।

गुरु, गणपति, माँ सरस्वती का, निशदिन करता है गुणगान।

सात्विक भोजन ही करता है, प्रभु अर्पण कर सुबह-शाम।

सद्गुरु-संत वचन नित सुनता, चलता उनकी आज्ञा मान।

धर्म,संस्कृति,देश की रक्षा, पर देता वह खूब ध्यान।

दीन-दुखी लाचार जनों की सेवा करता त्याग अभिमान।

आलस त्यागो अब तो जागो, बनो ध्रुव प्रह्लाद समान।

ऐसे बालक राष्ट्र-रत्न हैं, यही बनाते देश महान।

संकल्प:
‘सर्व सफलता की कुंजी है आदर्श दिनचर्या। हम भी इसे अपनाएंगे।’

Bachhon ke liye Hindi Kavita (Poem) – for Kids