जहाँ मन की गहरी चाह होती है, आदमी वहीं पहुँच जाता है। अच्छे कर्म, अच्छा संग करने से हमारे अंदर अच्छे विचार पैदा होते हैं, हमारे जीवन की अच्छी यात्रा होती है और बुरे कर्म, बुरा संग करने से बुरे विचार उत्पन्न होते हैं एवं जीवन अधोगति की ओर चला जाता है।

हर महान कार्य कठिन है और हलका कार्य सरल !! उत्थान कठिन है और पतन सरल। पहाड़ी पर चढ़ने में परिश्रम होता है, पर उतरने में परिश्रम नहीं होता। पतन के समय जरा भी परिश्रम नहीं करना पड़ता है लेकिन परिणाम दुःखद होता है…. सर्वनाश…. उत्थान के समय आराम नहीं होता, परिश्रम लगता है लेकिन परिणाम सुखद होता है। कोई कहे किः ‘इस जमाने में बचना मुश्किल है…. कठिन है….’ लेकिन ‘कठिन है….’ ऐसा समझकर अपनी शक्ति को नष्ट करना यह कहाँ की बुद्धिमानी है ?