गुजरात के मेहसाणा जिले के लाडोल गाँव की कमला बहन पटेल सन्1978 से पूज्य बापूजी का सत्संग सान्निध्य पाती रही हैं । उनके द्वारा बताये गये बापूजी के कुछ मधुमय प्र संग :                                                                    दिमाग का कचरा नदी में डाल दो  !!!!!!

मैं ऊंझा में शासकीय शिक्षिका थी । मेरी सहेली बापूजी से दीक्षित थी । उसने मुझे आश्रम की एक पुस्तक दी । उसे पढ़कर मुझे बहुत शांति व आनंद मिला और बापूजी के दर्शन की इच्छा हुई ।

1978 में मैं पहली बार बापूजी का सत्संग सुनने अहमदाबाद आश्रम आयी । फिर तो ऐसा रंग लगा कि मैं हर रविवार को आने लगी और 1979 के उत्तरायण शिविर में मुझे मंत्रदीक्षा लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । सन् 1980 के चेटीचंड शिविर में गाँव के कई लोगों के साथ मैं अपने पिताजी ( पुरुषोत्तम पटेल ) को भी लेकर मंत्रदीक्षा दिलाने के लिए अहमदाबाद आश्रम आयी थी ।

लोगों ने बताया कि बापूजी सत्संग-मंडप में हैं तो हम लोग सीधे वहीं पहुँचे । उस समय सत्संग-मंडप में कूलर लगाने की व्यवस्था हो रही थी । बापूजी बाहर आये, सबको नजदीक से दर्शन देते हुए मेरे पिताजी के पास आये तो उनको कुछ तेज आवाज में बोले :- ‘‘ काका ! दूर खिसको । तुम लोगों के लिए ही सब व्यवस्था हो रही है ।

बापूजी ने अपनी मौज में ऐसा कहा परंतु मेरे पिताजी को बुरा लग गया । मेरे पास आकर बोले :- ‘‘ नदी में नहाने जाना है, तौलिया दो । दोपहर के दो-ढाई बजे थे, मैंने मना किया परंतु वे नहीं माने । मन-ही-मन मैंने प्रार्थना की :- ‘ बापूजी ! मेरे पिताजी मंत्रदीक्षा के लिए आये हैं, कितने जन्मों के बाद यह घड़ी आयी है, इसलिए कृपा करना । करुणावत्सल गुरुदेव ने मेरी प्रार्थना सुन ली ।

नदी में स्नान करके पिताजी आये तो बहुत आनंद में थे । उन्होंने बताया कि ‘‘ बापूजी नदी में आये थे । “

हमने कहा :- ‘‘ बापूजी तो इधर ही मंडप में थे…. नदी में तो गये ही नहीं ! “

पिताजी ने कहा :- ‘‘ नहीं, बापूजी आये थे । मैं स्नान करने के लिए नदी में गया तो मेरे सामने बापूजी आ गये । “

बापूजी ने कहा कि :- ‘‘ तुम्हारे मगज ( दिमाग ) में जो कचरा भरा है… वह नदी में डाल दो ! “
तो मैंने कहा :- ” बापूजी ! मुझ पर दया करना । “

फिर पूज्यश्री वहाँ से चले आये । तो इस प्रकार से बापूजी भक्तों का भला करने के लिए क्या-क्या लीलाएँ करते हैं !!!