आज हम जानेंगे : ऐशो-आराम और विलासिता में डूबने पर कितने भयंकर परिणाम आते हैं।

वेसेक्स (वर्तमान इंग्लैंड का एक भाग) का प्रसिद्ध राजा अल्फ्रेड अपनी कुल परंपरा के अनुसार राजगद्दी पर बैठा। बैठने के बाद वह ऐशो-आराम और विलासिता में डूब गया, बुद्धि कमजोर हो गई ।

शत्रुओं ने देखा कि ‘यह तो विलासी है।’ उन्होंने धावा बोल दिया और अल्फ्रेड को हरा दिया। उससे राज्य छीनकर उसे मार भगाया।

अब इंग्लैंड का वह भूतपूर्व राजा अल्फ्रेड दर-दर की ठोकरें खाने लगा और अपना पेट भरने के लिए अपनी पहचान छुपाकर किसी देहात में एक किसान के यहां नौकरी करने लगा ।

एक दिन किसान की पत्नी ने कहा :”मैंने चूल्हे पर केक रखा है। मैं जरा पड़ोस में जाती हूँ, तुम ध्यान रखना।”

अल्फ्रेड बैठा-बैठा स्वप्न देखने लग गया तथा केक जलकर कोयला हो गया और उसे पता तक न चला। 
जब किसान की पत्नी लौटी तो देखती है कि अल्फ्रेड आकाश की ओर निहारता-निहारता कुछ सोच रहा है और केक जलकर कोयला हो गया है। वह क्रोधित होती हुई बोली :”मालूम होता है कि अल्फ्रेड की छाया तुझ पर पड़ी है। जैसे ख्यालों के पुल बाँधते-बाँधते हार गया और दर-दर की ठोकरें खा रहा है, वैसे ही तेरे भाग्य में भी दर-दर की ठोकरें खाना ही लिखा है, ऐसा लगता है।”

 किसान की पत्नी को क्या पता कि यह खुद अल्फ्रेड है !

अल्फ्रेड के स्वाभिमान को धक्का लगा, बोला :”अल्फ्रेड को ठोकरें क्यों खानी पड़ी ?”
 ‘

“जो काम जिस वक्त करना चाहिए उस समय नहीं किया और खाली विचार ही करता रहा, चापलूसों से घिरा रहा इसीलिए उसका राज्य बर्बाद हो गया। अगर वह ध्यान और तत्परता से राज्य करता तो उसे आज बुरे दिन नहीं देखने पड़ते।

जिस वक्त जो काम मिले उसे  पूरी तरह से एकाग्रचित्त होकर तत्परता से करना चाहिए।
Work while you work,
         Play while you play.
That is the way to be happy and gay.

जब पढ़ते हो तब पूरे पढ़ाई में खो जाओ। लिखना हो तो लिखने में खो जाओ। जब खेलते हो तो पूरे खेल में खो जाओ। कुश्ती करते हो तो पूरे कुश्तीमय हो जाओ। जो भी करो उसमें पूरे मनोयोग से लग जाओ। इसी तरह घर, व्यापार या कार्यालय का कार्य तत्परता से करो।

 किसान की पत्नी: “तू तो अल्फ्रेड जैसा है। हमारे घर रहने के लायक नहीं है।”

अल्फ्रेड की सोयी हुई चेतना जाग उठी। वह समझ गया कि मेरी बेवकूफी के कारण मैं दर-दर की ठोकरें खा रहा हूँ। उस किसान के घर से वह निकल पड़ा तथा धीरे-धीरे कमाई करके कुछ पैसे इकट्ठे किये, कुछ चंदा इकट्ठा किया और कुछ लोगों को तैयार करके शत्रु पर चढ़ाई कर दी और अपना खोया हुआ राज्य जीत लिया।

फिर तो उसने इतनी तत्परता से राज्य किया कि लोग कहने लगे :”Alfred is a Great King” अल्फ्रेड एक महान राजा है।
   

अल्फ्रेड पलायनवादियों की सूची में आकर दर-दर की ठोकरें खा रहा था और जब उस किसान की पत्नी की डाँट से उसे अपनी बेवकूफी का पता चल गया तो बेवकूफी को दूर करके “ग्रेट अल्फ्रेड” कहलाने लगा।

– हे विद्यार्थियों और तमाम भारतवासियों! तुम भी अगर चाहो तो अपने जीवन में से पलायनवादिता और लापरवाही को दूर करके उत्साह एवं तत्परता जगाकर भारत माता के महान सपूत बन सकते हो। ईश्वर का असीम बल तुममें छुपा है।
 उठो…. जागो… दूर करो लापरवाही को और तत्परता एवं कुशलतापूर्वक छलाँग मारो। फिर तो पाओगे कि सफलता तुम्हारी इंतजार कर रही है। “ग्रेट किंग” कहलाना कोई ऊँची सफलता नहीं है, अपने आत्मस्वरूप को जानकर जीवन्मुक्त हो जाना ही वास्तव में सच्ची, शाश्वत सफलता है । उसमें किसी से छीनाझपटी नहीं है। युद्ध में अपने और सामनेवाले सैनिकों की हत्या में हिंसा व राज्यप्राप्ति के अंत में नश्वरता होती है लेकिन आत्मपद की प्राप्ति में ना हत्या-हिंसा, न शत्रुता, न नश्वरता है।

‘जिस परम पद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते वही मेरा परम धाम है।’
                  (गीता : १५.६)

प्रश्न : ऐशो-आराम और विलासिता में डूबने से क्या कमजोर हो जाती है ?

~लोक कल्याण सेतु : मार्च २०१७