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शुभ भाव व पवित्रता देने वाला पर्व

वैदिक रक्षाबंधन

Raksha Bandhan Date : 30 August 2023

रक्षाबंधन महोत्सव
[Happy Raksha Bandhan 2023]

भारतीय संस्कृति का रक्षाबंधन महोत्सव जो श्रावणी पूनम के दिन मनाया जाता है, आत्मनिर्माण और आत्मविकास का पर्व है । आज के दिन पृथ्वी ने मानो हरी साड़ी पहनी है, सुंदर पुष्प खिले हैं । अपने हृदय को भी प्रेमाभक्ति से, सदाचार-संयम से पूर्ण करने के लिए प्रोत्साहित करनेवाला यह पर्व है ।

रक्षाबंधन का अर्थ
[What is Raksha Bandhan in Hindi]

रक्षाबंधन अर्थात् शुद्ध प्रेम का बंधन… पराक्रम और प्रेम के समन्वय, साहस और संयम का आपसी सहयोग एवं ऋषि पूजन का दिवस… भाई का बहन के प्रति व साधक का सद्गुरु के प्रति स्नेह प्रगट करने तथा सद्गुरु का साधक के प्रति सुरक्षा-संकल्प करने का दिवस । यह महोत्सव आत्मिक जागृति लाने, शुभ संकल्प, व्रत और नियम लेने तथा स्वाध्याय व आत्मशुद्धि के लिए अनुष्ठान करने का दिवस है ।

Rakhi 2023 Shubh Muhurat Time

भद्राकाल के बाद ही राखी बँधवायें । जैसे शनि की क्रूर दृष्टि हानि करती है, ऐसे ही शनि की बहन भद्रा का प्रभाव भी नुकसान करता है । रावण ने भद्राकाल में शूर्पणखा से रक्षासूत्र बँधवा लिया, परिणाम यह हुआ कि उसी वर्ष में उसका कुल सहित नाश हुआ । भद्रा की कुदृष्टि से कुल में हानि होने की सम्भावना बढ़ती है । अतः भद्राकाल में रक्षासूत्र ( राखी ) नहीं बंधवानी चाहिए ।

[Raksha Bandhan 2023 Right Time Subh Muhurat ] पूर्णिमा तिथि का समय : 30 अगस्त 2023 बुधवार को सुबह 10:58 से 31 अगस्त, गुरुवार को सुबह 07:05 तक रहेगा ।
भद्राकाल का समय इस बार : 30 अगस्त 2023 (बुधवार) को सुबह 10:58 से रात्रि 9:01 तक है । इसलिए बहन अपने भाई को राखी भद्राकाल के पश्चात ही बाँधे । राखी बांधने का शुभ मुहूर्त रहेगा 30 अगस्त 2023, बुधवार को रात्रि 9:01 से 31 अगस्त 2023, गुरुवार को सुबह 7:05 बजे तक ।

How to celebrate Raksha Bandhan 2023
[Rakhi kaise banaye]

  • आज के दिन रक्षासूत्र बाँधने से “वर्ष भर रोगों से हमारी रक्षा रहे, बुरे भावों से रक्षा रहे, बुरे कर्मों से रक्षा रहे” – ऐसा एक दूसरे के प्रति सत्संकल्प करते हैं ।
  • रक्षाबंधन के दिन बहन भइया के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करती है कि ‘जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्ष का ज्ञान, मोक्षमय प्रेम स्वरूप ईश्वर का प्रकाश आये ।
  • मेरा भाई इस सपने जैसी दुनिया को सच्चा मानकर न उलझे, मेरा भइया साधारण चर्मचक्षु वाला ना हो, दूरद्रष्टा हो । ‘क्षणे रुष्ट: क्षणे तुष्ट:’ न हो, जरा-जरा बात में भड़कने वाला न हो, धीर-गंभीर हो । मेरे भइया की सूझबूझ, यश, कीर्ति और ओज-तेज अक्षुण्ण रहे ।’ भइया को राखी बाँधी और मुँह मीठा किया, भाई गदगद हो गया ।

सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम् ।

सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत् ।।

Vedic Rakhi ka Mahatva [Importance]

सर्व मांगल्यकारी वैदिक

  • भारतीय संस्कृति में ‘रक्षाबंधन पर्व’ की बड़ी भारी महिमा है ।
  • इतिहास साक्षी है कि इसके द्वारा अनगिनत पुण्यात्मा लाभान्वित हुए हैं फिर चाहें वह वीर योद्धा अभिमन्यु हो या स्वयं देवराज इन्द्र हों । इस पर्व ने अपना एक क्रांतिकारी इतिहास रचा है ।

वैदिक रक्षासूत्र

  • रक्षासूत्र मात्र एक धागा नहीं बल्कि शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पुलिंदा है ।
  • यही सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद्भाव सहित शुभ संकल्प करके बांधा जाता है तो इसका सामर्थ्य असीम हो जाता है ।

वैदिक रक्षासूत्र कैसे बनाएँ ? जानने के लिए

स्वास्थ्य-सुरक्षा - Rakshabandhan Special 2023
रक्षाबंधन के दिन स्नान के समय यज्ञ की राख अथवा गोधूलि और गौ-गोबर एवं जौ-तिल आदि का उबटन शरीर पर लगायें । कैसे भी चर्मरोग क्यों न हों, ये पदार्थ सबको मिटा देंगे, शारीरिक शुद्धि हो जायेगी ।

रक्षाबंधन का उत्सव श्रावणी पूनम को ही क्यों रखा गया ?

  • भारतीय संस्कृति में संकल्प शक्ति के सदुपयोग की सुंदर व्यवस्था है । ब्राह्मण कोई शुभ कार्य कराते हैं तो कलावा ( रक्षासूत्र ) बाँधते हैं ताकि आपके शरीर में छुपे दोष या कोई रोग जो आपको आपके शरीर को अस्वस्थ कर रहे हों, उनके कारण आपका मन और बुद्धि भी निर्णय लेने में थोड़ा अस्वस्थ न रह जाए ।
  • सावन के महीने में सूर्य की किरणें धरती पर कम पड़ती हैं, किस्म-किस्म के जीवाणु बढ़ जाते हैं जिससे किसी को दस्त, किसी को उल्टियाँ, किसी को बुखार हो जाता है, तो किसी का शरीर टूटने लगता है । इसीलिए रक्षाबंधन के दिन रक्षासूत्र बाँधकर तन-मन-मति की रक्षा का संकल्प किया जाता है । रक्षासूत्र में कितना मनोविज्ञान है, कितना रहस्य है !

युवाधन की सुरक्षा - सुरक्षा का स्नेह-सूत्र

  • कैसी दिव्य है भारतीय संस्कृति ! पड़ोस के भाई या बहन के प्रति मन में थोड़ा-सा विकारी भाव उत्पन्न हुआ तो यह ऋषि-परंपरा से चला आया, ऋषियों की प्रसादी ले आया, रक्षा के संकल्प से संपन्न नन्हा-सा, पतला-सा, दिव्य भावना से भरा राखी का धागा बहन ने भाई को बाँधा ( रक्षाबंधन ) और भाव अच्छे हो गये ।

नजरें बदलीं तो नजारे बदले ।

किश्ती ने बदला रुख तो किनारे बदले ॥

Happy Raksha Bandhan 2023 Wishes, Quotes for Sister & Brother

Why Raksha Bandhan is Celebrated
[Importance and Significance of Rakhi Festival]

  • इस पर्व को कहीं-कहीं ‘सलोनी’ या ‘सलूनो’ भी कहते हैं, जिसका अर्थ होता है नया वर्ष । यह पर्व पूर्णिमा के दिन होता है, इसलिए यह आयु व आरोग्य देने वाला है जब श्रवण नक्षत्र का योग होता है, उसी दिन यह पर्व मनाया जाता है । श्रवण नक्षत्र के देवता भगवान विष्णु हैं । हमारी आध्यात्मिक सम्पदा एवं स्वास्थ्य के रक्षक-पोषक ऋषि-मुनि एवं सद्गुरु हैं । अतः इस दिन चन्द्रमा, भगवान विष्णु और ऋषि-मुनियों व सद्गुरु का सुमिरन करके दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना की जाती है ।
  • महर्षि दुर्वासा ने सावन की अधिष्ठात्री देवी की ग्रह-दृष्टि निवारण करने के लिए इस रक्षाबंधन पर्व की व्यवस्था की थी । भगवान श्रीकृष्ण की अनिष्ट नाग से रक्षा के लिए उन्हें रक्षासूत्र बाँधा गया था । शास्त्रों में कहा गया है कि विधिवत् राखी बाँधने से और बँधवाने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है ।

बाल संस्कार केन्द्र में कैसे मनाएं रक्षा बंधन ?

  • रक्षाबंधन शुभ संकल्प करने का दिन है । बाल संस्कार केन्द्र के शिक्षक केन्द्र में रक्षाबंधन महोत्सव मनायें ।
  • विद्यार्थियों को कुछ दिन पूर्व वैदिक राखी बनाना सिखायें और रक्षाबंधन के दिन उन्हें घर से वैदिक राखी बनाकर लाने के लिए प्रेरित करें ।

रक्षाबंधन मनाने विधि जानने के लिए :-

वैदिक रक्षासूत्र का लाभ लें

  • रक्षासूत्र मात्र एक धागा नहीं बल्कि शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का प्रतीक है । रक्षासूत्र यदि वैदिक रीति से बनाया जाए और भगवद्भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाए तो इसका सामर्थ्य असीम हो जाता है ।
  • वैदिक राखी की सामग्री, रुद्राक्ष एवं अहमदाबाद वाटिका की तुलसी से ये वैदिक राखियाँ बनायी गयी हैं ।
  • मँगवाने के लिए सम्पर्क करें : महिला उत्थान मंडल, संत श्री आशारामजी आशारामजी आश्रम, अहमदाबाद

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FAQ's

Raksha bandhan 2023 Kab Hai ?

30 अगस्त 2023, बुधवार

Rakhi Bandhne Ka Shubh Muhurat Time ?

इस बार भद्राकाल न होने के कारण दिन भर में कभी भी राखी बाँध सकते हैं ।

Who started Raksha Bandhan ?

इंद्र और शची

Which hand do you tie a Rakhi on ?

दाहिने हाथ की कलाई पर ।

Can a sister tie a rakhi to brother if she is on her period ?

मासिक धर्म के समय कोई भी धार्मिक कार्य वर्जित है ।

Can I tie Rakhi for my brother in law ?

शुभभाव से किसी को भी राखी बांध सकते हैं ।

Can a wife tie Rakhi to her husband ?

हाँ

What do you say while tying Rakhi ?

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

Can Brothers tie Rakhi to sister ?

हाँ

When should Rakhi be removed ?

राखी केवल एक धागा न होकर रक्षासूत्र है इसलिए उसे जब तक बंधा रहे रखना चाहिए ।

How long do you wear a Rakhi ?

जब तक हाथ में बंधी रहें ।

Happy Raksha Bandhan 2023 Images, Pictures, Photos

Raksha Bandhan WhatsApp Status

भाई तो हमारी लौकिक संपत्ति का रक्षण करता है किन्तु संतजन व गुरुजन हमारे आध्यात्मिक खजाने का संरक्षण करते हैं ।

राखी का धागा तो 25-50 पैसे का भी हो सकता है किन्तु धागे के साथ जो संकल्प किये जाते हैं वे अंतःकरण को तेजस्वी व पावन बनाते हैं ।

राखी कितनी कीमती है इसका महत्व नहीं है । बांधनेवाले का भाव, बांधनेवाले की दृढ़ता जितनी अधिक है उतना ही अधिक फल देता है ।

सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम् ।
सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत् ।।
‘इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है । इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्षभर मनुष्य रक्षित हो जाता है ।’ (भविष्य पुराण)

रक्षा-सूत्र बाँधने का मंत्र~
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।
जिस पतले रक्षासूत्र ने महाशक्तिशाली असुरराज बलि को बाँध दिया, उसी से मैं आपको बाँधती हूँ । आपकी रक्षा हो । यह धागा टूटे नहीं और आपकी रक्षा सुरक्षित रहे । – यही संकल्प बहन भाई को राखी बाँधते समय करे । शिष्य गुरु को रक्षासूत्र बाँधते समय ‘अभिबध्नामि’ के स्थान पर ‘रक्षबध्नामि’ कहे ।

रक्षासूत्र मात्र एक धागा नहीं बल्कि शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पुलिंदा है । यही सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद्भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाता है तो इसका सामर्थ्य असीम हो जाता है ।

साधक को जो आध्यात्मिक संस्कारों का खजाना मिला है वह कहीं बिखर न जाए, काम, क्रोध, लोभ आदि लुटेरे कहीं उसे लूट न लें इसलिए साधक गुरुओं से रक्षा चाहता है । उस रक्षा की याद ताजा करने का दिन है रक्षाबंधन पर्व ।

रक्षाबन्धन में राखी का छोटा-सा, कच्चा धागा भी पक्के पुरुषार्थ की याद दिलाता है ।

रक्षाबंधन
र : रक्षा कर हृदय कोष की, पाले प्रभु का ज्ञान, सम संतोष सुविचार संग जीवन हो निष्काम !
क्षा : क्षमा प्रेम उदारता परदुःख का एहसास, सार्थक जीवन है वही रखे न कोई आस !
बन् : बन्ध मोक्ष से है परे, जन्म कर्म से दूर, व्यापक सर्व में रम रहा, वह नूरों का नूर !
ध : धर्म दया और दान संग, जीवन में हो उमंग, प्रभु प्रेम की प्यास हो लगे नाम का रंग !
न : नभ, जल, थल में है वही, सर्व में प्रभु का वास, नूरे नजर से देख ले वही दिव्य प्रकाश !

हम गुरुदेव से प्रार्थना करें- ‘बहन की रक्षा भले भाई थोड़ी कर ले लेकिन गुरुदेव ! हमारे मन और बुद्धि की रक्षा तो आप हजारों भाइयों से भी अधिक कर पायेंगे । आप हमारी भावनाओं की, श्रद्धा की भी रक्षा कीजिये ।’

रक्षाबंधन में कच्चा धागा बाँधते हैं लेकिन यह पक्के प्रेम का और पक्के हित का बंधन है ।