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सूर्य ग्रहण

21 जून 2020

Surya Grahan June 2020 : चन्द्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आती है तब चन्द्र ग्रहण तथा पृथ्वी और सूर्य के बीच चन्द्र आता है तब सूर्य ग्रहण होता है । चन्द्र ग्रहण पूर्णिमा को और सूर्य ग्रहण अमावस्या को ही होता है ।

परिचय [What is Surya Grahan]

ग्रहण के समय सूर्य या चन्द्र की किरणों का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ना थोड़ी देर के लिए बंद हो जाता है । सूर्य-चन्द्र की किरणों द्वारा जो सूक्ष्म तत्त्वों में हलचल होती रहती है वह भी उस समय बंद हो जाती है । हमारे जो सूक्ष्म, सूक्ष्मतर, सूक्ष्मतम अवयव हैं उनमें भी हिलचाल नहींवत् हो जाती है । यही कारण है कि ग्रहण के समय कोई भी गंदा भाव या गंदा कर्म होता है तो वह स्थायी हो जाता है क्योंकि पसार नहीं हो पाता है । इसलिए ग्रहण से थोड़ी देर पहले से ही अच्छे विचार और अच्छे कर्म में लग जायें ताकि अच्छाई गहरी, स्थिर हो जाय पूज्य बापूजी के सत्संग में आता है : ‘‘ग्रहण है तो कुछ-न-कुछ उथल-पुथल होगी । यदि अच्छा वातावरण है तो उथल-पुथल अच्छे ढंग से होगी । जैसे मोम पिघलता है तब उसमें बढ़िया रंग डालो तो बढ़िया रंग की मोमबत्ती बनती है और हल्का रंग डालो तो हल्के रंगवाली मोमबत्ती बनती है ऐसे ही इन दिनों में जैसा, जितना जप-तप होता है उतना बढ़िया लाभ मिलता है ।’’ सूर्य ग्रहण स्पेशल Full Episode HD में देखने के लिए Click Here

’21 जून को है चूड़ामणि योग’

महर्षि वेदव्यासजी कहते हैं : ‘‘रविवार को सूर्यग्रहण अथवा सोमवार को चन्द्रग्रहण हो तो ‘चूड़ामणि योग’ होता है जिसमें सूर्यग्रहण में जो पुण्य होता है ,उससे करोड़ गुना पुण्य कहा गया है ।’’ 21 जून को जो सूर्य ग्रहण है वो रविवार को है इसलिए चूड़ामणि योग बनता है |

Surya Grahan 21 June 2020 Time in India [सूर्य ग्रहण भारत में समय]

  • 21 जून (रविवार) को होने वाला सूर्यग्रहण सम्पूर्ण भारत सहित एशिया, अफ्रीका के अधिकांश भाग, दक्षिण-पूर्वी यूरोप तथा ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी भाग में दिखेगा । यह ग्रहण उत्तर भारत के कुछ भागों में कंकणाकृति और अधिकांश भारत में खंडग्रास दिखेगा ।
  • गत वर्ष 26 दिसम्बर के सूर्यग्रहण के पूर्व ‘ऋषि प्रसाद’ में उस ग्रहण-संबंधी जो भविष्यवाणी प्रकाशित की गयी थी कि ‘इससे भारी उलटफेर होगा…’ उसकी सत्यता उसके पश्चात् काल में और अभी भी देखने को मिल रही है ।
  • इस वर्ष 21 जून को होनेवाला सूर्यग्रहण भी भारी विनाशक योग का सर्जन कर रहा है । यह देश व दुनिया के लिए महा दुःखदायी है । इस योग से पृथ्वी का भार कम होगा । पूज्य बापूजी ने वर्षों पूर्व सत्संग में संकेत कर दिया था कि ‘‘आसुरी वृत्ति की सफाई का समय आ रहा है, दैवी वृत्ति की नींवें पड़ रही हैं । कुछ समय बाद सफाई होगी, फाइटर भागेंगे, उड़ेंगे ।’’
स्थान ग्रहण प्रारंभ(सुबह) ग्रहण समाप्ति(दोप.)
Ahmedabad 10.03 से 01.33 तक
Delhi 10.20 से 01.49 तक
Surat & Nashik 10.09 से 01.33 तक
Guwahati 10.47 से 02.25 तक
Jodhpur 10.08 से 01.37 तक
Lucknow 10.26 से 01.49 तक
Bhopal 10.14 से 01.48 तक
Raipur 10.25 से 02.00 तक
Jammu 10.21 से 01.42 तक
Chandigarh 10.22 से 01.48 तक
Ranchi & Patna 10.36 से 02.10 तक
Kolkata 10.46 से 02.18 तक
Bhubaneswar 10.37 से 02.10 तक
Chennai 10.22 से 01.42 तक
Bengaluru 10.12 से 01.32 तक
Hyderabad 10.14 से 01.45 तक
Nagpur 10.17 से 01.51 तक
Mumbai 10.00 से 01.28 तक
स्थान ( विदेशों में ) ग्रहण प्रारंभ ग्रहण समाप्ति
Kathmandu (Nepal) सुबह 10.53 से दोप. 01.25 तक
Athens (Greece) सुबह 07.48 से सुबह 09.12 तक
Baku (Azerbaijan) सुबह 08.46 से दोप. 11.05 तक
Hagatna (USA) शाम 05.25 से शाम 06.51 तक
Nairobi (Kenya) सुबह 06.46 से सुबह 09.04 तक
Dubai सुबह 08.14 दोप. 11.13 तक
Hong Kong दोप. 02.36 से शाम 05.25 तक

सूर्य ग्रहण में क्या करना चाहिए [Do’s on Solar Eclipse June 2020]

Surya Grahan Time Me Kya Karna Chaiye :

  • पूज्य बापूजी के निर्देशानुसार रविवार ( 21 जून ) को सूर्य ग्रहण के समय गुरुमंत्र और ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः ।” इन दो मंत्रों का जप करना है । (यदि गुरुमंत्र नहीं लिया है तो इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप करें व पूज्य बापूजी के आगमन पर दीक्षा अवश्य लें |) भगवन्नाम-जप न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
  • “ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः ।” (पद्म पुराण) यह मंत्र सूर्योपासना हेतु पावन व पुण्यदायी मंत्र है | आप जीभ तालू में लगाकर इसे पक्का करिये । अश्रद्धालु, नास्तिक व विधर्मी को यह मंत्र नहीं फलता । यह तो भारतीय संस्कृति के सपूतों के लिए है । बच्चों की बुद्धि बढ़ानी हो तो पहले इस मंत्र की महत्ता बताओ, उनकी ललक जगाओ, बाद में उनको मंत्र बताओ । यह सूर्यदेव का मूलमंत्र है । इससे तुम्हारा सूर्यकेन्द्र सक्रिय होगा । और यदि भगवान सूर्य का भ्रूमध्य में ध्यान करोगे तो तुम्हारी बुद्धि के अधिष्ठाता देव की कृपा विशेष आयेगी । बुद्धि में ब्रह्मसुख, ब्रह्मज्ञान का सामर्थ्य आयेगा । – पूज्य संत श्री आशारामजी बापू ।
  • ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है। ग्रहण को बिल्कुल ना देखें व बाहर ना निकलें।
  • सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर श्रेष्ठ साधक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी लें। ऐसा करने से वह मेधा (धारणाशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है । (ब्राह्मी घृत सभी संत श्री आशारामजी आश्रम व सेवा केन्द्रों पर उपलब्ध है | Buy now) (मासिक समाचार पत्र ‘लोक कल्याण सेतु, दिसम्बर 2019’ से)
  • भगवान वेदव्यास जी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- ‘सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।’
  • ग्रहण के पहले का बनाया हुआ अन्न ग्रहण के बाद त्याग देना चाहिए लेकिन ग्रहण से पूर्व रखा हुआ दही या उबाला हुआ दूध तथा दूध, छाछ, घी या तेल – इनमें से किसी में सिद्ध किया हुआ अर्थात् ठीक से पकाया हुआ अन्न (पूड़ी आदि) ग्रहण के बाद भी सेवनीय है परंतु ग्रहण के पूर्व इनमें कुशा डालना जरूरी है ।
  • ग्रहण का कुप्रभाव वस्तुओं पर न पड़े इसलिए मुख्यरूप से कुशा का उपयोग होता है । इससे पदार्थ अपवित्र होने से बचते हैं । कुशा नहीं है तो तिल डालें । इससे भी वस्तुओं पर सूक्ष्म-सूक्ष्मतम आभाओं का प्रभाव कुंठित हो जाता है । तुलसी के पत्ते डालने से भी यह लाभ मिलता है किंतु दूध या दूध से बने व्यंजनों में तिल या तुलसी न डालें ।
  • ग्रहण के सूतक से पूर्व गंगाजल पियें ।

सूर्य ग्रहण में क्या करना चाहिए [Do’s on Solar Eclipse June 2020]

  • पूज्य बापूजी के निर्देशानुसार रविवार ( 21 जून ) को सूर्य ग्रहण के समय गुरुमंत्र और ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः ।” इन दो मंत्रों का जप करना है । (यदि गुरुमंत्र नहीं लिया है तो इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप करे व पूज्य बापूजी के आगमन पर दीक्षा अवश्य ले |) भगवन्नाम-जप न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
  • ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः ।” (पद्म पुराण) यह मंत्र सूर्योपासना हेतु पावन व पुण्यदायी मंत्र है | आप जीभ तालू में लगाकर इसे पक्का करिये । अश्रद्धालु, नास्तिक व विधर्मी को यह मंत्र नहीं फलता । यह तो भारतीय संस्कृति के सपूतों के लिए है । बच्चों की बुद्धि बढ़ानी हो तो पहले इस मंत्र की महत्ता बताओ, उनकी ललक जगाओ, बाद में उनको मंत्र बताओ । यह सूर्यदेव का मूलमंत्र है । इससे तुम्हारा सूर्यकेन्द्र सक्रिय होगा । और यदि भगवान सूर्य का भ्रूमध्य में ध्यान करोगे तो तुम्हारी बुद्धि के अधिष्ठाता देव की कृपा विशेष आयेगी । बुद्धि में ब्रह्मसुख, ब्रह्मज्ञान का सामर्थ्य आयेगा । – पूज्य संत श्री आशारामजी बापू ।
  • ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है। ग्रहण को बिल्कुल ना देखें व बाहर ना निकलें।
  • सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर श्रेष्ठ साधक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले। ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है । (ब्राह्मी घृत सभी संत श्री आशारामजी आश्रम व सेवा केन्द्रों पर उपलब्ध है | Buy now) (मासिक समाचार पत्र ‘लोक कल्याण सेतु, दिसम्बर 2019’ से)
  • भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- ‘सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।’
  • ग्रहण के पहले का बनाया हुआ अन्न ग्रहण के बाद त्याग देना चाहिए लेकिन ग्रहण से पूर्व रखा हुआ दही या उबाला हुआ दूध तथा दूध, छाछ, घी या तेल – इनमें से किसीमें सिद्ध किया हुआ अर्थात् ठीक से पकाया हुआ अन्न (पूड़ी आदि) ग्रहण के बाद भी सेवनीय है परंतु ग्रहण के पूर्व इनमें कुशा डालना जरूरी है ।
  • ग्रहण का कुप्रभाव वस्तुओं पर न पड़े इसलिए मुख्यरूप से कुशा का उपयोग होता है । इससे पदार्थ अपवित्र होने से बचते हैं । कुशा नहीं है तो तिल डालें । इससे भी वस्तुओं पर सूक्ष्म-सूक्ष्मतम आभाओं का प्रभाव कुंठित हो जाता है । तुलसी के पत्ते डालने से भी यह लाभ मिलता है किंतु दूध या दूध से बने व्यंजनों में तिल या तुलसी न डालें ।
  • ग्रहण के सूतक से पूर्व गंगाजल पियें ।

सूर्य ग्रहण में क्या नहीं करना चाहिए [Dont’s on Solar Eclipse June 2020]

Surya Grahan par kya Na kare :

  • सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं। भोजन करने वाला अधोगति को जाता है । जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक ‘अरुन्तुद’ नरक में वास करता है।
  • ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। (स्कन्द पुराण)
  • जो नींद करता है उसको रोग जरूर पकड़ेगा, उसकी रोग प्रतिकारकता का गला घुटेगा ।
  • जो पेशाब करता है उसके घर में दरिद्रता आती है । जो शौच जाता है उसको कृमिरोग होता है तथा कीट की योनि में जाना पड़ता है ।
  • जो संसार-व्यवहार (सम्भोग) करते हैं उनको सूअर की योनि में जाना पड़ता है ।
  • तेल-मालिश करने या उबटन लगाने से कुष्ठरोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है ।
  • जीव-जंतु या किसी प्राणी की हत्या करनेवाले को नारकीय योनियों में जाना पड़ता है ।
  • पत्ते, तिनके, लकड़ी, फूल आदि न तोड़ें । दंतधावन, अभी ब्रश समझ लो, न करें ।
  • चिंता करते हैं तो बुद्धिनाश होता है ।
  • भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए । (देवी भागवत)
  • ग्रहण के दौरान हँसी-मजाक, नाच-गाना, ठिठोली आदि न करें क्योंकि ग्रहणकाल उस देवता के लिए संकट का काल है, उस समय वह ग्रह पीड़ा में होते हैं । अतः उस समय भगवन्नाम-जप, कीर्तन, ओमकार का जप आदि करने से संबंधित ग्रहों एवं जापक दोनों के लिए हितावह है ।
  • ग्रहण के समय बाहर न जायें न ही ग्रहण को देखें |
  • ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए ।
  • ठगाई करनेवाला सर्पयोनि में जाता है । चोरी करनेवाले को दरिद्रता पकड़ लेती है ।

ग्रहण के पश्चात् क्या करें ?

Surya Grahan Ke Baad Kya Karna Chahiye

  • ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी पहने हुए वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए ।
  • आसन, गोमुखी व मंदिर में बिछा हुआ कपड़ा भी धो दें । और दूषित ओरा के शुद्धिकरण हेतु गोमूत्र या गंगाजल का छिड़काव पूरे घर में कर सकें तो अच्छा है । (गोझारण अर्क सभी संत श्री आशारामजी आश्रम व समिति सेवाकेंद्रो पर उपलब्ध है |)
  • ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए । ग्रहण के स्नान में गरम की अपेक्षा ठंडा जल, ठंडा जल में भी दूसरे के हाथ से निकले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकला हुआ, निकले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा समुद्र का जल पवित्र माना जाता है । (नदी का पानी शुद्ध हो जो आजकल शहरों में नदी का पानी प्रदूषित होता है वो नुकसान कारक है, इसमें स्नान न करें | )
  • ग्रहण के बाद स्नान करके खाद्य वस्तुओं में डाले गये कुश एवं तुलसी को निकाल देना चाहिए ।
  • सूर्य या चन्द्र जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए ।
सूर्य ग्रहण स्पेशल Full Episode HD में देखने के लिए Click Here

सूर्य गृहण 21 जून 2020: गर्भवती महिलाओं के लिए टिप्स [Tips for Pregnant Women]

  • गर्भिणी अगर चश्मा लगाती हो और चश्मा लोहे का हो तो उसे ग्रहणकाल तक निकाल देना चाहिए । बालों पर लगी पिन या नकली गहने भी उतार दें ।
  • ग्रहणकाल में गले में तुलसी की माला या चोटी में कुश धारण कर लें ।
  • ग्रहण के समय गर्भवती चाकू, कैंची, पेन, पेन्सिल जैसी नुकीली चीजों का प्रयोग न करें क्योंकि इससे शिशु के होंठ कटने की सम्भावना होती है ।
  • सूई का उपयोग अत्यंत हानिकारक है, इससे शिशु के हृदय में छिद्र हो जाता है । किसी भी लोहे की वस्तु, दरवाजे की कुंडी आदि को स्पर्श न करें, न खोलें और न ही बंद करें । ग्रहणकाल में सिलाई, बुनाई, सब्जी काटना या घर से बाहर निकलना व यात्रा करना हानिकारक है ।
  • ग्रहण के समय भोजन करने से मधुमेह (डायबिटीज) का रोग हो जाता है या बालक बीमार होता है ।
  • ग्रहणकाल में पानी पीने से गर्भवती स्त्री के शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) हो जाती है, जिस कारण बालक की त्वचा सूख जाती है ।
  • लघुशंका या शौच जाने से बालक को कब्जियत का रोग होता है ।
  • गर्भवती वज्रासन में न बैठे अन्यथा शिशु के पैर कटे हुए हो सकते हैं । शयन करने से शिशु अंधा या रोगी हो सकता है । ग्रहणकाल में बर्तन आदि घिसने से शिशु की पीठ पर काला दाग होता है ।
  • ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग आंखों के लिए अधिक हानिकारक है । उस दौरान निकले रेडियेशन से गर्भस्थ शिशु के विकास में रुकावट आ सकती है । कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार इसके कारण शिशु तनाव में भी जा सकता है ।
  • गर्भवती ग्रहणकाल में अपनी गोद में एक सूखा हुआ छोटा नारियल (श्रीफल) लेकर बैठे और ग्रहण पूर्ण होने पर उस नारियल को नदी अथवा अग्नि में समर्पित कर दे ।
  • ग्रहण से पूर्व देशी गाय के गोबर व तुलसी-पत्तों का रस (रस न मिलने पर तुलसी-अर्क का उपयोग कर सकते हैं) का गोलाई से पेट पर लेप करें । देशी गाय का गोबर न उपलब्ध हो तो गेरूमिट्टी का लेप करें अथवा शुद्ध मिट्टी का ही लेप कर लें । इससे ग्रहणकाल के दुष्प्रभाव से गर्भ की रक्षा होती है ।

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तो कल्पनातीत मेधा शक्ति बढ़ेगी - पूज्य बापूजी

नारद पुराण के अनुसार सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण के समय उपवास करे और ब्राह्मी घृत को उँगली से स्पर्श करे एवं उसे देखते हुए ‘ॐ नमो नारायणाय।’ मंत्र का ८००० बार (८० माला) जप करे। थोड़ा शांत बैठे। ग्रहण-समाप्ति पर स्नान के बाद घी का पान करे तो बुद्धि विलक्षण ढंग से चमकेगी, बुद्धि शक्ति बढ़ जायेगी, कल्पनातीत मेधा शक्ति, कवित्वशक्ति और वचन सिद्धि (सिद्धि) प्राप्त हो जायेगी।

तो कल्पनातीत मेधा शक्ति बढ़ेगी - पूज्य बापूजी

नारद पुराण के अनुसार सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण के समय उपवास करे और ब्राह्मी घृत को उँगली से स्पर्श करे एवं उसे देखते हुए ‘ॐ नमो नारायणाय।’ मंत्र का ८००० बार (८० माला) जप करे। थोड़ा शांत बैठे। ग्रहण-समाप्ति पर स्नान के बाद घी का पान करे तो बुद्धि विलक्षण ढंग से चमकेगी, बुद्धि शक्ति बढ़ जायेगी, कल्पनातीत मेधा शक्ति, कवित्वशक्ति और वचन सिद्धि (सिद्धि) प्राप्त हो जायेगी।
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Some FAQ’s for Solar Eclipse June 2020 [Surya Grahan] शंका समाधान

ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
सूर्यग्रहण में 4 प्रहर (12 घंटे) और चन्द्रग्रहण में 3 प्रहर (9 घंटे) पहले से सूतक माना जाता है । इस समय सशक्त व्यक्तियों को भोजन छोड़ देना चाहिए । इससे आयु, आरोग्य, बुद्धि की विलक्षणता बनी रहेगी । लेकिन जो बालक, बूढ़े, बीमार व गर्भवती स्त्रियाँ हैं वे ग्रहण से 1 से 1.5 प्रहर (3 से 4.5 घंटे) पहले तक चुपचाप कुछ खा-पी लें तो चल सकता है । बाद में खाने से स्वास्थ्य के लिए बड़ी हानि होती है । गर्भवती महिलाओं को तो ग्रहण के समय खास सावधान रहना चाहिए ।
  • ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी पहने हुए वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए ।
  • आसन, गोमुखी व मंदिर में बिछा हुआ कपड़ा भी धो दें । और दूषित औरा के शुद्धिकरण हेतु गोमूत्र या गंगाजल का छिड़काव पूरे घर में कर सकें तो अच्छा है ।
  • ग्रहण के बाद स्नान करके खाद्य वस्तुओं में डाले गये कुश एवं तुलसी को निकाल देना चाहिए ।
  • सूर्य या चन्द्र जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए ।
रात्रि 10 बजे सूतक लगने से पहले भोजन कर लीजिए उसके बाद कोई भी स्वस्थ व्यक्ति (बच्चे,बुढ़े, गर्भिणी स्त्रियों व रोगियों को छोड़कर) भोजन नहीं करें।
सूर्यग्रहण में खाना नहीं बनाना चाहिए
सूर्य ग्रहण के समय नहीं सोना चाहिए , जो नींद करता है उसको रोग जरूर पकड़ेगा, उसकी रोगप्रतिकारकता का गला घुटेगा।
आज 20 जून शनिवार को दोपहर 11:52 से ही अमावस्या शुरू हो रही है, उससे पहले ही तुलसी पत्र कुशा आदि तोड़कर रख लें (अनाज, खाद्य पदार्थों में रखने हेतु) , ध्यान रखें कि दूध में कभी भी तुलसी पत्र नहीं डाला जाता । नॉट : रविवार को तुलसी न तोड़ सकते हैं न खा सकते हैं नॉट : अमावस्या को भी किसी वृक्ष से फल फूल पत्र आदि तोड़े नहीं जाते हैं ।

ग्रहण काल अतवा सूतक काल में जल नहीं चढ़ाना है

सो सकते हैं लेकिन चूंकि सोकर तुरंत उठने के बाद जल-पान, लघुशंका-शौच आदि की स्वाभाविक प्रवृत्ति की आवश्यकता पड़ती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के करीब 4 घंटें पहले उठ जाना चाहिए जिससे लघुशंका-शौच आदि की आवश्यकता होने पर इनसे निवृत्त हो सके और ग्रहणकाल में समस्या न आये ।
बिल्कुल नहीं । नारद पुराण के अनुसार – ‘‘चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के दिन, उत्तरायण और दक्षिणायन प्रारम्भ होने के दिन कभी अध्ययन न करे । अनध्याय (न पढ़ने के दिनों में) के इन सब समयों में जो अध्ययन करते हैं, उन मूढ़ पुरुषों की संतति, बुद्धि, यश, लक्ष्मी, आयु, बल तथा आरोग्य का साक्षात् यमराज नाश करते हैं ।’’
21 जून सुबह को पानी पीना है उसके लिए एक रात पहले 20 जून को सूतक लगने से पहले ही पानी में कुशा आदि डाल दें जिससे सूतक के कारण पानी अशुद्ध न हो, तुलसी पत्र इसीलिए नहीं डाल सकते क्योंकि 21 जून को रविवार है । सुबह सुबह पानी पी लीजिये, क्योंकि 2 घण्टे के अंदर अंदर यह पानी पसीने व लघुशंका आदि के द्वारा शरीर से बाहर चला जायेगा ।
ग्रहण के समय पूजा की जगह पर गंगाजल आदि रख लेने से जप का फल भी कई गुना ज्यादा मिलता है ।
इसमें अलग-अलग विचारकों का अलग-अलग मत है । कुछ जानकार लोगों का कहना है कि चूंकि सूतक का समय-अवधि अधिक होने से 12 घंटें का सूतक एवं लगभग 3.5 घंटें ग्रहण का समय टोटल 15.5 घंटें बिना जल-पान का रहना सामान्य तौर पर सबके लिए सम्भव नहीं है अतः सूतक काल में सूतक लगने के पूर्व जल में तिल या कुशा डालकर रखना चाहिए और सूतक के दौरान प्यास लगने पर वही जल पीना चाहिए । इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जल-पान के बाद 2 से 4 घंटों के अंदर लघुशंका (पेशाब) की प्रवृत्ति होती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के 4 घंटे पूर्व से जलपान करने से भी बचना चाहिए नहीं तो ग्रहण के दौरान समस्या आती है ।
ग्रहणकाल पूरा होने पर स्नान आदि से शुद्ध होने के बाद 6 से 12 ग्राम घृत का सेवन करके ऊपर से गर्मपानी पी लेना चाहिए । शेष बचा ब्राह्मी घृत प्रतिदिन सुबह खाली पेट इसी विधि से 6 से 12 ग्राम ले सकते हैं ।

ग्रहणकाल के दौरान किये जानेवाले ‘विलक्षण बुद्धिवर्धक, कल्पनातीत मेधाशक्ति वर्धक, कवित्वशक्ति और वचनसिद्धि (वाक्सिद्धि) प्रदायक’ प्रयोग, विधि एवं मंत्र जानने हेतु पढ़ें ‘संत श्री आशारामजी आश्रम’ से प्रकाशित आध्यात्मिक मासिक पत्रिका ‘ऋषि प्रसाद, अप्रैल-मई 2020’ का संयुक्तांक ।

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सूर्य ग्रहण

21 जून 2020

21 June 2020

सूर्य ग्रहण [Surya Grahan]