बाल संस्कार केन्द्र मतलब क्या ?
आज का सुविचार
बाल संस्कार सेवाकार्य
प्रेरक प्रसंग
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हमारी सनातन संस्कृति में व्रत, त्यौहार और उत्सव अपना विशेष महत्व रखते हैं। सनातन धर्म में पर्व और त्यौहारों का इतना बाहूल्य है कि यहाँ के लोगो में ‘सात वार नौ त्यौहार’ की कहावत प्रचलित हो गयी।
जीवन में पूर्ण सफल वही होता है, पूर्ण जीवन वही जीता है, पूर्ण परमेश्वर को वही पाता है जो संयमी है, सदाचारी है और ब्रह्मचर्य का पालन करता है।
संस्कार
आप अपने बच्चों को धन न दे सके तो कोई बात नहीं, बड़े-बड़े बंगले, कोठियाँ , गाड़ियाँ, बैंक बैलेंस, न दे सके तो कोई बात नहीं परंतु अच्छे संस्कार जरूर दें । यह संस्कारों की पूँजी आपके लाड़लों को जीवन के हर क्षेत्र में सफल बनायेगी, यहाँ तक कि लक्ष्मीपति भगवान से भी मिलने के योग्य बना देगी । बच्चों के मन में अच्छे संस्कार डालना यह हम सबका कर्तव्य है, इसमें प्रमाद नहीं करना चाहिए ।” – पूज्य संत श्री आशारामजी बापू
योग-प्राणायाम
साधारण मनुष्य अन्नमय, प्राणमय और मनोमय कोष में जीता है। जीवन की तमाम सुषुप्त शक्तियाँ नहीं जगाकर जीवन व्यर्थ खोता है। इन शक्तियों को जगाने में आपको आसन खूब सहाय रूप बनेंगे। आसन के अभ्यास से तन तन्दरूस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि तीक्षण बनेगी। जीवन के हर क्षेत्र में सुखद स्वप्न साकार करने की कुँजी आपके आन्तर मन में छुपी हुई पड़ी है। आपका अदभुत सामर्थ्य प्रकट करने के लिए ऋषियों ने समाधी से सम्प्राप्त इन आसनों का अवलोकन किया है।
संस्कार
आप अपने बच्चों को धन न दे सके तो कोई बात नहीं, बड़े-बड़े बंगले, कोठियाँ , गाड़ियाँ, बैंक बैलेंस, न दे सके तो कोई बात नहीं परंतु अच्छे संस्कार जरूर दें । यह संस्कारों की पूँजी आपके लाड़लों को जीवन के हर क्षेत्र में सफल बनायेगी, यहाँ तक कि लक्ष्मीपति भगवान से भी मिलने के योग्य बना देगी । बच्चों के मन में अच्छे संस्कार डालना यह हम सबका कर्तव्य है, इसमें प्रमाद नहीं करना चाहिए ।” – पूज्य संत श्री आशारामजी बापू
योग-प्राणायाम
साधारण मनुष्य अन्नमय, प्राणमय और मनोमय कोष में जीता है। जीवन की तमाम सुषुप्त शक्तियाँ नहीं जगाकर जीवन व्यर्थ खोता है। इन शक्तियों को जगाने में आपको आसन खूब सहाय रूप बनेंगे। आसन के अभ्यास से तन तन्दरूस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि तीक्षण बनेगी। जीवन के हर क्षेत्र में सुखद स्वप्न साकार करने की कुँजी आपके आन्तर मन में छुपी हुई पड़ी है। आपका अदभुत सामर्थ्य प्रकट करने के लिए ऋषियों ने समाधी से सम्प्राप्त इन आसनों का अवलोकन किया है।