हेमंत ऋतु में स्वास्थ्य रक्षा | Healthy Lifestyle Tips For Hemant Ritu in hindi
Hemant Ritu 2022 – 23 अक्टूबर से 20 दिसम्बर यह ऋतु विसर्गकाल अर्थात् दक्षिणायन का अन्तकाल कहलाती है । इस काल में चन्द्रमा की शक्ति सूर्य की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली होती है इसलिये इस ऋतु में औषधियाँ, वृक्ष, पृथ्वी व जीव-जन्तुओं की पौष्टिकता में भरपूर वृद्धि होती है । शीत ऋतु में शरीर में कफ का संचार होता है तथा पित्तदोष का नाश होता है । शीत ऋतु में जठराग्नि
25 October Surya Grahan 2022 for Pregnant ladies: dos and donts
Surya Grahan 2022 For Pregnant Ladies What to do in Surya Grahan during pregnancy ? [Kya Karna Chaiye Surya Grahan me Garbhvati Mahila Ko] गर्भिणी अगर चश्मा लगाती हो और चश्मा लोहे का हो तो उसे ग्रहणकाल तक निकाल देना चाहिए । बालों पर लगी पिन या नकली गहने भी उतार दें । ग्रहणकाल में गले में तुलसी की माला या चोटी में कुश धारण कर लें । गर्भवती ग्रहणकाल
Chandra Grahan 2022 Pregnancy Precautions| Kya Nahi Karna
Chandra Grahan November 2022 Me Kya Kare; Kya Na Kare गर्भिणी के लिए ग्रहण के कुछ नियम विशेष पालनीय होते हैं । इन्हें कपोलकल्पित बातें अथवा अंधविश्वास नहीं मानना चाहिए, इनके पीछे शास्त्रोक्त कारण हैं । ग्रहण के प्रभाव से वातावरण, पशु-पक्षियों के आचरण आदि में परिवर्तन दिखाई देते हैं इससे स्पष्ट है कि मानवीय शरीर तथा मन के क्रिया-कलापों में भी परिवर्तन होते हैं । ग्रहणकाल में कुछ कार्य
Gulkand Khane Ke Fayde in Hindi, Gulkand Benefits for Liver etc
Gulkand Khane Ke Fayde in Hindi, Rose Gulkand Benefits: गर्मी के दिनों में शारीरिक गर्मी बढ़ने से दाह, जलन, पित्तदोष आदि विकारों का सामना करना पड़ता है । अतः पहले से ही शरीर को ठंडक पहुँचाने वाले पित्तशामक पदार्थों का सेवन शुरू करना हितकारी है । ऐसे पदार्थों में एक प्रमुख पदार्थ है ‘गुलकंद’ । आश्रम में प्रवालपिष्टी, जात्री, सौंफ और इलायची से युक्त गुलकंद बनाया गया है, जो बाजारू
Best Foods for Summer Season [Grishma Ritu Me Kya Khaye]
वसंत ऋतु की समाप्ति के बाद ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ होती है । अगर इन दिनों में वातप्रकोपक आहार-विहार करते रहें तो यही संचित वात ग्रीष्म ऋतु के बाद आने वाली वर्षा ऋतु में अत्यंत कुपित होकर विविध व्याधियों को आमंत्रण देता है । ग्रीष्म ऋतु में प्राणियों के शरीर का जलीयांश कम हो जाता है जिससे कमजोरी, बेचैनी, ग्लानि, अनुत्साह, थकान आदि परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं और प्यास ज्यादा लगती