Chandra Grahan FAQ
Chandra Grahan on Sharad Purnima 2023 FAQ’s [Answers]
ग्रहण संबंधी शंका-समाधान Sharad Purnima Chandra Grahan 2023 शरद पूर्णिमा कब मनानी है ? 28 अक्टूबर 2023, शनिवार को खीर प्रसादी कब बनानी है और कब सेवन करना है ? रात्रि 2:22 (29 अक्टूबर 2:22 AM) के बाद स्नान आदि करके खीर बना के चाँदनी में रख लें । यथासम्भव 1-2 घंटें पुष्ट होने के बाद खा लें । खीर प्रसादी चन्द्रमा की किरणों में कब रखनी है ? खंडग्रास चंद्रग्रहण
Lunar-eclipse-chandra-grahan-mobile
Chandra Grahan 2023 – Grahan Time 28 Oct. 2023
Chandra Grahan 28 Oct. 2023 ग्रहण एवं सूतककाल का समय ग्रहणकाल में क्या करे क्या न करें एवं विस्तार से संपूर्ण जानकारी पढ़ें : Click Here स्थान सूतक प्रारम्भ (सभी के लिए) सूतक प्रारम्भ (बालक, वृद्ध, रोगी एवं गर्भवती महिलाओं के लिए) ग्रहण समय India (सम्पूर्ण भारत) 28 अक्टूबर शाम 4-06 से 28 अक्टूबर रात्रि 8-36 से 28 अक्टूबर रात्रि 1-06 से 2-22 (29 अक्टूबर 1-06 AM से 2-22 AM)
healthy lifestyle tips
हेमंत ऋतु में स्वास्थ्य रक्षा | Healthy Lifestyle Tips For Hemant Ritu in hindi
Hemant Ritu 2022 – 23 अक्टूबर से 20 दिसम्बर यह ऋतु विसर्गकाल अर्थात् दक्षिणायन का अन्तकाल कहलाती है । इस काल में चन्द्रमा की शक्ति सूर्य की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली होती है इसलिये इस ऋतु में औषधियाँ, वृक्ष, पृथ्वी व जीव-जन्तुओं की पौष्टिकता में भरपूर वृद्धि होती है । शीत ऋतु में शरीर में कफ का संचार होता है तथा पित्तदोष का नाश होता है । शीत ऋतु में जठराग्नि
preganancy-tips-surya-grahan
25 October Surya Grahan 2022 for Pregnant ladies: dos and donts
Surya Grahan 2022 For Pregnant Ladies What to do in Surya Grahan during pregnancy ? [Kya Karna Chaiye Surya Grahan me Garbhvati Mahila Ko] गर्भिणी अगर चश्मा लगाती हो और चश्मा लोहे का हो तो उसे ग्रहणकाल तक निकाल देना चाहिए । बालों पर लगी पिन या नकली गहने भी उतार दें । ग्रहणकाल में गले में तुलसी की माला या चोटी में कुश धारण कर लें । गर्भवती ग्रहणकाल
Tips for Pregnant Women for Chandra Grahan
Chandra Grahan 2023 Pregnancy Precautions| Kya Nahi Karna
Chandra Grahan October 2023 Me Kya Kare; Kya Na Kare गर्भिणी के लिए ग्रहण के कुछ नियम विशेष पालनीय होते हैं । इन्हें कपोलकल्पित बातें अथवा अंधविश्वास नहीं मानना चाहिए, इनके पीछे शास्त्रोक्त कारण हैं । ग्रहण के प्रभाव से वातावरण, पशु-पक्षियों के आचरण आदि में परिवर्तन दिखाई देते हैं इससे स्पष्ट है कि मानवीय शरीर तथा मन के क्रिया-कलापों में भी परिवर्तन होते हैं । ग्रहणकाल में कुछ कार्य