Trikal Sandhya: Importance, Timings, Benefits (Fayde), Shlok
सामान्य दृष्टि से सन्ध्या माने दो समयों का मिलन और तात्विक दृष्टि से सन्ध्या का अर्थ है जीवात्मा और परमात्मा का मिलन । ‘सन्ध्या’ जीव को स्मरण कराती है उस आनंदघन परमात्मा का, जिससे एकाकार
सामान्य दृष्टि से सन्ध्या माने दो समयों का मिलन और तात्विक दृष्टि से सन्ध्या का अर्थ है जीवात्मा और परमात्मा का मिलन । ‘सन्ध्या’ जीव को स्मरण कराती है उस आनंदघन परमात्मा का, जिससे एकाकार
Biological Clock (जैविक घड़ी) of Human Body प्रातः 3 से 5 – ( जीवनी शक्ति विशेषरूप से फेफ़डों में होती है ) थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना । शरीर
पूज्य बापू जी ने सोने की सुंदर कला सिखाते हुए बताया है – “रात को थके-मांदे होकर भरे बोरे की नाँईं बिस्तर पर मत गिरो। सोते समय बिस्तर पर ईश्वर से प्रार्थना करो कि ‘हे
योग निद्रा – रात्रि शयन को परमात्मप्राप्ति का साधन बनाने की क्रिया को योग निद्रा कहा जाता है। रात को थके-मांदे होकर भरे बोरे की नाँईं बिस्तर पर मत गिरो। सोते समय बिस्तर पर ईश्वर
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम्।। “जो व्यक्ति माता-पिता एवं गुरूजनों को प्रणाम करते हैं और उनकी सेवा करते हैं उनकी आयु, विद्या, यश तथा बल – चार पदार्थ बढ़ते हैं।”
आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों में खड़े होकर भोजन करने का रिवाज चल पडा है लेकिन हमारे शास्त्र कहते हैं कि हमें नीचे बैठकर ही भोजन करना चाहिए । खड़े होकर भोजन करने से जो हानियाँ
अच्छे बालक की पहचान, बतलाते सद्गुरु भगवान । सुबह ब्राह्ममुहूर्त में उठता, करता परमात्मा का ध्यान । करदर्शन कर,धरती माँ के, नित करता चरणों में प्रणाम। नित्य क्रिया से निवृत्त होकर, नित करता ऋषि-स्नान। पूर्वाभिमुख