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कोरोना से बचने के लिए सावधानियाँ [Coronavirus Se Kaise Bache]

corona basil tulsi

नियमित रूप से तुलसी के ५-७ पत्ते खाने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है और संक्रामक रोगों से रक्षा होती है ।

हैंडवाश अथवा साबुन से दिन में बार-बार हाथ धोयें । (कम में कम २०सैंकड)

Corona Hand wash

रोज प्रातः व सायं देशी गाय के गोबर से निर्मित कण्डे पर गौघृत मिश्रित चावल के दाने व कपूर डालकर घर में धूप धुआ भी कर सकते हैं । यह सब ना हो तो गौचंदन धूप भी जला सकते हैं ।

corona exercise yoga

नियमित रूप से जप-ध्यान, प्राणायाम, योगासन, सूर्यस्नान करें १० बार गहरे श्वास लें और छोड़ें । इससे रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है ।

खाने में टमाटर, फूलगोभी, अजवाइन, अंगूर व नारंगी (संतरा) रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाते हैं, इनका उपयोग करें । लहसुन का भी उपयोग कर सकते हैं ।

रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाने के लिये गिलोय, तुलसी, आँवला, अदरक, हल्दी, गो-मूत्र आदि का यथायोग्य उपयोग करें ।

corona immunity booster
corona hot water

दिन में दो बार गरम पानी में नमक व हल्दी डालकर गरारे करें । इससे गले के संक्रमण से रक्षा होती है ।

रात को सोते समय दूध में आधा चम्मच हल्दी व एक कली लहसून डालकर उबालकर पियें ।

corona turmeric hot milk

जिन्हें सर्दी-जुकाम आदि हो वो सोने से पहले चेहरे, गले व मुँह में भाप लें ।

corona nebulizer hot steam
corona havan

पीने के लिए गुनगुने पानी का उपयोग करें ।

कोरोना से बचने के लिए सावधानियाँ [Coronavirus Se Kaise Bache]

corona basil tulsi

नियमित रूप से तुलसी के ५-७ पत्ते खाने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है और संक्रामक रोगों से रक्षा होती है ।

Corona Hand wash

हैंडवाश अथवा साबुन से दिन में बार-बार हाथ धोयें । (कम में कम २०सैंकड)

रोज प्रातः व सायं देशी गाय के गोबर से निर्मित कण्डे पर गौघृत मिश्रित चावल के दाने व कपूर डालकर घर में धूप धुआ भी कर सकते हैं । यह सब ना हो तो गौचंदन धूप भी जला सकते हैं ।

corona exercise yoga

नियमित रूप से जप-ध्यान, प्राणायाम, योगासन, सूर्यस्नान करें १० बार गहरे श्वास लें और छोड़ें । इससे रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है ।

खाने में टमाटर, फूलगोभी, अजवाइन, अंगूर व नारंगी (संतरा) रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाते हैं, इनका उपयोग करें । लहसुन का भी उपयोग कर सकते हैं ।

corona immunity booster

रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाने के लिये गिलोय, तुलसी, आँवला, अदरक, हल्दी, गो-मूत्र आदि का यथायोग्य उपयोग करें ।

corona hot water

दिन में दो बार गरम पानी में नमक व हल्दी डालकर गरारे करें । इससे गले के संक्रमण से रक्षा होती है ।

corona turmeric hot milk

रात को सोते समय दूध में आधा चम्मच हल्दी व एक कली लहसून डालकर उबालकर पियें ।

corona nebulizer hot steam

जिन्हें सर्दी-जुकाम आदि हो वो सोने से पहले चेहरे, गले व मुँह में भाप लें ।

corona havan

पीने के लिए गुनगुने पानी का उपयोग करें ।

कोरोना त्रासदी पर विशेष

विपदा से पहले लौटें अपनी जड़ों की ओर

मांसाहार व अभक्ष्य आहार का त्याग जैसे भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों की अवहेलना के घातक दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं यह अब सभी को खूब प्रत्यक्ष हो रहा है । विश्वभर में आतंक मचाकर तबाही कर रहा कोरोना विषाणु (वायरस) इसका एक ताजा उदाहरण है । कोरोना वायरस रोग ने एक महामारी का रूप धारण कर लिया है । केवल 4 महीने में चीन में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 84325 के ऊपर पहुँच गयी है, जिसमें 4642 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है । अब तक यह वायरस ईरान, अफगानिस्तान, ईराक, ओमान आदि 210 से अधिक देशों में फैल चुका है और पूरे विश्व में संक्रमित लोगों की संख्या 2920877 से अधिक है । भारत में भी इसने प्रवेश किया था लेकिन फिलहाल स्थिति नियंत्रण में बतायी गयी है । इसके पहले सार्स रोग ने खूब तबाही मचायी थी जो पशुओं से मनुष्य-शरीर में आया था ।

कहाँ से आये ये कोरोना जैसे वायरस ?

वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोनावायरस प्राणी से मनुष्य में संक्रमित हुआ वायरस है । मांसाहार करने के लिए जानवरों को प्राप्त करने और मांस तैयार करने की प्रक्रिया में लिप्त मांसाहार के व्यापारी और उसे खाने के शौकीन लोग जानवर के स्पर्श, श्वासोच्छवास, सेवन आदि द्वारा अपने जीवन को जानलेवा बीमारियों एवं अकाल मौत के मुँह में धकेल देते हैं । शाकाहारी जीवन जियें तो क्यों ऐसी महामारियाँ होंगी ? मांसाहारी व्यक्ति केवल अपने लिए प्राणघातक नहीं है अपितु शाकाहारियों के लिए भी खतरा है क्योंकि ऐसे वायरस से रोग फिर मनुष्यों से मनुष्यों में फैलते हैं । अब चीन ने जंगली पशुओं के व्यापार और उनके उपभोग पर रोक लगा दी है ।
वायरस का नाम
कौन सा रोग फैलाया
नॉवेल कोरोनावायरस
कोरोनावायरस रोग 2019
एच.आई.वी.
एडस(AIDS)
एच5एन1
एच5एन1 ऐवियन इन्फ्लुएंजा अथवा बर्ड फ्लू
ईबोला
ईबोला वायरस रोग
निपाह
निपाह वायरस संक्रमण
सार्स
कोरोनावायरस सार्स
एच1एन1
स्वाइन फ्लू

कैसे करें रोकथाम ?

  1. शाकाहार ऐसे वायरसों से रक्षा करता है ।
  2. ये वायरस उन्हीं पर हमला करते हैं जिनकी रोगप्रतिकारक शक्ति कमजोर होती है अतः इसकी रोकथाम का सबसे अच्छा और सरल तरीका है कि देशी गाय के गोबर के कंडे अथवा ‘गौ-चंदन धूपबत्ती’ को जलाकर उस पर देशी घी या नारियल तेल की बूँदें, गूगल, कपूर डाल के धूप करें । इसमें वायरस पनप नहीं सकता । इससे सभी जगह उसकी रोकथाम की जा सकती है । साथ ही इससे विभिन्न बीमारियों के विषाणु, जीवाणु नष्ट होकर आरोग्यप्रद, सुखमय वातावरण का निर्माण होगा । दूरद्रष्टा महापुरुष पूज्य बापू जी ने उपरोक्त प्रकार के गोबर के कंडे के धूप का पिछले कई दशकों से व्यापक प्रचार-प्रसार किया है और स्वास्थ्य, रोगप्रतिरोधक शक्ति वर्धक ‘गौचंदन धूपबत्ती’ एवं इसी के साथ स्मृतिवर्धन का लाभ भी दिलाने हेतु ‘स्पेशल गौ-चंदन धूपबत्ती’ की खोज की । वही तथ्य आज चिकित्सा-ऩिष्णातों की समझ में आ रहा है कि गाय के गोबर के कंडे पर किया गया धूप वातावरण को ऐसे खतरनाक विषाणुओं से भी मुक्त रखने में कारगर है !
  3. पूज्य बापू जी के सत्संग में आने वाले एवं ‘ऋषि प्रसाद’ में छपने वाले रोगप्रतिकारक शक्तिवर्धक अन्य उपायों का अवलम्बन लेते रहना चाहिए ।
corona safety tips

ठोकर खाने से पहले ही सँभल जायें

  • कोरोनावायरस रोग की भीषण महामारी से त्रस्त होकर आज विश्व को शाकाहार और भारत के महापुरुषों के सिद्धान्तों की ओर तो आखिर में मुड़ना ही पड़ रहा है । लेकिन कितना अच्छा होता कि पहले से ही मांस भक्ष्ण न करने की महापुरुषों की उत्तम सीख को मानकर निर्दोष मूक प्राणियों की हिंसा से और इस रोग से बचा जाता !
  • जब-जब शास्त्रों व महापुरुषों की दूरदृष्टिसम्पन्न हित व करूणाभरी सलाह को ठुकराया जाता है तब-तब देर-सवेर उसके घातक परिणाम भुगतने ही पड़ते हैं और मजबूर होकर शास्त्रों-महापुरुषों के सिद्धान्तों को मानना पड़ता है । ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने हैं :
  • संयम-ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए । हमारे ऋषियों-मुनियों के इस सिद्धान्त को अनदेखा करके जो देश ‘फ्री-सेक्स’ की विचारधारा अपनाने की ओर चले वहाँ एड्स जैसी जानलेवा बीमारियाँ आ धमकीं, वहाँ से दूर-दूर तक फैलीं और उन देशों को अरबों डॉलर खर्च करके संयम की शिक्षा देनी पड़ रही है और फिर भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं । अंतर्राष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ द्वारा प्रकाशित इऩ्नसेंटी रिपोर्ट कार्ड नम्बर 3 के अनुसार ‘अमेरिका के स्कूलों में यौन-संयम की शिक्षा देने के लिए 1996 से 2001 के बीच सरकार ने 40 करोड़ से अधिक डॉलर (आज के 28 अरब 65 करोड़ रूपये) केवल संयम की शिक्षा के अभियान में खर्च किये ।’ वे ‘दिव्य प्रेरणा-प्रकाश – युवाधन सुरक्षा’ अभियान का लाभ लें तो नाममात्र के खर्च में कितने उत्तम परिणाम उन्हें मिल सकते हैं !
  • ब्रह्मचर्य या ऋतुचर्या के पालन की बात हो, ॐकार चिकित्सा, मंत्र चिकित्सा हो या ध्यान-प्रार्थना हो – तन मन-मति को स्वस्थ, प्रसन्न, सुविकसित और प्रभावशाली बनाने और बनाये रखने का ज्ञान खजाना पूज्य बापू जी जैसे भारत के महापुरुषों के पास है । इस ज्ञान का महत्त्व न जानने वालों ने स्वास्थ्य और सुविधा के लिए बड़ी-बड़ी महँगी-महँगी दवाइयाँ व मशीनें खोजीं लेकिन समस्याएँ कम न हुईं बल्कि और भी बढ़ीं । आखिर थक-हारकर आज पुनः स्वास्थ्य व शांति के लिए विश्ववासियों को भारत की ऋषिप्रणीत इन प्रणालियों की शरण स्वीकारनी पड़ रही है । इसी प्रकार हमारी गौ-चिकित्सा की ओर भी ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ सहित सारा विश्व आज आशाभरी दृष्टि से टकटकी लगाये देख रहा है ।
  • विश्व को उपरोक्त जैसी विभिन्न तबाहियों से बचना हो तो भारत के ऋषि-मुनियों और ब्रह्मवेत्ता सत्पुरुषों के ज्ञान की ओर ही मुड़ना होगा… स्नेहपूर्वक न मुड़े तो ठोकरें खाकर भी मुड़ना होगा…. इसके सिवा कोई चारा ही नहीं है । फिर हे प्यारे प्रबुद्धजनो ! हे विश्वमानव ! व्यर्थ में ठोकरें क्यों खाना ?
  • विदेशी लोग तो चलो, हमारी संस्कृति की महानता से अपरिचित हैं इसलिए वे ठोकर खाकर सँभल रहे हैं पर हमारा जन्म तो भारतभूमि में हुआ है । ब्रह्मवेत्ता महापुरुषों के सुसंस्कारों की सरिताएँ आज भी हमारे देश में बह रही हैं । व्यापक ब्रह्मस्वरूप में जगह ऐसे संयममूर्ति महापुरुष, जिनके दर्शनमात्र से लोगों की भोग-वासना छूटने लगती है और वे परमानंद पाने के रास्ते चल पड़ते हैं, जिनके आवाहनमात्र से 14 फरवरी के काम-विकार पोषक, विनाशकारक ‘वेलेंटाइन डे’ को मनाना छोड़कर करोड़ों लोग उऩ्नतिकारक निर्विकार, पवित्र प्रेम दिस अर्थात् ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाने लगते हैं, जिन सदाचार के मूर्तिमंत स्वरूप महापुरुष ने शाकाहार पर जोर देकर असंख्य लोगों के शराब, कबाब और व्यसन छुड़ाये और इसीलिए जिनके लिए ‘श्री आशारामायण’ कार ने लिखा हैः ‘कितने मरणासन्न जिलाये, व्यसन मांस और मद्य छुड़ाये ।।’ उन पूज्य बापू जी के सत्संग-मार्गदर्शन की आज समाज को अत्यंत आवश्यकता है… ऐसी समस्त विपदाओं से केवल सुरक्षा के लिए ही नहीं अपितु व्यक्ति, परिवार, देश और विश्व के सर्वांगीण विकास के लिए भी !
  • एक-एक ठोकर खाकर हमारे महापुरुषों का एक-एक सिद्धान्त स्वीकारने के बजाय अगर हम उन सिद्धान्तों के उद्गमस्वरूप महापुरुष का ही महत्त्व समझें, उनका सत्संग, आदर-सम्मान करें और उनके बताये मार्ग पर चलें तो इन रोग-बीमारियों से मुक्ति तो बहुत छोटी बात है, तनाव चिंता, दुःख, शोक, उद्वेग एवं बड़ी भारी मुसीबतों से भी मुक्ति और अमिट परम आनंद, परम शांति की प्राप्ति करके मनुष्य जन्म का पूर्ण सुफल भी प्राप्त किया जा सकता है । हम इस बात को कब समझेंगे ? कब जागेंगे ?
(संकलकः धर्मेन्द्र गुप्ता) स्रोतः ऋषि प्रसाद, मार्च 2020, पृष्ठ संख्या 7-9 अंक 327

कोरोना से बचने के लिए सावधानियाँ [Coronavirus Se Kaise Bache]

कोरोना त्रासदी पर विशेष

विपदा से पहले लौटें अपनी जड़ों की ओर

मांसाहार व अभक्ष्य आहार का त्याग जैसे भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों की अवहेलना के घातक दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं यह अब सभी को खूब प्रत्यक्ष हो रहा है । विश्वभर में आतंक मचाकर तबाही कर रहा कोरोना विषाणु (वायरस) इसका एक ताजा उदाहरण है । कोरोना वायरस रोग ने एक महामारी का रूप धारण कर लिया है । केवल 4 महीने में चीन में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 84325 के ऊपर पहुँच गयी है, जिसमें 4642 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है । अब तक यह वायरस ईरान, अफगानिस्तान, ईराक, ओमान आदि 210 से अधिक देशों में फैल चुका है और पूरे विश्व में संक्रमित लोगों की संख्या 2920877 से अधिक है । भारत में भी इसने प्रवेश किया था लेकिन फिलहाल स्थिति नियंत्रण में बतायी गयी है । इसके पहले सार्स रोग ने खूब तबाही मचायी थी जो पशुओं से मनुष्य-शरीर में आया था ।

कहाँ से आये ये कोरोना जैसे वायरस ?

वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोनावायरस प्राणी से मनुष्य में संक्रमित हुआ वायरस है । मांसाहार करने के लिए जानवरों को प्राप्त करने और मांस तैयार करने की प्रक्रिया में लिप्त मांसाहार के व्यापारी और उसे खाने के शौकीन लोग जानवर के स्पर्श, श्वासोच्छवास, सेवन आदि द्वारा अपने जीवन को जानलेवा बीमारियों एवं अकाल मौत के मुँह में धकेल देते हैं । शाकाहारी जीवन जियें तो क्यों ऐसी महामारियाँ होंगी ? मांसाहारी व्यक्ति केवल अपने लिए प्राणघातक नहीं है अपितु शाकाहारियों के लिए भी खतरा है क्योंकि ऐसे वायरस से रोग फिर मनुष्यों से मनुष्यों में फैलते हैं ।

अब चीन ने जंगली पशुओं के व्यापार और उनके उपभोग पर रोक लगा दी है ।

वायरस का नाम
कौन सा रोग फैलाया
नॉवेल कोरोनावायरस
कोरोनावायरस रोग 2019
एच.आई.वी.
एडस(AIDS)
एच5एन1
एच5एन1 ऐवियन इन्फ्लुएंजा अथवा बर्ड फ्लू
ईबोला
ईबोला वायरस रोग
निपाह
निपाह वायरस संक्रमण
सार्स
कोरोनावायरस सार्स
एच1एन1
स्वाइन फ्लू

कैसे करें रोकथाम ?

corona safety tips1. शाकाहार ऐसे वायरसों से रक्षा करता है ।

2. ये वायरस उन्हीं पर हमला करते हैं जिनकी रोगप्रतिकारक शक्ति कमजोर होती है अतः इसकी रोकथाम का सबसे अच्छा और सरल तरीका है कि देशी गाय के गोबर के कंडे अथवा ‘गौ-चंदन धूपबत्ती’ को जलाकर उस पर देशी घी या नारियल तेल की बूँदें, गूगल, कपूर डाल के धूप करें । इसमें वायरस पनप नहीं सकता । इससे सभी जगह उसकी रोकथाम की जा सकती है । साथ ही इससे विभिन्न बीमारियों के विषाणु, जीवाणु नष्ट होकर आरोग्यप्रद, सुखमय वातावरण का निर्माण होगा । दूरद्रष्टा महापुरुष पूज्य बापू जी ने उपरोक्त प्रकार के गोबर के कंडे के धूप का पिछले कई दशकों से व्यापक प्रचार-प्रसार किया है और स्वास्थ्य, रोगप्रतिरोधक शक्ति वर्धक ‘गौचंदन धूपबत्ती’ एवं इसी के साथ स्मृतिवर्धन का लाभ भी दिलाने हेतु ‘स्पेशल गौ-चंदन धूपबत्ती’ की खोज की । वही तथ्य आज चिकित्सा-ऩिष्णातों की समझ में आ रहा है कि गाय के गोबर के कंडे पर किया गया धूप वातावरण को ऐसे खतरनाक विषाणुओं से भी मुक्त रखने में कारगर है !

3. पूज्य बापू जी के सत्संग में आने वाले एवं ‘ऋषि प्रसाद’ में छपने वाले रोगप्रतिकारक शक्तिवर्धक अन्य उपायों का अवलम्बन लेते रहना चाहिए ।

ठोकर खाने से पहले ही सँभल जायें

कोरोनावायरस रोग की भीषण महामारी से त्रस्त होकर आज विश्व को शाकाहार और भारत के महापुरुषों के सिद्धान्तों की ओर तो आखिर में मुड़ना ही पड़ रहा है । लेकिन कितना अच्छा होता कि पहले से ही मांस भक्ष्ण न करने की महापुरुषों की उत्तम सीख को मानकर निर्दोष मूक प्राणियों की हिंसा से और इस रोग से बचा जाता !

जब-जब शास्त्रों व महापुरुषों की दूरदृष्टिसम्पन्न हित व करूणाभरी सलाह को ठुकराया जाता है तब-तब देर-सवेर उसके घातक परिणाम भुगतने ही पड़ते हैं और मजबूर होकर शास्त्रों-महापुरुषों के सिद्धान्तों को मानना पड़ता है । ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने हैं : 

संयम-ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए । हमारे ऋषियों-मुनियों के इस सिद्धान्त को अनदेखा करके जो देश ‘फ्री-सेक्स’ की विचारधारा अपनाने की ओर चले वहाँ एड्स जैसी जानलेवा बीमारियाँ आ धमकीं, वहाँ से दूर-दूर तक फैलीं और उन देशों को अरबों डॉलर खर्च करके संयम की शिक्षा देनी पड़ रही है और फिर भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं । अंतर्राष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ द्वारा प्रकाशित इऩ्नसेंटी रिपोर्ट कार्ड नम्बर 3 के अनुसार ‘अमेरिका के स्कूलों में यौन-संयम की शिक्षा देने के लिए 1996 से 2001 के बीच सरकार ने 40 करोड़ से अधिक डॉलर (आज के 28 अरब 65 करोड़ रूपये) केवल संयम की शिक्षा के अभियान में खर्च किये ।’ वे ‘दिव्य प्रेरणा-प्रकाश – युवाधन सुरक्षा’ अभियान का लाभ लें तो नाममात्र के खर्च में कितने उत्तम परिणाम उन्हें मिल सकते हैं !

ब्रह्मचर्य या ऋतुचर्या के पालन की बात हो, ॐकार चिकित्सा, मंत्र चिकित्सा हो या ध्यान-प्रार्थना हो – तन मन-मति को स्वस्थ, प्रसन्न, सुविकसित और प्रभावशाली बनाने और बनाये रखने का ज्ञान खजाना पूज्य बापू जी जैसे भारत के महापुरुषों के पास है । इस ज्ञान का महत्त्व न जानने वालों ने स्वास्थ्य और सुविधा के लिए बड़ी-बड़ी महँगी-महँगी दवाइयाँ व मशीनें खोजीं लेकिन समस्याएँ कम न हुईं बल्कि और भी बढ़ीं । आखिर थक-हारकर आज पुनः स्वास्थ्य व शांति के लिए विश्ववासियों को भारत की ऋषिप्रणीत इन प्रणालियों की शरण स्वीकारनी पड़ रही है । इसी प्रकार हमारी गौ-चिकित्सा की ओर भी ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ सहित सारा विश्व आज आशाभरी दृष्टि से टकटकी लगाये देख रहा है ।

विश्व को उपरोक्त जैसी विभिन्न तबाहियों से बचना हो तो भारत के ऋषि-मुनियों और ब्रह्मवेत्ता सत्पुरुषों के ज्ञान की ओर ही मुड़ना होगा… स्नेहपूर्वक न मुड़े तो ठोकरें खाकर भी मुड़ना होगा…. इसके सिवा कोई चारा ही नहीं है । फिर हे प्यारे प्रबुद्धजनो ! हे विश्वमानव ! व्यर्थ में ठोकरें क्यों खाना ?

विदेशी लोग तो चलो, हमारी संस्कृति की महानता से अपरिचित हैं इसलिए वे ठोकर खाकर सँभल रहे हैं पर हमारा जन्म तो भारतभूमि में हुआ है । ब्रह्मवेत्ता महापुरुषों के सुसंस्कारों की सरिताएँ आज भी हमारे देश में बह रही हैं । व्यापक ब्रह्मस्वरूप में जगह ऐसे संयममूर्ति महापुरुष, जिनके दर्शनमात्र से लोगों की भोग-वासना छूटने लगती है और वे परमानंद पाने के रास्ते चल पड़ते हैं, जिनके आवाहनमात्र से 14 फरवरी के काम-विकार पोषक, विनाशकारक ‘वेलेंटाइन डे’ को मनाना छोड़कर करोड़ों लोग उऩ्नतिकारक निर्विकार, पवित्र प्रेम दिस अर्थात् ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाने लगते हैं, जिन सदाचार के मूर्तिमंत स्वरूप महापुरुष ने शाकाहार पर जोर देकर असंख्य लोगों के शराब, कबाब और व्यसन छुड़ाये और इसीलिए जिनके लिए ‘श्री आशारामायण’ कार ने लिखा हैः ‘कितने मरणासन्न जिलाये, व्यसन मांस और मद्य छुड़ाये ।।’ उन पूज्य बापू जी के सत्संग-मार्गदर्शन की आज समाज को अत्यंत आवश्यकता है… ऐसी समस्त विपदाओं से केवल सुरक्षा के लिए ही नहीं अपितु व्यक्ति, परिवार, देश और विश्व के सर्वांगीण विकास के लिए भी !

एक-एक ठोकर खाकर हमारे महापुरुषों का एक-एक सिद्धान्त स्वीकारने के बजाय अगर हम उन सिद्धान्तों के उद्गमस्वरूप महापुरुष का ही महत्त्व समझें, उनका सत्संग, आदर-सम्मान करें और उनके बताये मार्ग पर चलें तो इन रोग-बीमारियों से मुक्ति तो बहुत छोटी बात है, तनाव चिंता, दुःख, शोक, उद्वेग एवं बड़ी भारी मुसीबतों से भी मुक्ति और अमिट परम आनंद, परम शांति की प्राप्ति करके मनुष्य जन्म का पूर्ण सुफल भी प्राप्त किया जा सकता है । हम इस बात को कब समझेंगे ? कब जागेंगे ?

(संकलकः धर्मेन्द्र गुप्ता)

स्रोतः ऋषि प्रसाद, मार्च 2020, पृष्ठ संख्या 7-9 अंक 327