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Hindu New Year 2022

दीपावली वर्ष का आखिरी दिन है और नूतन वर्ष प्रथम दिन है । यह दिन आपके जीवन की दैनंदिनी का पन्ना बदलने का दिन है ।

जो नूतन वर्ष के दिन जिस भाव से रहता है उसका पूरा वर्ष उसी भाव में व्यतीत होता है । इस दिन व्यक्ति अगर प्रसन्न रहा तो वर्षभर प्रसन्नता में मदद मिलेगी और यदि शोकातुर रहा तो वर्षभर शोकातुरता का स्वभाव बढ़ जाता है ऐसा स्कंद पुराण में आता है । नूतन वर्ष के दिन यदि ईश्वर की उपासना में रहा तो वर्षभर उपासना में मदद मिलती रहेगी । इस दिन यदि परमात्म-ध्यान में घड़ीभर भी डूबा तो प्रतिदिन उसमें डूबने में सुविधा रहेगी ।

वर्ष के प्रथम दिन स्त्री-पुरुषों को तिलों के तेल का थोड़ा मर्दन करके स्नान करना चाहिए ।

इस दिन सुबह उठते समय चार काम करने चाहिए –

एक तो उस परम सत्ता का चिंतन, भगवान की प्रार्थना :

सच्चिदानन्दरूपाय विश्वोत्पत्त्यादिहेतवे ।
तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नमः ।।

‘जो सत् है, चैतन्य है, आनंदस्वरूप है, जिसके अस्तित्व से खुशियाँ दिखती हैं, जड़ शरीरों में चेतना दिख रही है और जो जगत की उत्पत्ति, स्थिति और संहार के हेतु हैं तथा आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक – तीनों तापों का नाश करनेवाले हैं, उन सच्चिदानंद प्रभु को हम प्रणाम करते हैं ।

दूसरी बात है कि दिन में शुभ कर्म करने का संकल्प हो जाय ।

तीसरी बात, अपने और परिवार के विषय में, स्वास्थ्य के विषय में विचार कर लिया ।
चौथी बात, यदि किसी समस्या का समाधान करना है अथवा निर्णय करना है, वह प्रातःकाल सात्त्विकता से करो तो वर्ष का प्रथम दिन अगर हम मंगलमय ढंग से मनाते हैं तो पूरा वर्ष मंगलमय हो जाता है ।

पूरा वर्ष मंगलमय हो इस भावना से देव-दर्शन, संत-दर्शन, गुरु-दर्शन आदि किया जाता है । परम सुखी होने का लक्ष्य बना लो ‘बापूजी ! आशीर्वाद दो,आशीर्वाद दो । तो हम यह संसारी आशीर्वाद नहीं देते कि ‘आपका धन-धान्य बढ़ता रहे, सुख-समृद्धि बढ़ती रहे, बेटे-पोते सुखी रहें, आप जुग-जुग जियो । हम तो कहते हैं कि ‘जो भी कुछ आये उसको तुम स्वप्न समझो । सुख आये तो उसमें डूबना नहीं, दुःख आये तो उसमें डूबना नहीं, दोनों को पसार होने दो, आप परम सुख का लक्ष्य बना लो ।

– पूज्य संत श्री आशारामजी बापू

Nutan Varsh 2028 [ Vikram Samvat 2078] :
जीवन नित्य नवीन सुख की ओर ले जाने का दिवस

नूतन वर्ष के दिन जो व्यक्ति हर्ष और आनंद से बिताता है, उसका पूरा वर्ष हर्ष और आनंद से जाता है।

वर्ष के प्रथम दिन आसोपाल (अशोक के पत्ते ) के और नीम के पत्तों का तोरण लगायें और वहां से गुजरें तो वर्षभर खुशहाली और निरोगता रहेगी।

How to Celebrate Hindu New Year 2022
[Nutan Varsh 2022 Kaise Manaye]

भीष्म पितामह ने राजा युधिष्ठिर से कहा :

यो यादृशेन भावेन तिष्ठत्यस्यां युधिष्ठिर ।
हर्षदैन्यादिरूपेण तस्य वर्ष प्रयाति वै ॥

  • ‘हे युधिष्ठिर ! आज नूतन वर्ष के प्रथम दिन जो मनुष्य हर्ष में रहता है, उसका पूरा वर्ष हर्ष में जाता है और जो शोक में रहता है, उसका पूरा वर्ष शोक में व्यतीत होता है ।’
  • ‘जो साक्षीस्वरूप है, ज्ञान स्वरूप है, चैतन्यस्वरूप है, जो सुख-दुःख का द्रष्टा है, अनंत ब्रह्मांडों की उथल-पाथल हो जाय फिर भी जो ज्यों-का-त्यों रहता है, उस आत्मदेव की हम उपासना करते हैं ।’ – ऐसा चिंतन करके दिवाली की रात सो जाओ और सुबह होगी तुम्हारी ऐ… भक्ति का पुंज !
  • प्रभात को जब उठोगे तो नये वर्ष में प्रवेश करोगे और नये वर्ष में नयी उमंग, उत्साह, शांति… जो चैतन्य है वह नित्य नवीन है, नित्य ज्ञानस्वरूप, आनंदस्वरूप, शाश्वत है और जो माया है, उसमें परिवर्तन होता है ।
  • परिवर्तन होता है परमात्मा की प्रकृति में, परमात्मा में परिवर्तन नहीं होता । तो हम उसी परमात्मा का ध्यान करते हैं जो नित्य नूतन रहते हैं, जो नित्य एकरस हैं । ॐ शांति… ॐ आनंद…

2022 Nutan Varsh Ka Nutan Ashirwad

  • वर्ष प्रतिपदा वर्ष का प्रथम दिन है । हम तो चाहते हैं कि जीवन में भी ऐसा तुम्हारा प्रथम दिन आ जाय । परमात्मा का साक्षात्कार हो जाय, अंदर का दीया जल जाय । मैं तुम्हें यह थोथा आशीर्वाद नहीं देना चाहता हूँ कि ‘भगवान करे तुम धन-धान्य से सुखी रहो, ऐसे रहो…’ न, यह आशीर्वाद दूँगा तब भी प्रारब्ध-खेल जो होनेवाला है, होगा ।
  • तरतीव्र प्रारब्ध से जो होनेवाला है, होगा । मैं तो यह आशीर्वाद देता हूँ कि ‘कितने भी विघ्न आ जायें, कितनी भी सम्पदाएँ आ जायें, कितनी भी आपदाएँ आ जायें, थोड़ी आती हों तो तुम उन्हें और भी बुलाओ लेकिन साथ-साथ तुम अपने सच्चिदानंद परमात्मा को भी बुलाओ ।
  • ‘तुम्हारा परमात्मा तुम्हारे साथ हो, भीतर का दीया जला हुआ हो, तुम्हारा भीतर का मित्र तुम्हारे साथ हो’ – यह आशीर्वाद जरूर देंगे ।

Gujarati New Year 2022 : How to Celebrate Nutan Varsh

  • नये वर्ष के नवप्रभात में हमें बढ़िया संकल्प दोहराना चाहिए । आपका नूतन वर्ष मंगलमय हो इसलिए सत्संग के विचारों को बार-बार विचारों, भगवन्नाम का आश्रय लेना । ‘मंगल’ शब्द का अर्थ है आगे बढ़ना । जो बीत गया वह छोड़ो, जो देख लिया वह छोड़ो लेकिन जिससे देखा जाता है उस सत्य स्वरूप को, सच्चे सुख को पकड़ो तो हो गया वास्तविक मंगल !
  • दीपावली की रात्रि को आप ‘देव-मानव हास्य प्रयोग’ करके सोयेंगे तो मैं बिल्कुल पक्की तरह कहता हूँ कि नूतन वर्ष की सुबह आपकी सुहावनी होगी ! यह छोटा-सा प्रयोग अभी भले आपको साधारण लगे लेकिन इसका फायदा बहुत है ।
  • ‘देव” माना परमात्मदेव के नाम का पुनरावर्तन करेंगे, जिससे हमारे पाँचों शरीरों में, ७ चक्रों तथा तमाम नाड़ियों में उसका प्रभाव पड़ेगा ।
  • और जप करते करते २-४ मिनट बाद हाथ ऊपर करेंगे और जोर से ठहाका मार के हँसेंगे (हरि ॐ ॐ… राम राम राम… ॐ ॐ ॐ… हा…हा…हा…) तो हमारे प्राण और मन ऊपर के केन्द्रों में आयेंगे । नीचे के केन्द्रों में मन और प्राण रहते हैं तो व्यक्ति आपराधिक मानसिकता वाला बनता है और ऊपर के केन्द्रों में आते हैं तो सज्जन मानसिकता वाला होता है ।
  • वर्ष के प्रथम दिवस आप क्या चाहते हैं इसका पहले निर्णय कर लो । अच्छा, जो आपकी चाह है वह बाँधनेवाली है, भटकाने वाली है कि सच्चे सुख से मिलाने वाली, ईश्वर की तरफ ले जाने वाली है ? इसका जरा इस दिन ठीक से विश्लेषण कर लो । जो जिस भाव से नूतन वर्ष के प्रथम दिन की सुबह बिताता है वर्ष भर उसका वैसा जाता है । भगवान करे नूतन वर्ष का प्रथम दिन आप इसी प्रकार शुरू करें और वर्षभर भगवत भक्ति, ज्ञान-ध्यान के साथ ऐसी जीवन यात्रा करें कि जीवन दाता की प्रसन्नता मिली और उससे एकाकारता हो जाए ।

2022 नूतन वर्ष में पुण्यदायी दर्शन

  • आज के दिन पुण्यमय वस्तुओं के दर्शन का भी शास्त्र में उल्लेख है । परम पुण्यमय तो भगवान हैं और भगवान को पाये हुए संत-महापुरुष ही हैं ।
  • दीपावली के दिन, नूतन वर्ष के दिन मंगलमय चीजों का दर्शन करना भी शुभ माना गया है, पुण्य-प्रदायक माना गया है । जैसे उत्तम ब्राह्मण, तीर्थ, वैष्णव, देव-प्रतिमा, सूर्यदेव, सती स्त्री, संन्यासी, यति, ब्रह्मचारी, गौ, अग्नि, गुरु, गजराज, सिंह, श्वेत अश्व, शुक, कोकिल, खंजरीट (खंजन), हंस, मोर, नीलकंठ, शंख पक्षी, बछडेसहित गाय, पीपल वृक्ष, पति-पुत्रवाली नारी, तीर्थयात्री, दीप क, सुवर्ण, मणि, मोती, हीरा, माणिक्य, तुलसी, श्वेत पुष्प, फल, श्वेत धान्य, घी, दही, शहद, भरा हुआ घडा, लावा, दर्पण, जल, श्वेत पुष्पों की माला, गोरोचन, कपूर, चाँदी, तालाब, फूलों से भरी हुई वाटिका, शुक्ल पक्ष का चन्द्रमा, चंदन, कस्तूरी, कुंकुम, पताका, अक्षयवट (प्रयाग तथा गया स्थित वटवृक्ष), देववृक्ष (गूगल), देवालय, देवसंबंधी जलाशय, देवता के आश्रित भक्त, देववट, सुगंधित वायु, शंख, दुंदुभि, सीपी, मूँगा, स्फटिक मणि, कुश की जड, गंगाजी की मिट्टी, कुश, ताँबा, पुराण की पुस्तक, शुद्ध और बीजमंत्रसहित भगवान विष्णु का यंत्र, चिकनी दूब, रत्न, तपस्वी, सिद्ध मंत्र, समुद्र, कृष्णसार (काला) मृग, यज्ञ, महान उत्सव, गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध, गोधूलि, गौशाला, गोखुर, पकी हुई खेती से भरा खेत, सुंदर (सदाचारी) पद्मिनी, सुंदर वेष, वस्त्र एवं दिव्य आभूषणों से विभूषित सौभाग्यवती स्त्री, क्षेमकरी, गंध, दूर्वा, चावल और अक्षत (अखंड चावल), सिद्धान्न (पकाया हुआ अन्न) और उत्तम अन्न- इन सबके दर्शन से पुण्यलाभ होता है ।
  • लेकिन जिनको संत-दर्शन नहीं मिल पाते उनके लिए देवमूर्ति, शास्त्र, जौ, बछड़े को दूध पिलाती गाय, फलों से भरी हुई टोकरी, दीपक, चंदन, असली हीरा, गाय का घी, दूध, दही, गोझरण, नये सात्विक वस्त्र, जल से भरा हुआ कुम्भ आदि का दर्शन हितकारी, सुखदायी व शुभ माना जाता है ।

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