गुरु में हो श्रद्धा अटल तो [Guru Me Ho Shraddha Atal To]
बचपन में रंग अवधूत महाराज का नाम पांडुरंग था | उनके घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी | एक बार उनके पास महाविद्यालय की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे | फीस भरने की अंतिम दिन आ गया | कुछ सहपाठी मित्र आये और बोले : “हम तुम्हारी फीस भर देते हैं, फिर जब तुम्हारे पास पैसे आयें तो दे देना |”
पांडुरंग : “ नहीं, मैंने उधार न लेने का प्रण किया है | मैं किसीसे भी उधार नहीं लुँगा |”