आनंद की अटूट श्रद्धा ! (Unabated Faith of Samarth Ramdas’s disciple)
समर्थ रामदास का आनंद नाम का एक शिष्य था। वे उसको बहुत प्यार करते थे। यह देखकर अन्य शिष्यों को ईर्ष्या होने लगी। वे सोचतेः “हम भी शिष्य हैं, हम भी गुरुदेव की सेवा करते हैं फिर भी गुरुदेव हमसे ज्यादा आनन्द को प्यार करते हैं।”
ईर्ष्यालु शिष्यों को सीख देने के लिए एक बार समर्थ रामदास ने एक युक्ति की।