शास्त्र में कहा गया है :ब्रह्मचर्यं परं बलम् । ‘ब्रह्मचर्य परम बल है ।’ जिसके जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन नहीं होता उसकी आयु, तेज, बल, वीर्य, बुद्धि, लक्ष्मी, कीर्ति, यश, पुण्य और प्रीति –
नरकेसरी वीर शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) आजीवन अपनी मातृभूमि भारत की स्वतन्त्रता के लिए लड़ते रहे। वे न तो स्वयं कभी प्रमादी हुए और न ही उन्होंने दुश्मनों को चैन से सोने दिया। वे कुशल