KarKasar Va Sadupyog: GandhiJi Short Story [Gandhi Jayanti Spcl]
सर्दी के मौसम में गाँधीजी सिर पर ऊन का एक टुकड़ा बाँधते थे । जब वह जर्जरीभूत हो गया, तब उनकी सेविका मनु ने उन्हें एक नया टुकड़ा दे दिया । गाँधीजी बोले : “न
सर्दी के मौसम में गाँधीजी सिर पर ऊन का एक टुकड़ा बाँधते थे । जब वह जर्जरीभूत हो गया, तब उनकी सेविका मनु ने उन्हें एक नया टुकड़ा दे दिया । गाँधीजी बोले : “न
गुरु-सन्देश – जो दृढ़ निश्चयी हैं वे ही जीवन के संग्राम में सफल होते हैं, जीवनदाता की यात्रा में प्रवेश पाकर पूर्ण हो जाते हैं । जिस श्रेष्ठ कर्म का पालन हितकर हो, गांधीजी (Gandhi
जो प्रसन्नता और आनंद मुझे ब्रह्मचर्य-व्रत पालन से मिला, वह मुझे नहीं याद आता इस व्रत से पहले कभी मिला हो । – महात्मा गाँधी खूब चर्चा और दृढ़ विचार करने के बाद १९०६ में
गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका में थे। एक दिन वहाँ उनके आश्रम में भोजन में कढ़ी-खिचड़ी भी बनी। साधारणतया आश्रम में कढ़ी बनने का मौका कभी-कभी ही आता था।
जिन विद्यार्थियों ने नमक न खाने का नियम लिया था,वे कढ़ी-खिचड़ी नहीं ले सकते थे। किसको क्या और कितना खाने को देना है,गाँधीजी इसका भी पूरा ध्यान रखते थे।
उनके पुत्र देवदास ने कढ़ी-खिचड़ी लेने के लिए अपना भोजनपात्र रखा। गाँधीजी ने उससे पूछा :”देवा ! तुझे तो बिना नमक का खाना है न ?”