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नामोच्चारण का फल -Mantra Jap ka Prabhav | Importance of Chanting in Hindi

श्रीमद् भागवत [Shrimad Bhagwat] में आता है: सांकेत्यं पारिहास्यं वा स्तोत्रं हेलनमेव वा ।वैकुण्ठनामग्रहणमशेषधहरं विटुः ।।पतितः स्खलितो भग्नः संदष्टस्तप्त आहतः ।हरिरित्यवशेनाह पुमान्नार्हति यातनाम् ।। ‘भगवान का नाम चाहें जैसे लिया जाए- किसी बात का संकेत

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