बालक शंकर का तीव्र वैराग्य | Jagadguru Shri Adi Shankaracharya Jivan Charitra
गुरु-सन्देश~ गुरुकृपा ही केवलम् शिष्यस्य परम् मंगलम् । श्रीमद् आद्यशंकरचार्यजी (Jagadguru Shri Adi Shankaracharya) बचपन से ही बहुत शांत, धीर और तीक्ष्ण बुद्धि के थे। वे श्रुतिधर थे अर्थात् सुनी या पढ़ी हुई हर बात