Mahatma GandhiJi Ka Brahmacharya Vrat: Gandhi Jayanti 2021 Spcl
जो प्रसन्नता और आनंद मुझे ब्रह्मचर्य-व्रत पालन से मिला, वह मुझे नहीं याद आता इस व्रत से पहले कभी मिला हो । – महात्मा गाँधी खूब चर्चा और दृढ़ विचार करने के बाद १९०६ में
जो प्रसन्नता और आनंद मुझे ब्रह्मचर्य-व्रत पालन से मिला, वह मुझे नहीं याद आता इस व्रत से पहले कभी मिला हो । – महात्मा गाँधी खूब चर्चा और दृढ़ विचार करने के बाद १९०६ में
Brahmacharya Motivation for Students: कामविकार का मन पर बड़ा घातक दुष्प्रभाव पड़ते हुए भी आज लोग चलचित्रों में, नाटकों में चोरी, डकैती, लूटपाट, प्रेमी-प्रेमिकाओं के दृश्य देखते हैं। छोटे-छोटे बच्चों के चित्त पर उन दृश्यों
Importance of Brahmacharya for Students in Hindi. Sanyam Ka Palan Jaruri Kyu Hai [ब्रह्मचर्य का महत्व] : ➠ सदाचारी एवं संयमी व्यक्ति ही जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। सुखी सम्मानित
भगवान वेदव्यास जी ने कहा है :- ब्रह्मचर्यं गुप्तेन्द्रियस्योपस्थस्य संयमः ‘विषय-इन्द्रियों द्वारा प्राप्त होने वाले सुख का संयमपूर्वक त्याग करना ब्रह्मचर्य है ।’ शक्ति, प्रभाव और सभी क्षेत्रों में सफलता की कुंजी – ब्रह्मचर्य राजा
“दीपक जलता है तो बत्ती और तेल जलता है। इसी तरह जितना अधिक बोला जाता है, अंदर की शक्ति उतनी ही नष्ट होती है।” -ब्रह्मलीन ब्रह्मनिष्ठ साँईं श्री लीलाशाह जी महाराज की हितभरी वाणी मौन
संयम [Sanyam] बड़ी चीज है। जो संयमी है, सदाचारी है और अपने परमात्म-भाव में है, वही महान बनता है । हे भारत के युवानों ! तुम भी उसी गौरव को हासिल कर सकते हो ।
चाहें पुरुष हो, चाहें स्त्री… सभी के जीवन में संयम की अत्यंत आवश्यकता है। बॉयफ्रेंड, गर्लफ्रेंड बनाने से जीवनीशक्ति व संयम का नाश होता है। जो लड़के लड़कियों से, लड़कियाँ लड़कों से दोस्ती करती हैं,
➠ एक बार ऋषि दयानंद (Rishi Dayanand) से किसी ने पूछाः “आपको कामदेव सताता है या नहीं ?” ➠ उन्होंने उत्तर दियाः “हाँ वह आता है, परन्तु उसे मेरे मकान के बाहर ही खड़े रहना
ब्रह्मचर्य का वास्तविक अर्थ वास्तव में ‘ब्रह्मचर्य’ (Brahmacharya – Celibacy) शब्द का अर्थ है ‘ब्रह्म के स्वरूप में विचरण करना ।’ जिसका मन नित्य-निरंतर सच्चिदानंद ब्रह्म में विचरण करता है, वही पूर्ण ब्रह्मचारी है ।
आत्महत्या के विचार आते हैं तो समझो यह मन की दुर्बलता व कायरता की पराकाष्ठा है । बचपन मे वीर्यनाश खूब हुआ हो तो बार-बार आत्महत्या के विचार आते हैं । वीर्यवान एवं संयमी पुरुष