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संयम और दृढ़ संकल्प की शक्ति-पूज्य बापूजी

‘संयम’ और ‘दृढ़ संकल्प’ विद्यार्थी-जीवन की नींव है । जिसके जीवन में संयम है, वह हँसते-खेलते बड़े बड़े कार्य कर सकता है। हे मानव !! तू अपने को अकेला मत समझ, ईश्वर और गुरु, दोनों

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परस्पर संयमी जीवन-(पूज्य बापूजी के मित्रसंत श्री लालजी महाराज द्वारा बताया गया अनोखा प्रसंग)

मधुर संस्मरण – परस्पर संयमी जीवन !!! ( पूज्य बापूजी के मित्रसंत श्री लालजी महाराज द्वारा बताया गया अनोखा प्रसंग ) एकांत-साधना हेतु पूज्य बापूजी का कभी हरिद्वार, नारेश्वर (गुज.), माउंट आबू (राज.) तो कभी

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मरने से पहले नाड़ा ना खुले

एक दिन शेख फरीद के एक शिष्य ने कहा : ” हुजूर ! मेरी सलवार फट गई है पहनने योग्य नहीं रही । ”  ” कोई बात नहीं ।  मेरे पास एक सलवार रखी है

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ब्रह्मचर्य का प्रताप

एक युवक ने यह बात पढ़ी ब्रह्मचर्य प्रतिष्ठायां वीर्यलाभः ।। ” ब्रह्मचर्य की दृढ़ स्थिति हो जाने पर सामर्थ्य का लाभ होता है । ” (योग दर्शन साधन पाद : ३८ )  इतने में एक

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संयम जीवन का बल

संयम जीवन का बल है…… !! संयम सफल जीवन की नींव है…… !! संयम उन्नति की पहली शर्त है…… !! अतः इंद्रियों का संयम, मन का संयम एवं विचारों का संयम करके जीवन को उन्नति

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