जैसा विश्वास और जैसी श्रद्धा वैसा ही फल प्राप्त होगा | Elephant And Mahout Story
…वह व्यक्ति आश्चर्य में पड़ गया कि यह ताकतवर प्राणी सिर्फ इसलिए बंधन में पड़ा है क्योंकि इसे विश्वास हो गया है कि यह मुक्त नहीं हो सकता। एक आदमी रास्ते से गुजर रहा था।
…वह व्यक्ति आश्चर्य में पड़ गया कि यह ताकतवर प्राणी सिर्फ इसलिए बंधन में पड़ा है क्योंकि इसे विश्वास हो गया है कि यह मुक्त नहीं हो सकता। एक आदमी रास्ते से गुजर रहा था।
बात उस समय की है जब हिंदुओं पर मुगलों का अत्याचार अपनी चरम सीमा पर था और हिन्दू अपने को दीन व लाचार मानकर सब सह रहे थे। औरंगजेब का खौफ महाराष्ट्र के गाँवों में
आज हम जानेंगे एक सत्संगी व्यक्ति के सम्पर्क में आनेवालों का जीवन भी किस प्रकार मानवीयता, सहयोग और सुहृदयता की बगिया से महक जाता है। एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर बैठे गाड़ी की प्रतीक्षा कर
मालवीयजी के एक मित्र उन्हें धन के सहयोग की अपेक्षा से एक बड़े व्यापारी के घर ले गये। आवाज देने पर सेठजी ने बैठक का द्वार खोला और दोनों अतिथियों को आदर से बिठाया। उस वक्त शाम हो गयी थी और अँधेरा छाने लगा था। बैठक में बिजली नहीं थी, अतः सेठजी ने अपने छोटे पुत्र को लालटेन जलाने को कहा।
पुत्र लालटेन और दियासिलाई लेकर आया। उसने माचिस की एक तीली जलायी परंतु वह लालटेन तक आते-आते बुझ गयी। फिर दूसरी जलायी, वह भी बीच में ही बुझ गयी। जब तीसरी तीली का भी वही हाल हुआ, तब सेठजी लड़के पर नाराज होकर बोलेः “तुमने माचिस की तीन तीलियाँ नष्ट कर दीं। कितने लापरवाह हो !”