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नामदेव’ मैं नहीं तुम

जनाबाई का जप समझने की बात है। जनाबाई हर समय विट्ठल नाम का जप करती रहती है। मंत्रजप करते-करते जनाबाई की रगों में.नस-नाड़ियों में एवं पूरे शरीर में मंत्र का प्रभाव छा गया था। वे जिन वस्तुओं को छूतीं,उनमें भी मंत्र की सूक्ष्म तरंगों का संचार हो जाता था। जनाबाई उपले पाथते समय ‘विट्ठल’ नाम का जप करती रहतीं थीं। उनके पाथे हुए उपलों को कोई चुरा ले जाता था।अतः उन्होंने नामदेवजी से फरियाद की।

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