Guru Bhakti Ne Asumal Se Asharam Bana Diya
पूज्य श्री अपने सद्गुरु भगवत्पाद साईं श्री लीलाशाहजी महाराज (Leela Shah ji Maharaj) की आज्ञा में रहकर खूब श्रद्धा व प्रेम से गुरुसेवा करते थे । भोजन में मात्र मूँग की दाल लेते । साढे
पूज्य श्री अपने सद्गुरु भगवत्पाद साईं श्री लीलाशाहजी महाराज (Leela Shah ji Maharaj) की आज्ञा में रहकर खूब श्रद्धा व प्रेम से गुरुसेवा करते थे । भोजन में मात्र मूँग की दाल लेते । साढे
स्वामी रामकृष्ण को जब गले का कैंसर हो गया था, तब नाग महाशय रामकृष्णदेव की पीड़ा को देख नहीं पाते थे। एक दिन जब नाग महाशय उनको प्रणाम करने गये, तब रामकृष्णदेव ने कहाः”ओह ! तुम आ गये। देखो, डॉक्टर विफल हो गये। क्या तुम मेरा इलाज कर सकते हो?”
महानिर्वाणी अखाड़ा (मेहसाणा,गुजरात) के महंत श्री रामगिरि महाराज परदुःखकातरता के साक्षात विग्रह पूज्य बापूजी के सान्निध्य में बीते सुनहरे पलों की स्मृतियाँ ताजी करते हुए कहते हैं : “पूज्य बापूजी रात को अक्सर देखते थे कि कहीं किसी को तकलीफ तो नहीं है। जो टॉर्चवाली बात टी वी पर दिखाते हैं न,कि बापूजी के पास में टॉर्च होती है, उनको पता नहीं हैं कि टॉर्च क्यों रखते थे बापूजी। आज मैं बताता हूँ टॉर्च क्यों रखते थे बापूजी।