कुशलतापूर्वक कर्म से सफलता | Motivational Story Hindi
आज हम जानेंगे : स्वप्न में मिली ईश्वर की आज्ञापालन का चमत्कार !! एक आस्तिक व्यक्ति ने एक रात्रि को स्वप्न में देखा कि ईश्वर उसके सम्मुख खड़े होकर कह रहे हैं– “तुम्हारी मेरे प्रति
आज हम जानेंगे : स्वप्न में मिली ईश्वर की आज्ञापालन का चमत्कार !! एक आस्तिक व्यक्ति ने एक रात्रि को स्वप्न में देखा कि ईश्वर उसके सम्मुख खड़े होकर कह रहे हैं– “तुम्हारी मेरे प्रति
एक संत के पास बहरा आदमी सत्संग सुनने आता था। उसे कान तो थे पर वे नाड़ियों से जुड़े नहीं थे। एकदम बहरा, एक शब्द भी सुन नहीं सकता था। किसी ने संतश्री से कहाः
“बाबा जी ! वे जो वृद्ध बैठे हैं, वे कथा सुनते-सुनते हँसते तो हैं पर वे बहरे हैं।”
समर्थ रामदास का आनंद नाम का एक शिष्य था। वे उसको बहुत प्यार करते थे। यह देखकर अन्य शिष्यों को ईर्ष्या होने लगी। वे सोचतेः “हम भी शिष्य हैं, हम भी गुरुदेव की सेवा करते हैं फिर भी गुरुदेव हमसे ज्यादा आनन्द को प्यार करते हैं।”
ईर्ष्यालु शिष्यों को सीख देने के लिए एक बार समर्थ रामदास ने एक युक्ति की।
एक लड़के के पिता मर गये थे। वह लड़का करीब 18-19 साल का होगा। उसका नाम था प्रताप। एक बार भोजन करते समय उसने अपनी भाभी से कहाः “भाभी ! जरा नमक दे दे।”
भाभीः “अरे, क्या कभी नमक माँगता है तो कभी सब्जी माँगता है ! इतना बड़ा बैल जैसा हुआ, कमाता तो है नहीं। जाओ, जरा कमाओ, फिर नमक माँगना।”
लड़के के दिल को चोट लग गयी। उसने कहाः “अच्छा भाभी ! कमाऊँगा तभी नमक माँगूगा।”
किन्हीं संत ने एक ऐसा आदमी देखा जो अपने कंधों पर विशालकाय भैंसों को उठा लेता था।
संत ने पूछा :”कहाँ तू पाँच-साढ़े पाँच फुट का हलका-फुलका आदमी और कहाँ यह विशालकाय भैंसा ! फिर भी तू अपने कंधे पर इसे ऐसे कैसे उठा लेता है ?”
एक बार मालवीय जी के पास एक धनी सेठ अपनी कन्या के विवाह का निमन्त्रण-पत्र देने आये। संयोग से जिस युवक के साथ उनकी कन्या का विवाह होने वाला था, वह मालवीय जी का शिष्य था।