Valentine's day origin [Valentine's day History Facts]
- देश में कई लोग वेलेन्टाइन डे मनाते हैं परंतु क्या कोई ये जानने कि कोशिश करता है कि ये ‘वेलेन्टाइन डे’ कहाँ से शुरू हुआ अथवा इसके पीछे क्या राज है ? पूरा विस्तार से पढ़े…
मातृदेवो भव । पितृदेवो भव । बालिकादेवो भव । कन्यादेवो भव । पुत्रदेवो भव ।
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जो अपने माता - पिता का नहीं, वह अन्य किसका होगा ! जिनके कष्टों और अश्रुओं की शक्ति से अस्तित्व प्राप्त किया, उन्हीं के प्रति अनास्था रखने वाला व्यक्ति पत्नी, पुत्र, भाई और समाज के प्रति क्या आस्था रखेगा ? ऐसे पाखण्डी से दूर रहना ही श्रेयस्कर है ।
- बोधायन ऋषि
माता - पिता एवं गुरू का त्याग करने वाला, उनकी निंदा करने वाला, उन्हें प्रताड़ित करने वाला मनुष्य समस्त वेदों का ज्ञाता होने पर भी यज्ञादि को करने का अधिकारी नहीं होता । ऐसे मूढ़, अहंकारी और निकृष्ट प्राणी को दान देने वाला, भोजन कराने वाला या उसकी सेवा करने वाला भी नरकगामी होता है ।
- महर्षि याज्ञवल्क्य जी
माता - पिता के प्रति अश्रद्धा रखकर उन्हें अपमानित करने वाले और उनके प्रति निंदा का भाव रखकर उन्हें दुःखी करने वाले व्यक्ति का वंश नष्ट हो जाता है । उसे पितरों का आशीर्वाद नहीं मिलता ।
- कात्यायन ऋषि
माता - पिता और आचार्य – ये तीन व्यक्ति के अतिगुरु (श्रेष्ठ गुरु) कहलाते हैं । इसलिए उनकी आज्ञा का पालन करना, सेवा करना, उनके लिए हितकारी कार्य करना और उनको दुःखी न करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है ।
- अंगिरा ऋषि
माता - पिता और गुरुजनों का आदर करने वाला चिरआदरणीय हो जाता है । आप भी माता - पिता व गुरुजनों की आदर से सेवा करके उनके ऋण से उऋण बनें । आप आदर्श बालक बनें, संतों के आशीर्वाद आपके साथ हैं ।
- पूज्य बापूजी
14 फरवरी को माता-पिता का विधिवत पूजन करें । आइये जाने पूजन विधि : Click Here
14 फरवरी
हाँ, पर एक नए रूप में !! जाने कैसे