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balak bhakt dhruv story kahani

बालभक्त ध्रुव | Balak Bhakt Dhruv ki kahani in hindi

हे विद्यार्थी ! जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफल होना चाहते हो तो कोई-न-कोई अच्छा व्रत ले लो तथा उसका दृढ़तापूर्वक पालन करो। जिस प्रकार गांधी जी ने बाल्यावस्था में राजा हरिशचन्द्र का नाटक देखकर

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माँ, अम्मा जी , माँ मँहगीबा

माँ ने बोये प्रभुप्रीति, प्रभुरस के बीज| Maa ne diye sanskar

माता को शिशु को प्रथम गुरु कहा गया है। इतिहास में ऐसे कितने ही उदाहरण हैं जिनमें महापुरुषों के जीवन में उनकी माताओं द्वारा दिये गये सुसंस्कारों की महत्त्वपूर्ण भूमिका दृष्टिगोचर होती है। हमारे शास्त्रों

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बिन प्रेम मैं हाथ ना आऊँ|श्रीकृष्ण की लीला [Shri Krishna Leela]

श्रीकृष्ण की अनेकों लीलाओं में माखन चोरी की लीला अपना कुछ विशिष्ट ही स्थान रखती है । उसी के कुछ प्रसंग : कुछ ग्वाल-गोपियाँ ऐसे थे जो फरियाद करते थे कि श्रीकृष्ण हमारा दही-मक्खन चुरा

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आस्था की दृष्टि

एक मिशनरी ने श्री रामकृष्ण परमहंस से पूछा :”आप माता काली के रोम-रोम में अनेक ब्रह्माण्डों की बातें करते हैं और उस छोटी-सी मूर्ति को काली कहते हैं,यह कैसे ?

इस पर परमहंसजी ने पूछा :”सूरज दुनिया से कितना बड़ा है ?

मिशनरी ने उत्तर दिया :”नौ लाख गुना ।”

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नामदेव’ मैं नहीं तुम

जनाबाई का जप समझने की बात है। जनाबाई हर समय विट्ठल नाम का जप करती रहती है। मंत्रजप करते-करते जनाबाई की रगों में.नस-नाड़ियों में एवं पूरे शरीर में मंत्र का प्रभाव छा गया था। वे जिन वस्तुओं को छूतीं,उनमें भी मंत्र की सूक्ष्म तरंगों का संचार हो जाता था। जनाबाई उपले पाथते समय ‘विट्ठल’ नाम का जप करती रहतीं थीं। उनके पाथे हुए उपलों को कोई चुरा ले जाता था।अतः उन्होंने नामदेवजी से फरियाद की।

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nirdosh pem

बच्चों पर तो वे जल्दी खुश होते हैं Nirdosh Prem ki kahani

मोहन के पिता का बचपन में ही स्वर्गवास हो गया था । गरीब ब्राह्मणी ने अपने इकलौते बेटे को गाँव से 5 मील दूर गुरुकुल में प्रवेश करवाया । गुरुकुल जाते समय बीच में जंगल

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