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देशभक्त सुभाषचन्द्र | Subhash Chandra Bose Desh Bhakt

सन् 1915 में सुभाष ने कलकत्ता प्रेसीडेन्सी कॉलेज में बी.ए.की शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रवेश लिया। वहाँ भारतीय विद्यार्थियों के प्रति अंग्रेज प्राध्यापकों का व्यवहार अच्छा न था।

किसी भी छोटे से कारण पर वे छात्रों को बड़ी भद्दी-भद्दी गालियाँ सुना दिया करते थे। एक बार सुभाष की कक्षा के कुछ छात्र अध्ययन-कक्ष के बाहर बरामदे में खड़े थे। प्रोफेसर ई.एफ. ओटेन उधर से गुजरे और बरामदे में खड़े छात्रों पर बरस पड़े- “जंगली, काले, बदतमीज इंडियन….!”

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