Skip to content
bhai lehna ki guru bhakti

भाई लहणा की गुरूभक्ति | Bhai Lehna ji (Guru Angad Dev Ji) Ki Guru Bhakti

खडूरगाँव (जि. अमृतसर,पंजाब) के लहणा चौधरी गुरुनानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) के शरणागत हुए । गुरु नानक देवजी (Guru Nanak Dev Ji) उन्हें भाई लहणा (Bhai Lehna ji) कहते थे। एक बार गुरुनानक

Read More »
ramcharitmanas

गुरु बिन भव निधि तरइ न कोई – Shri Ramcharitmanas

ʹश्रीरामचरित मानसʹ  (Shri Ramcharitmanas)  में आता है :- गुरु बिन भव निधि तरइ न कोई । जौ बिरंचि संकर सम होई ।। “गुरु के बिना कोई भवसागर नहीं तर सकता, चाहें वह ब्रह्माजी और शंकरजी

Read More »

गुरु बिन भवनिधि तरहिं न कोई…

मेरे आश्रम में एक महंत रहता है। मुझे एक बार सत्संग के लिए कहीं जाना था। मैंने उस महंत से कहाः “रोटी तुम अपने हाथों से बना लेना, आटा-सामान यहाँ पड़ा है।” उसने कहाः “ठीक

Read More »

पूजनीया माँ महँगीबाजी की विरह-वेदना

आज हम जानेंगे : अम्माजी की पूज्य बापूजी में निष्ठा और सच्चे हृदय की प्रार्थना बापूजी को खींच के लेके आयी। परम पूजनीया माँ महँगीबाजी की पूज्य बापूजी में ऐसी अनोखी श्रद्धा एवं दृढ गुरुभक्ति

Read More »
hearts desire

Hearts Desire | …भारत का भविष्य जगदगुरु के सिंहासन …

फरवरी 2006 में नासिक में पूज्यश्री के श्रीमुख से नि:सृत अमृतवचन (Bapuji’s Hearts Desire) बच्चों के कौन-कौन-से केंद्र में क्या-क्या खजाने छुपे हैं,इस बात को मैं जानता हूँ। इसीलिए विद्यार्थी शिविर में बच्चों को बुलाते

Read More »

प्रभुप्रीति की डोर टूटने न पाये | Satguru Waheguru Prem

राजा सूर्यसेनमल संत पीपा जी (Sant Pipa ji) का भक्त था लेकिन उसके राज्य में कुछ लोग पीपा जी से बहुत द्वेष करते थे। एक दिन दरबारियों व कुछ निंदकों ने भरे दरबार में संत

Read More »

दिमाग का कचरा नदी मे डाल दो [ Guru Shishya Story]

गुजरात के मेहसाणा जिले के लाडोल गाँव की कमला बहन पटेल सन्1978 से पूज्य बापूजी का सत्संग सान्निध्य पाती रही हैं । उनके द्वारा बताये गये बापूजी के कुछ मधुमय प्र संग :     

Read More »

गुरुप्रसाद का आदर [Respect Guru’s Value]

देवशर्मा नामक ब्राह्मण ने गुरुकुल में पढ़-लिखकर घर लौटते समय गुरुदेव के चरणों में प्रणाम करके दक्षिणा रखी ।
गुरु ने कहा : ‘‘बेटा ! तूने गुरु-आश्रम में बहुत सेवा की है और तू गरीब ब्राह्मण है, तेरी दक्षिणा मुझे नहीं चाहिए।”

देवशर्मा : ‘‘गुरुदेव ! कुछ-न-कुछ तो देने दीजिये । मेरा कर्तव्य निभाने के लिए ही सही, कुछ तो आपके
चरणों में रखने दीजिये ।’’

शिष्य की श्रद्धा को देखकर गुरुदेव ने दक्षिणा स्वीकार कर ली और कुछ प्रसाद देना चाहा ।

Read More »

गुरु में हो श्रद्धा अटल तो [Guru Me Ho Shraddha Atal To]

बचपन में रंग अवधूत महाराज का नाम पांडुरंग था | उनके घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी | एक बार उनके पास महाविद्यालय की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे | फीस भरने की अंतिम दिन आ गया | कुछ सहपाठी मित्र आये और बोले : “हम तुम्हारी फीस भर देते हैं, फिर जब तुम्हारे पास पैसे आयें तो दे देना |”
पांडुरंग : “ नहीं, मैंने उधार न लेने का प्रण किया है | मैं किसीसे भी उधार नहीं लुँगा |”

Read More »

चेला नहीं,सीधे गुरु बनाया

राजस्थान में एक हो गये केताजी महाराज। उनके पास एक लड़का आया दीक्षा लेने के लिए।
वे बोले :”अरे,क्या दीक्षा दें, जरा रुको,देखेंगे।”

लड़का भी पक्का था। देखते-देखते,गुरु महाराज की गायें चराते-चराते एक साल हो गया।

Read More »