मंत्रदाता पूजनीय हैं – Ved Vyasa Ji Short Story in Hindi
नैमिषारण्य ( जो लखनऊ के पास है ) में शबर जाति का कृपालु नाम का एक व्यक्ति ʹवृक्ष-नमनʹ मंत्रविद्या जानता था। उसकी विद्या में ऐसा प्रभाव था कि खजूर के वृक्ष झुक जाते थे और
नैमिषारण्य ( जो लखनऊ के पास है ) में शबर जाति का कृपालु नाम का एक व्यक्ति ʹवृक्ष-नमनʹ मंत्रविद्या जानता था। उसकी विद्या में ऐसा प्रभाव था कि खजूर के वृक्ष झुक जाते थे और
पंजाब केसरी रणजीत सिंह के बचपन की यह बात है। उनके पिता महासिंह के पास एक जौहरी जवाहरात लेकर आया। राजा, रानी और राजकौर जवाहरात देखने बैठे। जौहरी उत्साहपूर्वक एक के बाद एक चीज दिखाता।
स्कूल से भागा हुआ वेलिंग्टन नाम का एक किशोर लंडन की गलियों से गुजरता हुआ एक सरकारी उद्यान में जा पहुँचा। इतने में ऊँचे टावर की घंटी बजीः ‘टन…टन…टन…!’ वह किशोर टावर के उस नाद
आज हम जानेंगे : ऐशो-आराम और विलासिता में डूबने पर कितने भयंकर परिणाम आते हैं। वेसेक्स (वर्तमान इंग्लैंड का एक भाग) का प्रसिद्ध राजा अल्फ्रेड अपनी कुल परंपरा के अनुसार राजगद्दी पर बैठा। बैठने के
आज हम जानेंगे : एक अभागे के जीवन में भी जब सद्गुरु आ जाते हैं तो उसका जीवन कैसे चमक जाता है ? संत तुलसीदास जी के पिता का नाम आत्माराम था। कहा जाता है
कुलपति स्कंधदेव के गुरुकुल में प्रवेशोत्सव समाप्त हो चुका था। कक्षाएँ नियमित रूप से चलने लगी थीं। उनके योग और अध्यात्म संबंधित प्रवचन सुनकर विद्यार्थी उनसे बड़े प्रभावित होते थे। एक दिन प्रश्नोत्तर काल में
श्रीमद् भागवत [Shrimad Bhagwat] में आता है: सांकेत्यं पारिहास्यं वा स्तोत्रं हेलनमेव वा ।वैकुण्ठनामग्रहणमशेषधहरं विटुः ।।पतितः स्खलितो भग्नः संदष्टस्तप्त आहतः ।हरिरित्यवशेनाह पुमान्नार्हति यातनाम् ।। ‘भगवान का नाम चाहें जैसे लिया जाए- किसी बात का संकेत
[Childhood of Vidyasagar in Hindi] सच्ची लगन व दृढ़ पुरुषार्थ का संदेश देती हुई यह कहानी बच्चों को अवश्य सुनाएँ। एक होनहार बालक था।घर में आर्थिक तंगी… पैसे-पैसे को मोहताज… न किताबें खरीद सके न
अपनी दिव्य संस्कृति भूलकर हम विदेशी कल्चर के चक्कर में फँस गये हैं । लॉर्ड मैकाले की कूटनीति ने भारत की शक्ति को क्षीण कर दिया है । मैकाले जब भारत देश में घूमा तब
सन् १८९३ में गोरखपुर (उ.प्र.) में भगवती बाबू एवं ज्ञान प्रभा देवी के घर एक बालक का जन्म हुआ, नाम रखा गया मुकुंद । मुकुंद (Mukund) के माता-पिता ब्रह्मज्ञानी महापुरुष योगी श्यामाचरण लाहिड़ी जी के