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KarKasar Va Sadupyog: GandhiJi Short Story [Gandhi Jayanti Spcl]

KarKasar Va Sadupyog: GandhiJi Short Story [Gandhi Jayanti Spcl]

सर्दी के मौसम में गाँधीजी सिर पर ऊन का एक टुकड़ा बाँधते थे । जब वह जर्जरीभूत हो गया, तब उनकी सेविका मनु ने उन्हें एक नया टुकड़ा दे दिया । गाँधीजी बोले : “न

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Bhoot Ka Darr Kaise Bhagaya, Mahatama GandhiJi: 2nd Oct Special

Bhoot Ka Darr Kaise Bhagaya, Mahatama GandhiJi: 2nd Oct Special

भूत का डर भाग गया…!! रात बहुत काली थी और मोहन डरा हुआ था । हमेशा से ही उसे भूतों से डर लगता था। वह जब भी अँधेरे में अकेला होता, उसे लगता की कोई

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Maa Ne Mera Naam Lal Bahadur Kyu Rakha? Lal Bahadur Shastri Ji

Maa Ne Mera Naam Lal Bahadur Kyu Rakha? Lal Bahadur Shastri Ji

प्रेरक-प्रसंग : लाल बहादुर ही क्यों ? (लाल बहादुर शास्त्री जयंती : २ अक्टूबर) लाल बहादुर शास्त्री जी एक दिन सोचने लगे कि “परिवार में सभी लोगों का नाम प्रसाद व लाल पर है लेकिन

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Sahasi Balak - A Story from Lal Bahadur Shastri's Biography

“Sahasi Balak” – A Story from Lal Bahadur Shastri’s Biography

एक लड़का काशी में हरिश्चन्द्र हाईस्कूल में पढ़ता था । उसका गाँव काशी से आठ मील दूर था । वह रोजाना वहाँ से पैदल चलकर आता, बीच में गंगा नदी बहती है उसे पार करता

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Sikhe Dridh Nishchay Kaise Kare, Gandhi Ji Se (Gandhi Jayanti Spcl)

Sikhe Dridh Nishchay Kaise Kare, Gandhi Ji Se (Gandhi Jayanti Spcl)

गुरु-सन्देश – जो दृढ़ निश्चयी हैं वे ही जीवन के संग्राम में सफल होते हैं, जीवनदाता की यात्रा में प्रवेश पाकर पूर्ण हो जाते हैं । जिस श्रेष्ठ कर्म का पालन हितकर हो, गांधीजी (Gandhi

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Lal Bahadur Shastri Jayanti Special Story in Hindi [2 Oct 2021]

Lal Bahadur Shastri Jayanti Special Story in Hindi [2 Oct 2021]

लालबहादुर शास्त्रीजी के मामा लगभग रोज मांस खाने के आदी थे।
कबूतर पालना, उड़ाना और रोज उनमें से एक को मारकर खा जाना उनका नियम था।
एक दिन वे एक कबूतर को हाथ में लेकर बोले: “आज शाम तुम्हारी बारी है।”
शाम को सभी कबूतर वापस आ गये पर वह कबूतर नहीं आया। वह खपड़े में छिपा हुआ था।

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Gandhi Ji aur Unke Bete ki Story in Hindi: Gandhi Jayanti 2021

Gandhi Ji aur Unke Bete ki Story in Hindi: Gandhi Jayanti 2021

गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका में थे। एक दिन वहाँ उनके आश्रम में भोजन में कढ़ी-खिचड़ी भी बनी। साधारणतया आश्रम में कढ़ी बनने का मौका कभी-कभी ही आता था।

जिन विद्यार्थियों ने नमक न खाने का नियम लिया था,वे कढ़ी-खिचड़ी नहीं ले सकते थे। किसको क्या और कितना खाने को देना है,गाँधीजी इसका भी पूरा ध्यान रखते थे।

उनके पुत्र देवदास ने कढ़ी-खिचड़ी लेने के लिए अपना भोजनपात्र रखा। गाँधीजी ने उससे पूछा :”देवा ! तुझे तो बिना नमक का खाना है न ?”

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putra me dikha pita ko ishwariya noor - Asharamji Bapu Biography

पुत्र में दिखा पिता को “ईश्वरीय नूर” : From AsharamJi Bapu Biography

अम्माजी कहती थीं कि ”साँई ( पूज्य बापूजी ) के पिताजी ने मुझे साफ कह रखा था कि ”किन्हीं संत या गरीब को दान देकर ही भोजन बनाना।” तो इस नियम का मैं पहले भी

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GandhiJi Aur Vinoba Bhave Short Story in Hindi

GandhiJi Aur Vinoba Bhave – Nirahankar : A Short Story in Hindi

भगवान में जिसकी प्रीति होती है वह अहंकार को नहीं पोषता है । -पूज्य संत श्री आशारामजी बापू एक बार गाँधीजी ने विनोबा भावे को एक पत्र लिखा । छात्रों के सामने ही वह पत्र

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Jeevan Me Sahi Lakshya Hona Kyu Jaruri Hai?

Jeevan Me Sahi Lakshya Hona Kyu Jaruri Hai?

लक्ष्य न ओझल होने पाये,कदम मिलाकर चल ।सफलता तेरे चरण चूमेगी,आज नहीं तो कल ।। एक मुमुक्ष ने संत से पूछा :” महाराज मैं कौन सी साधना करूँ ?” संत बड़े अलमस्त स्वभाव के थे

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