असली पारस तो अपना आत्मा है
संत दादूजी के पट्टशिष्य संत गरीबदासजी के घर (नारायण ग्राम) में जो भी अतिथि आते, वे उनका खूब प्रेमभाव से सत्कार करते थे । उनके घर में ज्यादा सम्पन्नता नहीं थी, इसलिए कई बार उन्हें
संत दादूजी के पट्टशिष्य संत गरीबदासजी के घर (नारायण ग्राम) में जो भी अतिथि आते, वे उनका खूब प्रेमभाव से सत्कार करते थे । उनके घर में ज्यादा सम्पन्नता नहीं थी, इसलिए कई बार उन्हें
राजा विक्रमादित्य अत्यंत पराक्रमी, न्यायप्रिय, प्रजाहितैषी, ईमानदार एवं दयालु शासक थे । उनकी प्रजा उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करते नहीं थकती थी। एक बार वे अपने गुरु के दर्शन करने उनके आश्रम
बालक नानक ने शिक्षक को बताये वर्णमाला के अक्षरों का अर्थ.. बालक नानक की बुद्धि बचपन से ही बड़ी तीक्ष्ण थी, उन्हें जो भी पढ़ाया जाता वे एक ही बार में उसे कंठस्थ कर लेते
भगवान बुद्ध (Lord Buddha) की जीवन-काल का एक प्रसंग है….. : भगवान बुद्ध (Lord Buddha) भिक्षा के लिए निकले तब एक माई ने उनको आमंत्रित किया : “आइए,महाराज !” बुद्ध के आने पर उसने अपने