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Uttarayan 2025
[Makar Sankranti]

हमें प्रेरित करता है जीवत्व से ब्रह्मत्व की ओर… – पूज्य बापूजी

Makar Sankranti 2025 Shubh Muhurat & Pooja Timings Uttarayan 2025

14 जनवरी 2025, मंगलवार
पुण्यकाल : सूर्योदय से सूर्यास्त तक

What Is Makar Sankranti ?

मकर संक्रांति अर्थात् उत्तरायण महापर्व के दिन से अंधकारमयी रात्रि छोटी होती जायेगी और प्रकाशमय दिवस लम्बे होते जायेंगे । हम भी इस दिन दृढ़ निश्चय करें कि अपने जीवन में से अंधकारमयी वासना की वृत्ति को कम करते जायेंगे और सेवा तथा प्रभु पाने की सद्वृत्ति को बढ़ाते जायेंगे ।

उत्तरायण पर्व की महत्ता [ Importance of Uttarayan ]

  • उत्तरायण माने सूर्य रथ उत्तर की तरफ चले । उत्तरायण के दिन किया हुआ सत्कर्म अनंत गुना हो जाता है । इस दिन भगवान शिवजी ने भी दान किया था । जिनके पास जो हो उसका इस दिन अगर सदुपयोग करें तो वे बहुत-बहुत अधिक लाभ पाते हैं । शिवजी के पास क्या है ? शिवजी के पास है धारणा, ध्यान, समाधि, आत्मज्ञान, आत्मध्यान । तो शिवजी ने इसी दिन प्रकट होकर दक्षिण भारत के ऋषियों पर आत्मोपदेश का अनुग्रह किया था ।
  • गंगासागर में इस दिन मेला लगता है । प्रयागराज में गंगा-यमुना का जहाँ संगम है वहाँ भी इस दिन लगभग छोटा कुम्भ हो जाता है। लोग स्नान, दान, जप, सुमिरन करते हैं । तो हम लोग भी इस दिन एकत्र होकर ध्यान-भजन, सत्संग आदि करते हैं, प्रसाद लेते-देते हैं । इस दिन चित्त में कुछ विशेष ताजगी, कोई नवीनता हम सबको महसूस होती है ।

महाशुभ दिन : मकर संक्रांति

  • मकर संक्रांति या उत्तरायण सत्वप्रदायक व सत्ववर्धक दिन है, महाशुभ दिन है । अच्छे-अच्छे कार्य करने के लिए शुभ मुहूर्त भी मकर संक्रांति के बाद ज्यादा निकलते हैं ।
  • पुराणों का कहना है कि “इन दिनों में देवता लोग जागृत होते हैं ।”
  • मानवीय 6 महीने बीतते हैं, तब देवताओं की एक रात होती है । उत्तरायण के दिन से देवताओं की सुबह मानी जाती है। इस दिन से देवता लोग धरती पर हो-हवन, यज्ञ-याग, नैवेद्य, प्रार्थना आदि को स्वीकार करने के लिए ( सूक्ष्म रूप से ) विचरण करते हैं ।

सूत्रधार को याद करना न भूलें

  • पतंग उड़ाने का भी पर्व उत्तरायण के साथ जोड़ दिया गया है । कोई लाल पतंग है तो कोई हरी है तो कोई काली है ।
  • कोई एक आँख वाली है, कोई दो आँखों वाली है कोई पूँछ वाली है तो कोई बिना पूँछ की है ।
  • ये पतंगें तबतक आकाश में सुहानी लगती हैं, जबतक सूत्रधार के हाथ में, उड़ाने वाले के हाथ में धागा है । अगर उसके हाथ से धागा कट गया, टूट गया तो वे ही आकाश से बातें करने वाली, उड़ानें भरने वाली, अपना रंग और रौनक दिखाने वाली, होड़ पर उतरने वाली पतंगें बुरी तरह गिरी हुई दिखती हैं । कोई पेड़ पर फटी सी लटकती है तो कोई शौचालय पर तो कोई बेचारी बिजली के खम्भों पर बुरी तरह फड़कती रहती है ।
  • यह उत्सव बताता है कि जैसे पतंगें उड़ रही हैं, ऐसे ही कोई धन की, कोई सत्ता की, कोई रूप की तो कोई सौंदर्य की उड़ानें ले रहा है । ये उड़ानें तबतक सुंदर-सुहावनी दिखती है, ये सब सेठ-साहुकार, पदाधीश तबतक सुहावने लगते हैं, जबतक तुम्हारे शरीर रूपी पतंग का संबंध उस चैतन्य परमात्मा के साथ है । अगर परमात्मा रूपी सूत्रधार से संबंध कट जाए तो कब्रिस्तान या श्मशान में ये पतंगें बुरी हालत में पड़ी रह जाती हैं इसलिए सूत्रधार को याद करना न भूलो, सूत्रधार से अपना शाश्वत संबंध समझने में लापरवाही न करो ।

Importance of Surya Puja on Uttarayan

  • इस पर्व पर सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है । पवित्र होकर विशुद्ध मन से ताँबे के कलश या किसी भी धातु के पात्र में जल भरकर उसमें कुमकुम, लाल चंदन और लाल रंग के फूलों को डालकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए । इससे तन, मन और भाव तीनों की शुुद्धि होती है, बुद्धि प्रखर होती है तथा सूर्य के प्रकाश में निहित रोगनाशक शक्ति का लाभ भी मिल जाता है । इस दिन ‘आदित्यहृदय स्तोत्र’ का पाठ करने से भगवान सूर्य की प्रसन्नता मिलती है ।
‘आदित्यहृदय स्तोत्र’ पढ़ें अथवा Audio या PDF में Download करें

Pujya bapuji's Message on Uttarayan 2025

  • उत्तरायण मधुर संदेश देता है कि ‘तुम्हारे जीवन में स्निग्धता और मधुरता खुले । आकाश में पतंग चढ़ाना माने जीवन में कुछ खुले आकाश में आओ । रुंधा-रुंधा (उलझा-उलझा) के अपने को सताओ मत । इन्द्रियों के उन गोलकों में अपने को सताओ नहीं, चिदाकाशस्वरूप में आ जाओ ।
  • जैसे सूर्यनारायण समुद्र, नदियों, नालों, कीचड़ आदि विभिन्न जगहों से जल तो उठा लेते हैं लेकिन समुद्र के खारेपन एवं नाले आदि के गंदेपन से स्वयं प्रभावित नहीं होते । साथ ही बादलों की उत्पत्ति में एवं जीव जगत को स्फूर्ति-ताजगी प्रदान करने में कारणरूप होकर परोपकार के कार्यों में सूर्यदेव संलग्न रहते हैं । उनकी नाईं आप भी सद्गुणों को कहीं से भी उठा लें और परोपकार में संलग्न रहें लेकिन स्वयं किसी के दुर्गुणों से प्रभावित न हों । इस प्रकार आप अपना लक्ष्य ऊँचा बना लीजिये और उसे रोज दोहराइये । फिर तो प्रकृति और परमात्मा आपको कदम-कदम पर सहयोग और सत्प्रेरणा देंगे ।
  • आप अपने लक्ष्य पर अडिग रहने की प्रतिज्ञा कीजिये और एकांत में उसे जोर-से दोहराइये । जैसे – ‘मेरी इस प्रतिज्ञा को यक्ष, गंधर्व, किन्नर आदि सब सुनें । आज से मैं गुरुदेव के, भगवान के हृदय को ठेस पहुँचे ऐसा कोई काम नहीं करूंगा ।’ ऐसा करने से आपका मनोबल बढ़ेगा । बस, इतना कर लिया तो बाकी सबकी रक्षा गुरुकृपा, भगवत्कृपा अपने-आप करती है, संभाल लेती है और आपको ऊपर उठाती है । अनपढ़ लोग भी पूजनीय बन जाते हैं गुरुकृपा से ।

BhishmaParva [Uttarayan 2025 Festival]

  • भीष्म पितामह संकल्प करके 58 दिनों तक शरशय्या पर पड़े रहे थे और उत्तरायण काल का इंतजार किया था । बाणों की पीड़ा सहते हुए भी प्राण न त्यागे और पीड़ा के भी साक्षी बने रहे ।
  • भीष्म पितामह से राजा युधिष्ठिर प्रश्न करते हैं और भीष्म पितामह शर-शय्या पर लेटे-लेटे उत्तर देते हैं । कैसी समता है इस भारत के वीर की ! कैसी बहादुरी है तन की, मन की और परिस्थितियों के सिर पर पैर रखने की कैसी हमारी संस्कृति है, क्या विश्व में कोई ऐसा दृष्टांत सुना है ?
  • उत्तरायण उस महापुरुष के सुमिरन का दिवस भी है और अपने जीवन में परिस्थिति रूपी बाणों की शय्या पर सोते हुए भी समता, ज्ञान और आत्मवैभव को पाने की प्रेरणा देने वाला दिवस भी है । दुनिया की कोई परिस्थिति तुम्हारे वास्तविक स्वरूप आत्मस्वरूप को मिटा नहीं सकती । मौत भी जब तुमको मिटा नहीं सकती तो ये परिस्थितियाँ क्या तुम्हें मिटायेंगी !

हमें मिटा सके ये जमाने में दम नहीं ।
हमसे जमाना है, जमाने से हम नहीं ।।

  • यह भीष्मजी ने करके दिखाया है ।

सूर्यनारायण देते जीवन-निर्माण की सीख

  • सब पर्वों की तारीखें बदलती जाती हैं, किंतु मकर संक्रांति की नहीं बदलती । यह नैसर्गिक पर्व है । किसी व्यक्ति के आने-जाने से या किसी के अवतार से यह पर्व नहीं हुआ । प्रकृति में जो मूलभूत परिवर्तन होता है, उससे संबंधित है यह पर्व और प्रकृति की हर चेष्टा व्यक्ति के तन और मन से संबंध रखती है । इस काल में भगवान भास्कर की गति उत्तर की तरफ होती है ।
  • अंधकार वाली रात्रि छोटी होती जाती है और प्रकाश वाला दिन बड़ा होता जाता है । अब ठंडी का जोर कम होता जाएगा । न गर्मी, न ठंडी, अब वसंत ऋतु आएगी, बहारें आएंगी । अगर प्यार से सूर्य नारायण का हृदयपूर्वक चिंतन करते हो और आरती घुमाते हो तो हृदय में मस्ती, आनंद उभरेगा । वसंत ऋतु की बहारें तो आएंगी लेकिन अंतरात्मा-परमात्मा की बहार भी शुरू हो जायेगी ।

Uttarayan [Makar Sankranti 2025] Wishes, Messages & Quotes

जैसे सूर्य का रथ दक्षिण से उत्तर को चला, ऐसे ही आप अपनी अधोगामी चित्त-वृत्तियाँ बदलकर ऊर्ध्वगामी करें ।

हजारों जन्मों का काम तू एक जन्म में पूरा कर ! इस दिन से तेरे जीवन का रथ उन्नति की तरफ चले । इस दिन दृढ़ निश्चय कर ले कि ‘अब मैं उन्नति की तरफ चलूँगा अर्थात् शुभ संकल्प करुँगा, सुसंग और सुज्ञान प्राप्त करूँगा ।’

सूर्य को अर्घ्य देने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । सूर्य की कोमल धूप में सूर्यस्नान करना और नाभि में सूर्य का ध्यान करना, इससे मंदाग्नि दूर होती है, स्वास्थ्य-लाभ मिलता है । सूर्यनमस्कार करने से बल और ओज-तेज की वृद्धि होती है ।

मकर संक्रांति का लाभ उठायें ।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर जल में तिल डाल के जो स्नान करता है, उसे 10 हजार गौदान का फल मिलता है । इस दिन सूर्यनारायण का मानसिक रूप से ध्यान करके उनसे मन-ही-मन आयु और आरोग्य के लिए प्रार्थना करने से प्रार्थना विशेष प्रभावशाली होती है ।

तुम्हारे जीवन की संक्रांति का लक्ष्य यह होना चाहिए कि दुबारा जन्म न मिले बस ! मृत्यु से डरने की जरूरत नहीं है, मृत्यु से डरने से कोई मृत्यु से बच नहीं गया । परंतु दुबारा जन्म ही न हो ऐसा प्रयास करने की जरूरत है ताकि फिर दुबारा मौत भी नहीं आये ।

उत्तरायण के पर्व पर गुड़ और तिल – तिल की स्निग्धता व गुड़ की मधुरता का मिश्रण करके महाराष्ट्र में एक-दूसरे को लड्डू बाँटते हैं । ऐसे ही तुम भी आपस में स्निग्धता और मधुरता अपने आत्मा-परमात्मा के साथ बरसाते जाओ ।

उत्तरायण माने सूर्य का रथ उत्तर की तरफ चले । उत्तरायण के दिन किया हुआ सत्कर्म अनंत गुना हो जाता है ।

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