English Kyu? Hindi Kyu Nahi ? – Mahatma Gandhi Ji
गाँधीजी जानते थे कि देश पूरी तरह तभी स्वतंत्र हो सकता है, जब वह मानसिक रूप से भी गुलामी को उखाड़ फेंके । इसके लिए भारतवासियों को राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रयोग अपने दैनिक जीवन में
गाँधीजी जानते थे कि देश पूरी तरह तभी स्वतंत्र हो सकता है, जब वह मानसिक रूप से भी गुलामी को उखाड़ फेंके । इसके लिए भारतवासियों को राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रयोग अपने दैनिक जीवन में
✸ “शुद्ध, सादे सूती वस्त्र स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे हैं और आर्थिक ढंग से भी ठीक हैं । कपड़े पहनो अंगों की रक्षा करने के लिए, अंगों को बीमार करने के लिए नहीं ।
एक बार भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) राँची गये थे । वहाँ पहुँचने पर उनकी चप्पल टूट गयी । वे जहाँ ठहरे हुए थे वहाँ से लगभग दस किमी. की
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) तेजस्वी राजनेता तो थे ही, साथ ही धर्म और अध्यात्म में भी उनकी गहरी रूचि थी। ‘गीता’ पर उनकी कर्मप्रेरक टीका सुप्रसिद्ध ही है। जब वे राजद्रोह के
जब भारत पर मुगलों का शासन था, तब की यह घटित घटना है …. चौदह वर्षीय हकीकत राय (Veer Hakikat Rai) विद्यालय में पढ़ने वाला सिंधी बालक था । एक दिन कुछ बच्चों ने मिलकर
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झण्डा ऊँचा रहे हमारा… जानकीदास मेहरा नाम का एक नवयुवक था। बड़े परिश्रम के बाद सन् 1946 में ज्यूरिख (स्विट्जरलैंड) में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय खेल के लिए चुना गया । उसकी
नरकेसरी वीर शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) आजीवन अपनी मातृभूमि भारत की स्वतन्त्रता के लिए लड़ते रहे। वे न तो स्वयं कभी प्रमादी हुए और न ही उन्होंने दुश्मनों को चैन से सोने दिया। वे कुशल
गांधीजी की प्रेरणा से सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar vallabhbhai patel) आज़ादी की लड़ाई में कूद पड़े। वे कुशल वक्तृत्व शैली, निडरता, किसानों के प्रति आत्मीयता, श्रेष्ठ संगठन – शैली इत्यादि गुणों से सम्पन्न थे।
गुजरात में बारडोली क्षेत्र के एक गाँव में चौपाल पर बैठे कुछ लोग घबराये स्वर में कुछ बातें कर रहे थे। एक युवक ने उनके इस प्रकार आतंकित होने का कारण पूछा। लोगों ने बताया-
‘आनन्दमठ’ जैसी कृति के लेखक बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय बंगाल में न्यायाधीश थे। वे वकीलों को अंग्रेजी की जगह बँगला का उपयोग करने की प्रेरणा दिया करते थे ।
एक दिन उनके न्यायालय में एक अग्रेंज वकील किसी मुकदमे की पैरवी करने आया । उसने बंकिम बाबू को बँगला बोलते देखा तो कहा :”शासन की भाषा अंग्रेजी है । आप इसकी जगह थोड़े-से क्षेत्र की भाषा बँगला का उपयोग क्यों करते हैं ?
आप तो अंग्रेजी के अच्छे जानकार भी हैं ।”