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Swami Vivekananda

मैं भारत की पूजा करने लग गया हूँ – Swami Vivekananda

स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) जब अमरीका की यात्रा से लौटे तो एक अंग्रेज पत्रकार ने भारत की गुलामी और गरीबी की हँसी उड़ाने की नीयत से व्यंग्य भरे स्वर में उनसे पूछाः ʹʹऐश्वर्य और वैभव

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lakshmi ji ko laga prithvi par

लक्ष्मीजी को पृथ्वी पर स्थगन आदेश | A Pauranik Katha

…..~पूज्य संत श्री आशारामजी बापूजी एक बार लक्ष्मीजी पृथ्वी पर आयीं। लोग बैठे थे। आलसी थे। कह दिया, “माँ की जय हो।” लक्ष्मी जी ने उन सबके घर सुवर्ण से भर दिया। यह देखकर पृथ्वी

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guru gobind singh

मानुषी चमत्कार – Guru Gobind Singh Ji Story in Hindi

मुगल दरबार में विशेष हलचल मची हुई थी। संधि-वार्ता हेतु सिखों के सम्माननीय गुरु गोविंद सिंह जी (Guru Gobind Singh Ji)  आमंत्रण पर पधारे थे । उनकी ‘गुरु’ उपाधि से एक मौलवी के मन में

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bodh katha

मानवता में पहला स्थान – Hindi Bodh Katha

कोलकाता के एक प्रसिद्ध विद्यालय में दो विद्यार्थी सदा पहला-दूसरा स्थान लाते थे । पहले स्थान वाले का सदैव पहला और दूसरे स्थान वाले का सदैव दूसरा स्थान ही आता था । पिछले 5-6 साल

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dr rajendra prasad

यह दिमाग अंडे से नहीं,दूध से बना है Dr Rajendra Prasad

आजादी के पूर्व की बात है। एक बार कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में जिस रिपोर्ट के आधार पर एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित करना था वह नहीं मिल रही थी ।  सब चिंतित थे। सदस्यों को

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ramcharitmanas

गुरु बिन भव निधि तरइ न कोई – Shri Ramcharitmanas

ʹश्रीरामचरित मानसʹ  (Shri Ramcharitmanas)  में आता है :- गुरु बिन भव निधि तरइ न कोई । जौ बिरंचि संकर सम होई ।। “गुरु के बिना कोई भवसागर नहीं तर सकता, चाहें वह ब्रह्माजी और शंकरजी

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Hum Faltu Kharch karne ke liye rastrapati nahi bane hai - dr rajendra prasad

हम फालतू खर्च के लिए राष्ट्रपति नहीं बने हैं – Dr Rajendra

एक बार भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) राँची गये थे । वहाँ पहुँचने पर उनकी चप्पल टूट गयी । वे जहाँ ठहरे हुए थे वहाँ से लगभग दस किमी. की

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Bal Gangadhar Tilak

मेरे जीवन का अंतिम लक्ष्य – Bal Gangadhar Tilak

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) तेजस्वी राजनेता तो थे ही, साथ ही धर्म और अध्यात्म में भी उनकी गहरी रूचि थी। ‘गीता’ पर उनकी कर्मप्रेरक टीका सुप्रसिद्ध ही है। जब वे राजद्रोह के

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lilashah ji maharaj

लौकिकता में थी अलौकिक की खबरें – Guru Swami Lilashah ji and Shishya

एक बार रक्षाबंधन के पर्व पर परम पूज्य सदगुरुदेव (साईं लीलाशाहजी महाराज | Sai Lilashah ji Maharaj) अमदावाद में पधारे हुए थे।  जूनागढ़ से एक प्रोफेसर किसी काम से अमदावाद आये थे। रक्षाबन्धन का अवसर

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vaigyanik banane ke gun

वैज्ञानिक बनने के गुण | Who Can Be A Scientist ?

एक बच्चे को बाल्यावस्था से ही वैज्ञानिक बनने की लगन थी लेकिन उसके विकास में सबसे बड़ी बाधा थी उसकी गरीबी ।  उसकी माँ ने सोचा कि गरीबी के चलते उसके पुत्र की यह अभिलाषा

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