समझाने का सुंदर तरीका | Dada – Dadi ki kahani hindi
जिसका हृदय क्षमा, उदारता से भरा होता है तथा जो दूसरों के साथ मधुर, सांत्वना भरा व्यवहार करता है, दूसरों की अनुकूलता का खयाल रखता है उसके प्रति लोग सहज ही अनुकूल हो जाते हैं
जिसका हृदय क्षमा, उदारता से भरा होता है तथा जो दूसरों के साथ मधुर, सांत्वना भरा व्यवहार करता है, दूसरों की अनुकूलता का खयाल रखता है उसके प्रति लोग सहज ही अनुकूल हो जाते हैं
आज हम जानेंगे : एक छोटे से बालक ने कैसे एक डाकू का हृदय परिवर्तित कर दिया…. एक बालक शिक्षा के लिए निकट के शहर में जा रहा था । आवश्यक खर्च के लिए उसकी
सदगुरु वे माली हैं जो जीवन रूपी वाटिका को सुरभित करते हैं। छोटी उम्र में ही एक बालक की नेत्र ज्योति चली गयी। सारा परिवार दु:खी हो गया। बालक सोचने लगा, हाय मेरा जन्म लेना
राजा सूर्यसेनमल संत पीपा जी (Sant Pipa ji) का भक्त था लेकिन उसके राज्य में कुछ लोग पीपा जी से बहुत द्वेष करते थे। एक दिन दरबारियों व कुछ निंदकों ने भरे दरबार में संत
तब क्या हुआ जब अंग्रेज न्यायाधीश ने वहाँ की मुख्य सड़क पर तिरंगा झण्डा लेकर चलने पर पाबंदी लगा दी…!!!! कुछ विद्यार्थी पढ़ने के लिए अपने गाँव से दूसरे गाँव पैदल जा रहे थे ।
भगवान बुद्ध (Lord Buddha) की जीवन-काल का एक प्रसंग है….. : भगवान बुद्ध (Lord Buddha) भिक्षा के लिए निकले तब एक माई ने उनको आमंत्रित किया : “आइए,महाराज !” बुद्ध के आने पर उसने अपने
निरन्तर परिश्रम (Parishram) करते रहने का संदेश देती हुई यह कहानी बच्चों को जरूर सुनाएँ। एक दिन अपने शिष्यों की परीक्षा लेने की इच्छा से महात्मा नित्यानंदजी (Swami Nityananda ji) ने अपने सभी शिष्यों को
❀ “भारत को समर्थ राष्ट्र बनाना हो तो नयी पीढ़ी को बचपन से ही भगवन्नाम-जप, ध्यान, मौन, प्राणायाम आदि का अभ्यास कराओ। इससे उनकी बुद्धि एकाग्र होती है और भीतरी सुषुप्त शक्तियाँ जाग्रत होने लगती
प्रो. मॉर्गन का सुझाव था कि स्वस्थ व्यक्ति प्रतिदिन ૐ (OM | AUM | OMKAR) का जप करके उम्र भर बीमारियों को दूर रख सकता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति के
सभी विद्यार्थी पढाई में आगे बढ़ना चाहते हैं। किंतु अनेक विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो मेहनत तो बहुत करते हैं परंतु उनको सफलता नहीं मिलती । यहाँ पर कुछ युक्तियाँ दी जा रही हैं जिनके