Skip to content

संत की करुणा कृपा से बदला जीवन| Life Changing Experience by Guru

एक व्यक्ति प्रायः साधु – संतों की खिल्ली उड़ाया करता था। वह एक बार अपने एक मित्र के कहने पर श्री देवराहा बाबा के दर्शन करने जा रहा था। एक परिचित ने पूछा : “कहाँ

Read More »

संत सताये तीनों जाये

आज हम जानेंगे : कैसे एक संत को सताने से एक काजी अपने प्राण गँवा बैठा ? मुगलों के समय की घटना है । संत दादू दीनदयालजी सांभर (जि. उदयपुर, राज.) में ठहरे हुए थे

Read More »
Mahatma Gandhi aur brahmacharya

ब्रह्मचर्य के लिए जरूरी है: जीभ पर नियंत्रन |Gandhi ji Tips

महात्मा गाँधीजी  (Mahatma Gandhiji) के वचन– जिसने जीभ को नहीं जीता वह विषय- वासना को नहीं जीत सकता। मन में सदा यह भाव रखें कि हम केवल शरीर के पोषण लिये ही खाते हैं, स्वाद

Read More »
sardar patel, sardar vallabhbhai patel ,vallabhbhai patel

संगठन में शक्ति | Sardar vallabhbhai patel

गुजरात में बारडोली क्षेत्र के एक गाँव में चौपाल पर बैठे कुछ लोग घबराये स्वर में कुछ बातें कर रहे थे। एक युवक ने उनके इस प्रकार आतंकित होने का कारण पूछा। लोगों ने बताया-

Read More »
pandurang sant, rang avadhoot bapji, avadhoot maharaj

सावधानी ही साधना है | Pandurang sant kaise bane

गोधरा (गुजरात) में पांडुरंग (pandurang)  नाम का एक बड़ा ही कुशाग्र और सुदृढ़ विद्यार्थी था, जो दूसरों की मदद के लिए सदैव तत्पर रहता था । उसकी माता रुक्मिणी उसे ‘बाबू’ कहकर पुकारती थीं ।

Read More »

दिमाग का कचरा नदी मे डाल दो [ Guru Shishya Story]

गुजरात के मेहसाणा जिले के लाडोल गाँव की कमला बहन पटेल सन्1978 से पूज्य बापूजी का सत्संग सान्निध्य पाती रही हैं । उनके द्वारा बताये गये बापूजी के कुछ मधुमय प्र संग :     

Read More »
balak dhruv

बच्चों को बचपन में दें कैसे संस्कार | Bhakt Dhruv ki katha

अगर माता सुनीति चाहतीं तो ध्रुव में प्रतिशोध की भावना भी भर सकती थीं पर उन्होंने नन्हें से बालक को भगवद्भक्ति के संस्कार दिए । राजा उत्तानपाद की दो रानियाँ थीं । प्रिय रानी का

Read More »

जिन्होंने पिलाया भक्तिरस,उन्हें हमने क्या दिया

” किसी भी संत की जीवन-गाथा देखेंगे तो यह जानने को मिलेगा कि उन्हें अपने जीवन में कई यातनाएँ सहनी पड़ीं । भक्तिमती मीराबाई भी ऐसी ही एक संत थीं जिन्होंने अपने जीवन में बहुत अधिक

Read More »

गुरुप्रसाद का आदर [Respect Guru’s Value]

देवशर्मा नामक ब्राह्मण ने गुरुकुल में पढ़-लिखकर घर लौटते समय गुरुदेव के चरणों में प्रणाम करके दक्षिणा रखी ।
गुरु ने कहा : ‘‘बेटा ! तूने गुरु-आश्रम में बहुत सेवा की है और तू गरीब ब्राह्मण है, तेरी दक्षिणा मुझे नहीं चाहिए।”

देवशर्मा : ‘‘गुरुदेव ! कुछ-न-कुछ तो देने दीजिये । मेरा कर्तव्य निभाने के लिए ही सही, कुछ तो आपके
चरणों में रखने दीजिये ।’’

शिष्य की श्रद्धा को देखकर गुरुदेव ने दक्षिणा स्वीकार कर ली और कुछ प्रसाद देना चाहा ।

Read More »