घर-घर में बहे प्रेम की गंगा
रामनारायण धर्मनिष्ठ व सच्चरित्रवान वर खोजने लगे। इसी बात को लेकर दोनों भाइयों में मनमुटाव हो गया। जयनारायण ने घर छोड़ दिया और अपनी पत्नी को लेकर दूसरे मोहल्ले में रहने लगे। रामनारायण ने प्रेमा का विवाह एक सच्चरित्र युवक के साथ कर दिया।
समय बीता। एक दिन प्रेमा ससुराल से अपने बड़े भाई के घर आयी हुई थी। एक शाम को वह झूला झूल रही थी कि जयनारायण किसी कार्यवश उधर से गुजरे। प्रेमा की जयनारायण की तरफ पीठ थी इसलिए वह भाई को देख नहीं पायी परंतु उन्होंने बहन को देख लिया। वकील बाबू ने सुना कि प्रेमा गा रही हैः