चेला नहीं,सीधे गुरु बनाया
राजस्थान में एक हो गये केताजी महाराज। उनके पास एक लड़का आया दीक्षा लेने के लिए।
वे बोले :”अरे,क्या दीक्षा दें, जरा रुको,देखेंगे।”
लड़का भी पक्का था। देखते-देखते,गुरु महाराज की गायें चराते-चराते एक साल हो गया।
राजस्थान में एक हो गये केताजी महाराज। उनके पास एक लड़का आया दीक्षा लेने के लिए।
वे बोले :”अरे,क्या दीक्षा दें, जरा रुको,देखेंगे।”
लड़का भी पक्का था। देखते-देखते,गुरु महाराज की गायें चराते-चराते एक साल हो गया।
भगवान एक बच्चे से कहता है, जिसे अगले दिन पैदा होना है। बच्चे कल तुम्हें हमेशा के लिए’ धरती पर जाना है।बच्चा रोने लगता है और पूछता है कि मैंनेवहाँ लोगो से कैसे बात करूँगा
एक बार उनके गुरु ख्वाजा बहाउद्दीन ने उनको किसी खास काम के लिए मुलतान भेजा। उन दिनों वहाँ शम्सतबरेज के शिष्यों ने गुरु के नाम का दरवाजा बनाया था और घोषणा की थी कि आज इस दरवाजे से जो गुजरेगा वह जरूर स्वर्ग में जायेगा।
महामना मदनमोहन मालवीयजी उनके विश्वविद्यालयों के युवकों से ब्राह्ममुहूर्त में उठने का आग्रह रखते थे।
उनके जीवन की एक घटना है। शीतकाल में
प्रात: आठ बजे एक ब्राह्मण युवक मौलिन्द्र उनसे मिलने आया। उसे अंदर आने की अनुमति मिली। मालवीय जी उस समय पूजा में बैठे थे। युवक ने अंदर जाकर प्रणाम किया। उसके माथे पर तिलक न देख उन्होंने इसका कारण पूछा।
एक दिन खुशरोज मेले में किरण देवी आयी। अकबर के संकेत से उसकी कुट्टिनियों ने किरण देवी को धोखे से अकबर के महल में पहुँचा दिया। किरण देवी के सौंदर्य को देखकर विषांध अकबर की कामवासना भड़की।
ज्यों ही उसने किरण देवी को स्पर्श करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया, त्यों ही उसने रणचंडी का रूप धारण कर लिया और अपनी कमर से तेज धारवाली कटार निकाली तथा
एक मिशनरी ने श्री रामकृष्ण परमहंस से पूछा :”आप माता काली के रोम-रोम में अनेक ब्रह्माण्डों की बातें करते हैं और उस छोटी-सी मूर्ति को काली कहते हैं,यह कैसे ?
इस पर परमहंसजी ने पूछा :”सूरज दुनिया से कितना बड़ा है ?
मिशनरी ने उत्तर दिया :”नौ लाख गुना ।”
जनाबाई का जप समझने की बात है। जनाबाई हर समय विट्ठल नाम का जप करती रहती है। मंत्रजप करते-करते जनाबाई की रगों में.नस-नाड़ियों में एवं पूरे शरीर में मंत्र का प्रभाव छा गया था। वे जिन वस्तुओं को छूतीं,उनमें भी मंत्र की सूक्ष्म तरंगों का संचार हो जाता था। जनाबाई उपले पाथते समय ‘विट्ठल’ नाम का जप करती रहतीं थीं। उनके पाथे हुए उपलों को कोई चुरा ले जाता था।अतः उन्होंने नामदेवजी से फरियाद की।
स्वामी रामकृष्ण को जब गले का कैंसर हो गया था, तब नाग महाशय रामकृष्णदेव की पीड़ा को देख नहीं पाते थे। एक दिन जब नाग महाशय उनको प्रणाम करने गये, तब रामकृष्णदेव ने कहाः”ओह ! तुम आ गये। देखो, डॉक्टर विफल हो गये। क्या तुम मेरा इलाज कर सकते हो?”
मोहन के पिता का बचपन में ही स्वर्गवास हो गया था । गरीब ब्राह्मणी ने अपने इकलौते बेटे को गाँव से 5 मील दूर गुरुकुल में प्रवेश करवाया । गुरुकुल जाते समय बीच में जंगल
उसी में इनका ट्यूमर निकल गया है । अब ये बिल्कुल ठीक हैं । ऑपरेशन की जरूरत नहीं है ।
एक सत्य घटना है ।
एक शिक्षक के पेट में ट्यूमर (गाँठ) हो गया । उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया गया । अगले दिन ऑपरेशन होना था । वे जिस वॉर्ड में थे उसमें एक रोगी की मृत्यु हुई । उसकी पत्नी विलाप करने लगी : ‘अब मैं क्या करूँ, इनको कैसे गाँव ले जाऊँ ? मेरे पास पैसे भी नहीं हैं… कैसे इनका क्रियाकर्म होगा ?’