Hindu New Year 2024| Chaitra Nutan/ Nav Varsh| Vikram Samvat

Hindu New Year 2024 | Chaitra Nutan/ Nav Varsh 2024 | Vikram Samvat 2081

  • भारतीयों के लिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन अत्यंत शुभ होता है । इस दिन भगवान ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि की रचना हुई तथा युगों में प्रथम ‘सतयुग’ का प्रारम्भ हुआ ।
  • मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम एवं धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक दिवस, मत्स्यावतार दिवस, वरुणावतार संत झुलेलाल जी का अवतरण दिवस, सिक्खों के द्वितीय गुरु अंगददेव का जन्म-दिवस, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का जन्मदिवस, चैत्री नवरात्र प्रारम्भ आदि पर्वोत्सव एवं जयंतियाँ वर्ष-प्रतिपदा से जुडकर और अधिक महान बन गयीं । इस दिन ‘गुडी पडवा भी मनाया जाता है, जिसमें गुडी (बाँस की ध्वजा) खडी करके उस पर वस्त्र, ताम्र कलश, नीम की पत्तेदार टहनियाँ तथा शर्करा से बने हार चढाये जाते हैं ।
  • गुडी उतारने के बाद उस शर्करा के साथ नीम की पत्तियों का भी प्रसाद के रूप में सेवन किया जाता है, जो जीवन में (विशेषकर वसंत ऋतु में) मधुर रस के साथ कडवे रस की भी आवश्यकता को दर्शाता है ।
  • नूतन संवत्सर प्रारम्भ की वेला में सूर्य भूमध्य रेखा पार कर उत्तरायण होते हैं । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रकृति सर्वत्र माधुर्य बिखेरने लगती है । भारतीय संस्कृति का यह नूतन वर्ष जीवन में नया उत्साह, नयी चेतना व नया आह्लाद जगाता है । वसंत ऋतु का आगमन होने के साथ वातावरण समशीतोष्ण बन जाता है। सुप्तावस्था में पडे जड-चेतन तत्त्व गतिमान हो जाते हैं ।
  • नदियों में स्वच्छ जल का संचार हो जाता है । आकाश नीले रंग की गहराइयों में चमकने लगता है। सूर्य-रश्मियों की प्रखरता से खडी फसलें परिपक्व होने लगती हैं । किसान नववर्ष एवं नयी फसल के स्वागत में जुट जाते हैं । पेड-पौधे नव पल्लव एवं रंग-बिरंगे फूलों के साथ लहराने लगते हैं । बौर आये आम और कटहल नूतन संवत्सर के स्वागत में अपनी सुगन्ध बिखेरने लगते हैं । सुगन्धित वायु के झकोरों से सारा वातावरण सुरभित हो उठता है । कोयल कूकने लगती है । चिड़िया चहचहाने लगती हैं। इस सुहावने मौसम में सारा कृषिक्षेत्र सुंदर, स्वर्णिम खेती से लहलहा उठता है ।
  • इस प्रकार नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता सुंदर भूमिका बना देती है । इस बाह्य चैतन्यमय प्राकृतिक वातावरण का लाभ लेकर व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन में भी उपवास द्वारा शारीरिक स्वास्थ्य-लाभ के साथ-साथ जागरण, नृत्य-कीर्तन आदि द्वारा भावनात्मक एवं आध्यात्मिक जागृति लाने हेतु नूतन वर्ष के प्रथम दिन से ही माँ आद्यशक्ति की उपासना का नवरात्रि महोत्सव शुरू हो जाता है ।
  • नूतन वर्ष प्रारंभ की पावन वेला में हम सब एक-दूसरे को सत्संकल्प द्वारा पोषित करें कि ‘सूर्य का तेज, चंद्रमा का अमृत, माँ शारदा का ज्ञान, भगवान शिवजी की तपोनिष्ठा, माँ अम्बा का शत्रुदमन-सामर्थ्य व वात्सल्य, दधीचि ऋषि का त्याग, भगवान नारायण की समता, भगवान श्री रामचंद्रजी की कर्तव्यनिष्ठा व मर्यादा, भगवान श्रीकृष्ण की नीति व योग, हनुमानजी का निःस्वार्थ सेवाभाव, नानकजी की भगवन्नाम-निष्ठा, पितामह भीष्म एवं महाराणा प्रताप की प्रतिज्ञा, गौमाता की सेवा तथा ब्रह्मज्ञानी सद्गुरु का सत्संग-सान्निध्य व कृपावर्षा – यह सब आपको सुलभ हो । इस शुभ संकल्प द्वारा ‘परस्परं भावयन्तु की सद्भावना दृढ होगी और इसी से पारिवारिक व सामाजिक जीवन में रामराज्य का अवतरण हो सकेगा, इस बात की ओर संकेत करता है यह राम राज्याभिषेक दिवस ।
  • अपनी गरिमामयी संस्कृति की रक्षा हेतु अपने मित्रों-संबंधियों को इस पावन अवसर की स्मृति दिलाने के लिए बधाई-पत्र लिखें, दूरभाष करते समय उपरोक्त सत्संकल्प दोहरायें, सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करें, मंदिरों आदि में शंखध्वनि करके नववर्ष का स्वागत करें ।
    – ऋषि प्रसाद, मार्च 2007
इस नूतन वर्ष को हम भी सत्शास्त्ररूपी मिठाई का मधुर आस्वाद लेकर मनायें तथा अपने जीवन को ईश्वरप्राप्ति के महान लक्ष्य की ओर अग्रसर करने का संकल्प करें ।
– पूज्य संत श्री आशारामजी बापू

चेटीचंड व चैत्री नूतन वर्ष 2024 का दिव्य संदेश | Sant Shri Asharamji Bapu

Gudi Padwa 2024 Date, Puja Vidhi, Muhurat, Images, Wishes

Gudi Padwa 2024 Date

महाशुभ मुहूर्त : गुडी पड़वा, 09 April 2024 ( मंगलवार )

What is Gudi Padwa.?

  • चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा या गुडी पड़वा वर्ष का आरम्भ दिवस माना जाता है । कई प्रकार से यह महत्वपूर्ण है । एक तो प्राकृतिक ढंग से, कि यह वसंत ऋतु है । गीता के दसवें अध्याय के 35 वें श्लोक में भगवान ने इस ऋतु की महिमा बताते हुए कहा है : ऋतूनां कुसुमाकरः । – ‘ऋतुओं में वसंत मैं हूँ ।’
  • दूसरा ऐतिहासिक ढंग से, कि भगवान राम ने इस दिन बालि का वध किया था, गुडी पड़वा पर्व के दिन विजयपताका फहरायी । शालिवाहन ने शत्रुओं पर विजय पायी, जिससे इस दिन से शालिवाहन शक प्रारम्भ हुआ । इसी दिन राजा विक्रमादित्य ने शकों पर विजय पायी और विक्रम संवत्सर प्रारम्भ हुआ । चैत्री नवरात्र भी इसी दिन से शुरू होता है । आध्यात्मिक ढंग से देखें तो यह सतयुग का प्रारम्भिक दिवस है । वर्ष के साढ़े तीन शुभ मुहूर्तों में से एक है गुडी पड़वा का दिन ! यह बिना मुहूर्त के मुहूर्त है अर्थात् इस पूरे दिन शुभ मुहूर्त रहता है, पंचांग में शुभ मुहूर्त नहीं देखना पड़ता । इस दिन जितना भी भजन, ध्यान, जप, मौन, सेवा की जाए, उसका अनेक गुना फल मिलता है । अंतर्मुख होना हो तो इसके लिए यह बड़ा हितकारी दिवस है ।

कैसे हुआ गुड़ी पड़वा का प्रारम्भ

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इस दिन मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्रजी ने बालि के अत्याचार से लोगों को मुक्त किया था । उसकी खुशी में लोगों ने घर-घर गुड़ी (ध्वजा) खड़ी कर उत्सव मनाया इसलिए यह दिन ‘गुड़ी पड़वा’ नाम से प्रचलित हुआ । ब्रह्माजी ने जब सृष्टि का आरम्भ किया उस समय इस तिथि को ‘प्रवरा’ (सर्वोत्तम) तिथि सूचित किया था । इसमें व्यावहारिक, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि अधिक महत्व के अनेक कार्य आरम्भ किये जाते हैं ।
  • नये नये साल के प्रथम दिन से ही चैत्री नवरात्र का उपवास चालू हो जाता है । 9 दिन का उपवास करके माँ शक्ति की उपासना की जाती है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ मानसिक प्रसन्नता व शारीरिक स्वास्थ्य-लाभ भी सहज में ही मिल जाता है ।

Importance of Gudi Padwa?

  • हमारे नूतन वर्ष का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात् चैत्री नवरात्रि की प्रतिपदा से होता है । वर्ष का पहला दिन होने से इसका विशेष महत्व है । वर्षारम्भ की यह मंगलदायिनी तिथि समूचे वर्ष के सुख-दुःख का प्रतीक मानी जाती है ।

Gudi Padwa 2024 Puja Muhurat, Timings & Vidhi

विक्रम संवत् 2081 प्रारम्भ, 09 अप्रैल 2024 (पूरा दिन शुभ मुहूर्त )

Happy Gudi Padwa 2024 Messages, Wishes, Status

FAQ
Gudi Padwa 2024 Kab Hai ?

09 अप्रैल 2024

गुढीपाडव्याच्या हार्दिक शुभेच्छ्या.
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