Jab Devraj Indra bhi Geeta Gyan Ko Dekhkar Dang rahe gaye
प्रभु सौ-सौ अश्वमेध यज्ञ करने के बाद भी कोई विरला ही इन्द्रपद को पाता है । इस आदमी ने न तो अश्वमेघ किये, न दान पुण्य किया, न लाख-दो लाख पेड़-पौधे लगाये, न व्रत-उपवास किये,
प्रभु सौ-सौ अश्वमेध यज्ञ करने के बाद भी कोई विरला ही इन्द्रपद को पाता है । इस आदमी ने न तो अश्वमेघ किये, न दान पुण्य किया, न लाख-दो लाख पेड़-पौधे लगाये, न व्रत-उपवास किये,
खुशखबरी.. खुशखबरी.. आ गया नववर्ष का उपहार: Hindu Tithi Calendar 2022 2022 Hindu Calendar with Tithi Previous Next इनमें ऐसी प्रेरणाएँ और सूत्र हैं जिनसे मन में उत्साह रहेगा, व्यवहार में सौहार्द रहेगा, घर में
[Sharad Purnima Special Kheer, Benefits of Kheer on Sharad Poonam 2022]: एक लोभी सेठ था । खाने का लोभी… पत्नी तो मर गई थी , रसोइये को बोला खीर बना दे । मैं घूमकर आता
Sharad Purnima 2022 mein Kya Karna Chaiye Aur Kya Nahi Kare [Do’s and Don’ts on Sharad Poonam] अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं । जो भी इन्द्रियाँ शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करने के
रासलीला इन्द्रियों और मन में विचरण करनेवालों के लिए अत्यंत उपयोगी है लेकिन राग, ताल, भजन का फल है भगवान में विश्रांति । रासलीला के बाद गोपियों को भी भगवान ने विश्रांति में पहुँचाया था
खीर को ‘ रसराज ‘ कहते हैं । सीता जी को अशोक वाटिका में रखा गया था । रावण के घर का तो क्या खायेंगी सीताजी ! तो इन्द्रदेव उन्हें खीर भेजते थे । खीर
How to Celebrate Dussehra 2022 [Vijayadashami Ke Din Kya Karna Chaiye] दशहरा के दिन शाम को जब सूर्यास्त होने का समय और आकाश में तारे उदय होने का समय हो वो ‘सर्वसिद्धिदायी विजय काल’ कहलाता
Diwali Lakshmi Prapti Mantra [Laxmi Mantra for Money, Wealth] दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उस पर दो दीपक जला दें । हो सके
Vijayadashami 2021 Puja Shubh Muhurat Timings [Bina Muhurat ke Muhurat Dussehera 2021 : विजयादशमी (Vijyadashmi) का दिन बहुत महत्त्व का है और इस दिन सूर्यास्त के पूर्व से लेकर तारे निकलने तक का समय अर्थात्
‘श्रीमद् भागवत’ के ग्यारहवें स्कंध के तेरहवें अध्याय के चौथे श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण उद्धवजी को बोलते हैं : आगमोऽपः प्रजा देशः कालः कर्म च जन्म च । ध्यानं मन्त्रोऽथ संस्कारो दशैते गुणहेतवः ।। ‘शास्त्र, जल, प्रजा जन, देश, समय, कर्म, जन्म, ध्यान, मंत्र और संस्कार – ये दस वस्तुएँ यदि सात्विक हों तो सत्वगुण की, राजसिक हों तो रजोगुण की और तामसिक हों तो तमोगुण की