Tulsi Pujan Diwas Vidhi with Images, Mp3 Audio, Mantra, Aarti
Tulsi Pujan Vidhi Step by Step with Images & Mp3 Audio A – शंख ध्वनि : सबसे पहले बैकग्राउंड में शंख की ध्वनि सुनायी देगी । T-01 तुलसी महिमा : सुख, शांति, और आरोग्य प्रदायिनी
Tulsi Pujan Vidhi Step by Step with Images & Mp3 Audio A – शंख ध्वनि : सबसे पहले बैकग्राउंड में शंख की ध्वनि सुनायी देगी । T-01 तुलसी महिमा : सुख, शांति, और आरोग्य प्रदायिनी
इन दिनों में बीते वर्ष की विदाई पर पाश्चात्य अंधानुकरण से नशाखोरी, आत्महत्या आदि की वृद्धि होती जा रही है । तुलसी उत्तम अवसादरोधक एवं उत्साह, स्फूर्ति, सात्विकतावर्धक होने से इन दिनों में यह पर्व
Significance of Holy Basil in Hinduism & Importance of Tulsi in Puranas [Padma Puran, Skanda Purana] अनेक व्रतकथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेक आख्यान हैं । भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की कोई भी
Tulsi Benefits in Hindi [Tulsi Benefits for Skin, thyroid, Cough, immunity, Hairs, Eye, Lungs, Body, Weight Loss etc] जिसे नींद न आती हो तो 51 तुलसी के पत्ते उसके तकिये के नीचे रखने से नींद
प्राचीन काल में जालंधर नामक एक महापराक्रमी और महाउपद्रवी राक्षस हो गया । उसकी वृंदा नाम की एक परम रूपवती व परम साध्वी पत्नी थी । वृंदा की निष्ठा थी कि ‘जब मेरा पातिव्रत्य अटल
भगवान नारायण देवर्षि नारद से कहते हैं : ‘वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी । पुष्पसारा नन्दिनी च तुलसी कृष्णजीवनी ॥ एतन्नामाष्टकं चैव स्तोत्रं नामार्थसंयुतम् । यः पठेत् तां च सम्पूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत् ॥’ ‘वृंदा, वृंदावनी, विश्वपूजिता,
लोक-परलोक सँवारनेवाली गीता की 12 विद्याएँ – पूज्य बापूजी गीता का ज्ञान मनुष्यमात्र का मंगल करने की सत्प्रेरणा देता है, सद्ज्ञान देता है । गीता की 12 विद्याएँ हैं । गीता सिखाती है कि भोजन
अद्भुत है गीता ग्रंथ ! – पूज्य बापूजी सारे वेदों का, उपनिषदों का अमृत सरल भाषा में जिस ग्रंथ में है और जो सभी तक पहुँचे ऐसा ग्रंथ है श्रीमद्भगवद्गीता । भगवद्गीता ने क्रांति कर
‘गीता’ में वर्णित चार विद्याएँ श्रीमद्भगवद्गीता में चार विद्याओं का वर्णन आता है : (1) अभय विद्या : मौत का भय निवृत्त करनेवाली विद्या का नाम है ‘अभय विद्या’ । जैसे घड़े का आकाश और
प्रभु सौ-सौ अश्वमेध यज्ञ करने के बाद भी कोई विरला ही इन्द्रपद को पाता है । इस आदमी ने न तो अश्वमेघ किये, न दान पुण्य किया, न लाख-दो लाख पेड़-पौधे लगाये, न व्रत-उपवास किये,