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संयम और दृढ़ संकल्प की शक्ति-पूज्य बापूजी

‘संयम’ और ‘दृढ़ संकल्प’ विद्यार्थी-जीवन की नींव है । जिसके जीवन में संयम है, वह हँसते-खेलते बड़े बड़े कार्य कर सकता है। हे मानव !! तू अपने को अकेला मत समझ, ईश्वर और गुरु, दोनों

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ब्रह्मचर्यासन

साधारणतया योगासन भोजन के बाद नहीं किये जाते परंतु कुछ ऐसे आसन हैं जो भोजन के बाद भी किये जाते हैं । उन्हीं आसनों में से एक है ‘ब्रह्मचर्यासन’ । यह आसन रात्रि-भोजन के बाद,

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धन्वंतरि महाराज ने कहा

” हे मेरे शिष्यों! आयुर्वेद में सफलता पाने के लिए और अपने सद्गुणों को विकसित करने के लिए यौवन की रक्षा करो। ब्रह्मचर्य व्रत वह रत्न है, वह अमृत की खान है जो जीवात्मा का

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बुद्धिशक्तिवर्धक प्रयोग

लाभ :● इसके नियमित अभ्यास से ज्ञानतंतु पुष्ट होते हैं ।● चोटी के स्थान के नीचे गाय के खुर के आकारवाला बुद्धिमंडल है, जिस पर इस प्रयोग का विशेष प्रभाव पड़ता है और बुद्धि व

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परस्पर संयमी जीवन-(पूज्य बापूजी के मित्रसंत श्री लालजी महाराज द्वारा बताया गया अनोखा प्रसंग)

मधुर संस्मरण – परस्पर संयमी जीवन !!! ( पूज्य बापूजी के मित्रसंत श्री लालजी महाराज द्वारा बताया गया अनोखा प्रसंग ) एकांत-साधना हेतु पूज्य बापूजी का कभी हरिद्वार, नारेश्वर (गुज.), माउंट आबू (राज.) तो कभी

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डॉ. ई. पी. मिलर लिखते हैं ….

–  “शुक्रस्राव का स्वैच्छिक अथवा अनैच्छिक अपव्यय जीवनशक्ति का प्रत्यक्ष अपव्यय है। यह प्रायः सभी स्वीकार करते हैं कि रक्त के सर्वोत्तम तत्त्व शुक्रस्राव की संरचना में प्रवेश कर जाते हैं। यदि यह निष्कर्ष ठीक

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डॉ. निकोल कहते हैं…

यूरोप के प्रतिष्ठित चिकित्सक भी भारतीय योगियों के कथन का समर्थन करते हैं। डॉ. निकोल कहते हैं- “यह एक भैषजिक और दैहिक तथ्य है कि शरीर के सर्वोत्तम रक्त से स्त्री तथा पुरुष दोनों ही

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Akhand Brahmacharya Ki Vajah se Mili 105 Years Ki Long Life

हाल ही में ब्रिटेन की एक जवान वृद्धा ने संयमी जीवन की महत्ता का प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत किया है । ब्रिटेन की 105 वर्षीय कुमारी मीडमोर अपनी दीर्घायु का रहस्य ब्रह्मचर्य (Brahmcharya) बताती हैं। सन

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ब्रह्मचर्य का रहस्य | Rishi Dayanand on Brahmacharya

➠ एक बार ऋषि दयानंद (Rishi Dayanand) से किसी ने पूछाः “आपको कामदेव सताता है या नहीं ?” ➠ उन्होंने उत्तर दियाः “हाँ वह आता है, परन्तु उसे मेरे मकान के बाहर ही खड़े रहना

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ब्रह्मचर्य का पालन क्यों और कैसे | Celibacy Tips in hindi

ब्रह्मचर्य का वास्तविक अर्थ वास्तव में ‘ब्रह्मचर्य’ (Brahmacharya – Celibacy) शब्द का अर्थ है ‘ब्रह्म के स्वरूप में विचरण करना ।’ जिसका मन नित्य-निरंतर सच्चिदानंद ब्रह्म में विचरण करता है, वही पूर्ण ब्रह्मचारी है ।

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