शिवाजी का साहस | Bal Shivaji Maharaj childhood Story
[Childhood Story of Chhatrapati Shivaji Maharaj] ➠ 12 वर्षीय शिवाजी (Shivaji) एक दिन बीजापुर के मुख्य मार्ग पर घूम रहे थे। वहाँ उन्होंने देखा कि एक कसाई गाय को खींचकर ले जा रहा है ।
[Childhood Story of Chhatrapati Shivaji Maharaj] ➠ 12 वर्षीय शिवाजी (Shivaji) एक दिन बीजापुर के मुख्य मार्ग पर घूम रहे थे। वहाँ उन्होंने देखा कि एक कसाई गाय को खींचकर ले जा रहा है ।
Kisko Banayein Apna Aadarsh — Who Should be Youth’s Legend Or Inspirational Person for Youth of India in Hindi : इस प्रसंग द्वारा बच्चों को समझा सकते हैं कि “हमें अपना आदर्श फिल्मी कलाकारों को
गुरु-सन्देश- प्यारे विद्यार्थियों ! तुम भावी भारत के भाग्य-विधाता हो ।अतः अभी से अपने जीवन में सत्यपालन,ईमानदारी, संयम,सदाचार,न्यायप्रियता आदि गुणों को अपनाकर अपना जीवन महान बनाओ । एक विद्यालय के शिक्षक ने एक दिन कक्षा
Chaitanya Mahaprabhu Jagannath Puri Rath Yatra (भगवान जगन्नाथ रथयात्रा : 12 जुलाई) 17-18 वर्षीय निमाई भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने हेतु एक बार अकेले ही चले गए । जगन्नाथजी के दर्शन करते-करते निमाई का मन
Surya Grahan June 2022 Special Story | Surya Grahan Kyu Hota hai – An Interesting Story in Hindi एक राजा बड़ा सनकी था । एक बार सूर्यग्रहण हुआ तो उसने राजपंडितों से पूछा : “सूर्यग्रहण
Jhalkaribai was a woman’s Army of Rani Laxmi Bai. Aaiye Jante hai Jhalkari Bai Ke Bare Main : ➠ पुराने जमाने में प्रारम्भ से ही बालक-बालिकाओं में निर्भयता एवं शूरता-वीरता के संस्कार डाले जाते थे
[Adil Shah And Shivaji Maharaj Story] पूज्य संत श्री आशारामजी बापूजी मुगल सरदार आदिलशाह व कुतुबशाह को अपने पद और धन का बड़ा अहंकार था। वे इस मद में रहते थे कि हम तो धन
कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः । अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः ॥ ‘कर्म का स्वरूप भी जानना चाहिए और अकर्म का स्वरूप भी जानना चाहिए तथा विकर्म का स्वरूप भी जानना चाहिए, क्योंकि कर्म
एक बार महात्मा बुद्ध यात्रा करते हुए कौशाम्बी पहुँचे । वहाँ के कुछ लोग महात्मा बुद्ध से द्वेष रखने लगे थे और उनकी निन्दा किया करते थे । उन धूर्तजनों ने मिलकर महात्मा बुद्ध का
[Short Story From Life of Vinayak Damodar Savarkar in Hindi] एक बालक का विद्यालय जाने से पहले अपनी माँ के चरणस्पर्श करने का नियम था । एक दिन जल्दी जल्दी में वह माँ के चरणस्पर्श