Mahatma Gandhi Death Anniversary 2022: AtmaSanyam
Mahatma Gandhi Death Anniversary 2022: जिसने जीभ को नहीं जीता वह विषय वासना को नहीं जीत सकता। मन में सदा यह भाव रखें कि हम केवल शरीर के पोषण के लिए ही खाते हैं, स्वाद
Mahatma Gandhi Death Anniversary 2022: जिसने जीभ को नहीं जीता वह विषय वासना को नहीं जीत सकता। मन में सदा यह भाव रखें कि हम केवल शरीर के पोषण के लिए ही खाते हैं, स्वाद
आत्मनिष्ठ महापुरुष बड़े विलक्षण होते हैं । उनको कोई बात जँच जाती है तो स्वाभाविक ही उनसे उस बात की पुनरावृत्ति होती रहती है । जैसे नारायण बापू को जब मौज आती तो कह उठते
गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका में थे। एक दिन वहाँ उनके आश्रम में भोजन में कढ़ी-खिचड़ी भी बनी। साधारणतया आश्रम में कढ़ी बनने का मौका कभी-कभी ही आता था।
जिन विद्यार्थियों ने नमक न खाने का नियम लिया था,वे कढ़ी-खिचड़ी नहीं ले सकते थे। किसको क्या और कितना खाने को देना है,गाँधीजी इसका भी पूरा ध्यान रखते थे।
उनके पुत्र देवदास ने कढ़ी-खिचड़ी लेने के लिए अपना भोजनपात्र रखा। गाँधीजी ने उससे पूछा :”देवा ! तुझे तो बिना नमक का खाना है न ?”
स्वामी रामतीर्थ की ख्याति अमेरिका में दिनोंदिन बढ़ती जा रही थी। लोग उन्हें ‘जिन्दा मसीहा’ कहते थे और वैसा ही आदर-सम्मान भी देते थे। कई चर्चा, क्लबों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में व्याख्यान देने के लिए
पटना (बिहार) में एक संयमी, सदाचारी सज्जन रहते थे – बाबू रामदास । वे सरकारी नौकरी में ऊँचे पद पर थे । उनका पाँच वर्ष का पुत्र था कालिदास । रामदासजी अपने पुत्र में अच्छे
➠ विद्यार्थियों को चाहिए कि अपने चरित्र पर ध्यान दें। धन गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ-कुछ.. किंतु चरित्र गया तो सब कुछ गया। ➠ विद्यार्थी सत्यनिष्ठ, स्नेही, साहसी व निर्मल स्वभाव
Ganesh Chaturthi Special Story. Vinayak Chaturthi Special Katha/ Kahani/ Story in Hindi & Marathi: ➠ “संयमशिरोणि, जितेन्द्रियों में अग्रगण्य,पार्वतीनंदन,श्रीगणेश का चंदन-विलेपित,तेजस्वी विग्रह देखकर तुलसीदेवी का मन उनकी ओर बरबस आकृष्ट हो गया।” ➠ ‘ब्रह्मवैवर्त पुराण
बच्चों के दूसरे की चुगली करने के बुरे संस्कार को किस प्रकार मिटायें और जो हमारी गलती बतायें तो किस प्रकार सुधार लाना चाहिए ? यह सीख देती हुई कहानी (Moral Story) बच्चों को जरूर
जरा सोचिए…!!!! ? 1. आठ महीने ठण्ड के कारण कोट पैंट पहनना उनकी विवशता और शादी वाले दिन भरी गर्मी में कोट – पैंट डाल कर बरात ले जाना….. हमारी मूर्खता.. !! ? 2. ताजा
सत्संग,संयम और नियम से ही मनुष्य महान बनता है । -पूज्य संत श्री आशारामजी बापू कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री गुरुदास बैनर्जी एक बार वायसराय के साथ कानपुर से कलकत्ता के लिए यात्रा कर