● गीता, गंगा और गाय को महत्त्व देने से ही देश का सर्वांगीण विकास होगा। ये तीनों भारत की संस्कृति के प्रतीक हैं।

      – पूज्य संत श्री आशारामजी बापू 

● भगवान श्री कृष्ण की कही हुई भगवद्गीता के समान छोटे वपु ( काया, शरीर ) में इतना विपुल ज्ञानपूर्ण कोई दूसरा ग्रंथ नहीं है। 
      – महामना पं. मदनमोहन मालवीय

● गीता (के ज्ञान) से मैं शोक में भी मुस्कराने लगता हूँ।
      -महात्मा गाँधी

● गीता हमारे ग्रंथों में एक अत्यन्त तेजस्वी और निर्मल हीरा है।
      – लोकमान्य तिलक

● मैं नित्य प्रातः काल अपने हृदय और बुद्धि को गीता रूपी पवित्र जल में स्नान करवाता हूँ। 
      – महात्मा थोरो

● भारतीय लोगों को अपनी पुरानी परंपरा की ओर लौटना चाहिए और बच्चों को शुरुआती उम्र से ही महाभारत और भगवत गीता पढ़ाने पढ़ाई जानी चाहिए।

     – ए आर दवे ( सुप्रीम कोर्ट के जज  )

~ श्रीमद भगवदगीता (Shrimad Bhagwat Geeta) के उदगार बच्चों को सुनाएँ और उन्हें नियमित गीता पढ़ने के लिए प्रेरित कीजिए।