अभ्यास में रूचि क्यों नहीं होती ? Why There is no Interest in Practice? – in Hindi
15 जनवरी 1958, कानपुर।(साईं श्री लीलाशाहजी महाराज की अमृतवाणी) गुरु-सन्देश – “सत्पुरुष अपने साधना-काल में प्रभुनाम-स्मरण के अभ्यास की आवश्यकता का अनुभव करके उसके रंग में रंगे रहते हैं।” सत्संग-प्रसंग पर एक जिज्ञासु ने पूज्य